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राजस्थान में कृषिभूमि का नामान्तरण

 झुन्झुनू, राजस्थान से विनोद कुमाँवत ने पूछा है –

मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेने के उपरान्त कृषि भूमि के नामान्तरण के लिए किस राजस्व अधिकारी को आवेदन करना होगा और  नामान्तरण दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है। 
 उत्तर –

विनोद जी,

भारत के संविधान के अनुसार भूमि प्रबंधन राज्य का विषय है। इस कारण से इस सम्बन्ध में देश के प्रत्येक राज्य  के लिए अलग अलग कानून और नियम हैं। आप राजस्थान के निवासी हैं। इस कारण से आप को राजस्थान के कानून और नियमों के अनुसार ही प्रक्रिया अपनानी होगी। राज्य में  नगरीय भूमि, आबादी भूमि, उद्योगों के लिए आवंटित भूमि तथा वन भूमि के अतिरिक्त जितनी भी भूमि है वह सब राजस्व विभाग के नियंत्रण में है। समस्त भूमि की स्वामी राज्य सरकार है। कृषक को उस भूमि पर केवल उपयोग के अधिकार प्राप्त हैं।  कृषक की हैसियत किसी भी कृषि भूमि पर एक किराएदार जैसी है, जिस के लिए उसे सरकार को वार्षिक रूप से लगान भी अदा करना होता है। राज्य के राजस्व विभाग का सब से निचली पायदान का अधिकारी पटवारी है। एक कृषक को अपने खाते की कृषि भूमि से संबंधित किसी भी कार्य के लिए अपने क्षेत्र के पटवारी से संपर्क करना चाहिए। कृषकों की अधिकांश समस्याओं का समाधान पटवारी कर देता है। इस संबंध में ग्रामीण क्षेत्र में एक किस्सा प्रचलित है; “कोई नौजवान राजस्व अधिकारी गांव के दौरे पर गया। कृषकों से उसने मधुर व्यवहार किया। ग्रामीण ने पूछा आप कौन से अधिकारी हैं, तो उस ने बताया कि वैसे तो मैं तहसीलदार हूँ, लेकिन आप का तो बच्चा जैसा हूँ। ग्रामीण बहुत प्रसन्न हुआ और उस ने उसे अपने बेटे जैसा समझते हुए आशीष दी कि “तुम बहुत अच्छे हो, भगवान तुम्हें तरक्की दे और जल्दी ही पटवारी बनाए।” इस किस्से से जाना जा सकता है कि पटवारी ग्रामीण किसानों के लिए कितना महत्वपूर्ण अधिकारी है। 
दि किसी भी प्रकार से किसी कृषक का खातेदारी अधिकार किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित हो जाए तो राजस्व अभिलेख में उस हस्तान्तरण को दर्ज किए जाने को नामान्तरण कहा जाता है। खातेदारी अधिकारों को व्यक्तिगत संपत्ति के समान समझा गया है और वे उन सब रीतियों से हस्तान्तरित हो सकते हैं जिन से संपत्ति हस्तान्तरित हो सकती है । जैसे कोई कृषि भूमि पर अपने खातेदारी अधिकारों को विक्रय कर के, दान कर के, उसे ट्रस्ट कर के या अन्य रीति से हस्तान्तरित कर सकता है। राजस्थान में कृषि भूमि पर खातेदारी अधिकार को अचल संपत्ति के समान माना गया है और किसी व्यक्ति के देहान्त पर उत्तराधिकार की विधि के अनुसार उत्तराधिकारियों को खातेदारी अधिकार प्राप्त हो जाता है। इस तरह मृत खातेदार कृषक के अधिकार उस की मृत्यु के साथ ही उस के उत्तराधिकारियों को हस्तान्तरित हो जाते हैं। केवल इस हस्तान्तरण को राजस्व अभिलेख में दर्ज करना होता है। इस के लिए जिस व्यक्ति को किसी भी प्रकार से खातेदारी अधिकार हस्तान्तरित हुए हों उसे अविलम्ब राजस्व विभाग में आवेदन आवश्यक दस्तावेजों सहित प्रस्तुत करना चाहिए।
राजस्थान में नामान्तरण दर्ज करने के लिए आवेदन समस्त आवश्यक दस्तावेजों सहित तहसीलदा

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