राज्य की कसौटी
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यदि जाँच के उपरान्त यह ज्ञात होता है कि परिवादी के साथ अन्याय नहीं हुआ है अपितु उसे भ्रम है कि अन्याय हुआ है, तो फिर जाँच करने वाला अभिकरण अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे जिस में इतनी क्षमता हो कि वह उस व्यक्ति के भ्रम को दूर कर सके। यदि कोई व्यक्ति जानबूझ कर मिथ्या परिवाद ले कर राज्य के अभिकरण के पास उपस्थित होता है और किसी व्यक्ति पर मिथ्या आरोप लगाता है, साथ ही वह न्याय के लिए स्थापित अभिकरण का दुरुपयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को भी दंडित किया जाना चाहिए।
यदि किसी देश में इस तरह की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है तो हम सहज ही यह अनुमान लगा सकते हैं कि उस देश का राज्य किस तरह का है? न्यायपूर्ण या अन्यायी?
इस कसौटी पर हम अपने देश और प्रांत की न्याय व्यवस्था को परख कर देखें कि हमारे न्याय प्रदान करने वाले अभिकरणों की स्थिति कैसी है? क्या आप यहाँ टिप्पणी दे कर इस पर अपना विचार प्रकट करना चाहेंगे?
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2 Comments
लेकिन सर जी, आप शायद ये भूल गए है कि हर कोई आप जैसा महान तो नहीं होता ना,सत्ता में तो आज कल सभी को अपना घर भरने से ही फुर्सत नहीं है.| जनता की कहाँ किसी को परवाह है …..
…..कमल हिन्दुस्तानी ईमेल kamalsharma440@जीमेल.कॉम
पत्नी के द्वारा परेशान पति जरुर मेल करे,
आप की बात से सहमत हे जी, ओर सही बात कही आप ने, धन्यवाद