सब को अपने तरीके से जीने का अधिकार है।
|धर्मपाल ने बुधना, तहसील नारनौद, जिला हिसार हरियाणा से समस्या भेजी है कि-
मेरा छोटा भाई परमपाल हिसार जिला कारागार में धारा 302 में बन्द है भाई की घर वाली मेरे पास रहती है। कुछ समय से उस के कुछ लोगों से गलत संबंध हैं। विरोध करने पर कानूनी कार्यवाही की धमकी देती है और जान से मारने की धमकी देती है। पुलिस वाले भी उस की बात मानते हैं। उस का एक तीन साल का बच्चा है वह उस की भी केयर नहीं करती है। हमें उस औरत से जान माल का खतरा है। मैं उस से बात करता हूँ तो वह कहती है कि वह मुझे झूठे केस में सजा करवा देगी। मुझे कोई उपाय बताएँ।
समाधान-
आप की समस्या मात्र इतनी है कि आप अपने छोटे भाई की पत्नी की धमकी से डर गए हैं। आप को लगता है कि वह पुलिस को झूठी रिपोर्ट करवा कर आप को फँसा देगी। आप को इस डर से निकलने की जरूरत है। डर से तो बहुत सी चीजें खराब हो जाती हैं।
आप के भाई की पत्नी की स्थितियों को भी आप को देखना चाहिए। उस का पति जेल में बन्द है उसे अपने पति की अनुपस्थिति में अपने बच्चे का पालन पोषण जैसे भी करना है कर रही है। यह उस का निजी जीवन है जिसे वह अपने तरीके से अपने हिसाब से जी रही है। उसे जीने दें। आप ने यह नहीं बताया कि उस के किसी भी तरीके से जीने से आप को क्या फर्क पड़ रहा है। यदि आप को किसी तरह का नुकसान उस के आचरण से पड़ रहा हो तो आप को शिकायत हो सकती है। यदि आप ने बताया होता कि आप को क्या नुकसान हो रहा है तो हम आप को सुझाव दे सकते थे कि आप को क्या करना चाहिए।
पुलिस को आप क्या शिकायत करेंगे? यही न कि उस औरत के अनेक लोगों से नाजायज संबंध हैं। लेकिन यदि कोई औरत अपने पति के सिवा किसी अन्य से संबंध रखती है तो केवल और केवल उस औरत का पति शिकायत कर सकता है। अन्य कोई नहीं। इस कारण पुलिस को उस के निजी जीवन में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। आप पुलिस में शिकायत करेंगे भी तो पुलिस के पास ऐसा कोई कारण नहीं है जिस से वह उस के विरुद्ध कार्यवाही कर सके।
यदि वह औरत आप के किसी अधिकार को नुकसान पहुँचा रही हो तो आप उस के विरुद्ध दीवानी कार्यवाही कर सकते हैं और वह कोई अपराध कर रही हो तो पुलिस को शिकायत कर सकते हैं। पुलिस वाले न सुनें तो पुलिस अधीक्षक को शिकायत की जा सकती है और आगे भी न्यायालय को सीधे परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन यदि उस की जीवन शैली से आप के किसी अधिकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा और वह कोई अपराध भी नहीं कर रही है तो आप कुछ भी नहीं कर सकते।
प्रिय मित्रों, वैसे तो मैं कानून का बहुत जानकर नहीं हूँ, फिर भी एक सामाजिक नागरिक के रूप में मैं यही कहना चाहता हूँ कि कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से गलत मार्ग नहीं अपनाता, विशेषकर स्त्री जाति तो बिल्कुल नहीं। यह सिचुएशन आर्थिक तंगी के कारण भी हो सकती है अतः यदि आप एक भाई का फ़र्ज़ निभाते हुए महिला को कोई रोज़गार दिलवा दे या कोई दुकान खुलवा दे तो सिचुएशन में सुधार संभव है।
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बढ़िया परामर्श दिया गया.. वैसे संभव हो तो उसकी मदद की जानी चाहिए.. जिससे वो अपने परिवार व् स्वयं का पोषण कर सके.., उसके बच्चे को सहारा दीजिये जिससे उसे अच्छे संस्कार मिलें.. उसके स्कूल आदि जाने की व्यवस्था करनी चाहिए.. स्त्री की परिस्थिति बड़ी दुरूह है.. जैसा बताने से प्रतीत हो रहा है.., उसे अकेले रहजाने से उपजे स्वाभाविक भय और असुरक्षा के प्रति संरक्षण चाहिए था.. इसलिए वो तनाव बर्दाश्त न कर सकी..और इस सरल प्रतीत हो रही राह को अपनाया… (हांलाकि सामाजिक दृष्टिकोण से या अनुचित है), और अब उसका पुनः सुधार पर आना अभी तो संभव तो प्रतीत नहीं हो रहा.. अतः हमारी समझ में यदि आप मदद आदि करके उसके जीवन को सरल बनाने में मदद कर सकें.. तो कदाचित उसके दुखों की पीड़ा कुछ तो काम होगी.. बच्चे को तो सहारा देना ही चाहिए.. वर्ना आपका भाई उसके रूप में फिर तैयार होता जाएगा..