अतिरिक्त भू-पट्टी के आंवटन के लिए आवेदन करें।
|रमेश पारख ने मन्दसौर, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरे दादाजी ने १३/०७/१९७९ को एक २५५० वर्गफुट का आवासीय भूखंड खरीदा था जिसकी रजिस्ट्री मेरी दादी माँ और बुआ के नाम से की गई थी। सन् १९८४ में मेरे परिवार के आपसी बँटवारे में उक्त भूखंड का एक भाग बुआ और शेष भाग मेरे पिताजी के हिस्से में आया। १९९० में मेरी बुआ ने अपने हिस्से पर मकान निर्माण किया और उसके अगले वर्ष नगर पालिका ने वहां नाली निर्माण किया। इस नाली के निर्माण के बाद मेरे हिस्से वाले भूखंड का क्षेत्रफल १३९५ वर्गफुट से बढ़कर १६२० वर्गफुट हो गया। वर्ष २००६ में मेरी माता व मेरे पिता ने भूखंड के १३९५ वर्गफुट भाग पर अपना नामांतरण करवा लिया ।
सन् २००८ में नगर पालिका से उस भूमि पर भवन निर्माण की अनुमति ली गई जिसमें नगर पालिका नें भूखंड को १६२० वर्गफुट मानकर १३०० वर्गफुट पर दो मंजिला निर्माण की अनुमति प्रदान की। परंतु हमने दो मंजिला निर्माण ना कर संपूर्ण १६२० वर्गफुट भाग पर एक मंजिला निर्माण किया है ।दिनांक २०/११/२०१४ तक नगर पालिका ने कोई आपत्ति या नोटिस नहीं जारी किया परंतु २१/११/२०१४ को सिएमओ नगर पालिका द्वारा मेरे दादाजी के नाम से एक अतिक्रमण का नोटिस जारी किया गया है। जबकि पूरे कालोनी क्षेत्र में लोगों ने नाली के पीछे तक निर्माण किया हुआ है। कालोनी का १९६३ का एक नक्शा सड़क को ५० फीट दर्शाता है मतलब सड़क के दूसरी तरफ तो लोगों ने १५ से २० फीट अतिक्रमण कर रखा है। ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
गलती आप की है। आप को जितने क्षेत्रफल में निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई थी उसी में आप को निर्माण करना चाहिए था। शेष निर्माण तो गैर कानूनी है और नगर पालिका को नोटिस देने का अधिकार है और तोड़ देने का भी। नगर पालिका के नाली बना देने मात्र से आप को उस अतिरिक्त जमीन पर अधिकार नहीं मिल गया है। यह हो सकता है कि आप के आवेदन पर वह अतिरिक्त जमीन आप को भू-पट्टी के रूप में आवंटित कर दी जाए।
अन्य लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है इस से आप को अतिक्रमण करने का अधिकार नहीं मिल जाता है। वे सभी अतिक्रमणों के विरुद्ध कार्यवाही कर सकते हैं लेकिन नहीं करते। केवल कुछ लोगों के विरुद्ध करते हैं। यही भ्रष्टाचार और भ्रष्ट राजनीति का मूल है। राजनेता और चुने हुए प्रतिनिधि पैसा बनाते हैं और ऐसे अतिक्रमणों को बचाते हैं। उन की देखा देखी दूसरे भी यही करते हैं। दलदल बढ़ने का सिलसिला चलता रहता है।
आप के पास दो विकल्प हैं। या तो आप भी इस दलदल का हिस्सा बन जाएँ और अपना निर्माण बचा लें। दूसरा विकल्प है कि आप तुरन्त नगरपालिका में उक्त जमीन को भूपट्टी के रूप में आप को आवंटित करने के लिए आवेदन लगाएँ, उस की रसीद प्राप्त करें। यदि नगर पालिका द्वारा आप के अतिरिक्त भूमि के निर्माण को तोड़े जाने की आशंका हो तो आप भू-पट्टी आवंटित करने के आवेदन की रसीद प्रस्तुत करते हुए दीवानी अदालत में स्थाई निषेधाज्ञा का दावा व अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन प्रस्तुत कर मकान को तोड़े जाने के विरुद्ध अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करें।