अनुकम्पा नियुक्ति के लिए विवाहित बहिन की अनापत्ति आवश्यक नहीं।
|आकाशदीप ने बिजनौर, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी माताजी शिक्षा विभाग में कार्यरत थीं। उनका स्वर्गवास दिंनाक 14 अक्टूबर 2012 को हो गया था। हम दो भाई-बहन हैं। बहन छोटी है तथा विवाहित है। मेरा बहनोई व उसका परिवार लालची किस्म के हैं। मेरे बहनोई ने मेरी माताजी को डरा धमकाकर अपने पक्ष में कर लिया था तथा हम से सम्बन्ध विच्छेद करा दिया था।
हमारी माताजी हम से अलग बिजनौर में मकान खरीद कर रहने लगी तथा मेरी बहन व बहनोई भी जबरदस्ती उनके साथ रहने लगे। मेरी माताजी से जबरदस्ती पी.एफ. में भी मेरी बहन को नोमिनी करा लिया तथा वह मकान भी अपने नाम लिखवा लिया। उस के बाद उन्होनें एक वसीयत अपने पक्ष में लिखवा कर रजिस्टर्ड करा ली। उस वसीयत में यह भी उल्लेख नहीं है कि मेरी बहन विवाहित है। वसीयत के बाद मेरी माताजी को घर से निकाल दिया। मेरी माताजी उनसे अलग होकर वहीं पडोस में किराये पर रहने लगी। मेरी माताजी के स्वर्गवास बाद उनका सारा सामान एवं सारे कागजात उन्होने अपने कब्जे में कर लिये तथा हमसे मना कर दिया कि उनके पास कुछ भी नहीं हैं।
उनकी मृत्यु के बाद इसकी सूचना मैं ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दी तथा अनुकम्पा नियुक्ति के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया। मेरा वारिसान प्रमाण पत्र जिलाधिकारी बिजनौर द्वारा निर्गत किया जा चुका है। महोदय अभी तक पी.एफ. का पैसा भी नहीं निकला है और न ही मेरी नियुक्ति हुई है। क्या विवाहित पुत्री उत्तराधिकारी बन सकती है? मेरी बहन व बहनोई नौकरी एवं पैसा दोनों लेना चाहते हैं। क्या विवाहित पुत्री को अनुकम्पा में नियुक्ति मिल सकती है? क्या मुझे नौकरी पाने के लिए मेरी बहन की अनापत्ति की आवश्यकता पडेगी। मैं बडी मुसीबत में हूँ। नियुक्ति ना मिलने की दशा में मुझे क्या करना चाहिए। मैं क्या करूं?
समाधान-
आप ने यह उल्लेख नहीं किया है कि माताजी की वसीयत में क्या लिखा है। अर्थात उन्हों ने वसीयत के माध्यम से अपनी किस किस संपत्ति के लिए किस किस को अपना वसीयती घोषित किया है।
जहाँ तक पीएफ का प्रश्न है तो उस पर सभी उत्तराधिकारियों का उन के हिस्से के समान हक है। यदि वसीयत में पी.एफ. का किसी को अधिकारी घोषित नहीं किया गया है तो पीएफ सभी उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगा। नोमिनी केवल उसे प्राप्त करने की अधिकारी है लेकिन प्राप्त राशि को उत्तराधिकार विधि के अनुसार उत्तराधिकारियो में वितरित करने की उस की ड्यूटी है। आप को पी.एफ. व अन्य सभी संपत्तियों व धरोहरों के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जिला न्यायालय से प्राप्त कर विभागों को प्रस्तुत करना चाहिए जिस से आप को अपना हिस्सा प्राप्त हो सके।
उत्तर प्रदेश के अनुकम्पा नियुक्ति के नियमों में क्या प्रावधान हैं जो आप की माताजी के विभाग पर प्रभावी हैं उन की जानकारी हमें नहीं मिल रही है। फिर भी सामान्य रूप से विवाहित पुत्री जिस का पति जीवित हो उसे अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। उस की अनापत्ति की भी कोई आवश्यकता नहीं है। क्यों कि वह अपने पति के परिवार की सदस्या है न कि आप की माताजी के परिवार की सदस्य है।
यदि किसी प्रकार से विभाग आप को अनुकम्पा नियुक्ति देने से इन्कार करता है तो आप को तुरन्त नियुक्ति से इनकार करने वाले आदेश के विरुद्ध रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए तथा अन्य व्यक्ति को नियुक्ति देने से रोकने का स्थगन आदेश प्राप्त कर लेना चाहिए। हमारी राय में आप अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पात्र हैं और आप की बहिन से आप को अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि विभाग आप से इस तरह की अपेक्षा करता है और कोई पत्र जारी करता है तो आप उस पत्र के विरुद्ध भी रिट याचिका कर सकते हैं। इस मामले में आप को आप के उच्च न्यायालय में प्रेक्टिस कर रहे सेवा मामलों के वकील से राय करनी चाहिए।
मैंने विभाग से प्राप्त नियमों में एक नियम पढा था कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की म़त्यु होती है तो विभाग एक अधिकारी को नियुक्त करेगा जो परिवार के सदस्यों को नियमों की जानकारी देते हुए सही व्यक्ति से नियुक्ति हेतु फार्म भरवायेगे व सभी सदस्यों को मिलने वाले लाभों की जानकारी देते हुए , परिवार के सही उत्तराधिकारी के बारे में बतायेगे ।
अगर इस नियम की पालना विभाग करना शुरू कर दे तो ऐसी समस्याऍ आये ही नहीं।
वैसे ये भी है कि सरकार रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाये व प्राइवेट सेक्टर में श्रम कानून का पालन करवाये व सुरक्षा दे तो भी ये मामले घट जायेगे ।
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