वसीयत उस के कर्ता निर्भर है, उस में प्राप्तकर्ता का कोई लालच नहीं।
|समस्या-
जयपुर, राजस्थान से अशोक कुमार ने पूछा है –
मेरे पिताजी दो भाई है| मेरे चाचा के कोई संतान नहीं है| मेरे चाचा मुझे अपना कानूनी वारिस बनाने के लिए कह रहे हैं| क्या उनके पश्चात उनकी सम्पति में हक़ की लिए कानूनी वारिस बनना जरुरी है या वह पैतृक सम्पति कहलाएगी? मेरे पिताजी की मृत्यु हो गयी है| जबकि मैं नहीं चाहता कि कानूनी वारिस बनकर मैं लालची कहलाऊँ|
समाधान-
आप ने बताया है कि चाचा जी आप को ‘कानूनी वारिस’ बनाना चाहते हैं लेकिन इस शब्द से कुछ स्पष्ट नहीं होता। यह स्पष्ट नहीं है कि आप के चाचा जी आप को गोद लेना चाहते हैं या अपनी संपत्ति वसीयत करना चाहते हैं? आप के चाचा जी उन की समस्त संपत्ति आप को वसीयत कर सकते हैं। लेकिन वसीयत तो विरासत नहीं होती है। कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को जिसे चाहे वसीयत कर सकता है। आप की उम्र् 15 वर्ष से अधिक की हो चुकी होगी तो कानूनी रूप से आप को गोद लेना तो संभव नहीं है।
यदि आप के चाचा की पत्नी जीवित है और कोई संतान नहीं है तो आप के चाचा के जीवन काल के पश्चात उन का कोई भी प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी नहीं होगा। वैसी स्थिति में दूसरी श्रेणी के उत्तराधिकारियों को उक्त संपत्ति प्राप्त होगी। दूसरी श्रेणी के अनेक उत्तराधिकारी होते हैं जो वरीयता के हिसाब से संपत्ति विरासत (उत्तराधिकार में प्राप्त करते हैं। इन में पात्र और कुपात्र दोनों हो सकते हैं जो कि आप पर वरीयता प्राप्त हों।
मेरी राय में यदि आप के चाचा जी अपनी संपत्ति आप को वसीयत करते हैं तो उस में आप को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस में लालच जैसी कोई बात नहीं है। हाँ इतना ध्यान रखें कि यदि आप के चाचा जी वसीयत कराते हैं तो उसे उपपंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत अवश्य करा लें।