DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

अनुकम्पा नियुक्ति कोई कानूनी अधिकार नहीं।

समस्या-

महेन्द्र ने ग्वालियर, मध्य प्रदेश से पूछा है-

मेरे पिता जी होमगार्ड में एएसआई थे। उन का सेवा में रहते हुए देहान्त हो गया। उनका एक बड़ा पुत्र पहली पत्नी से है जो सेना में है। पहली पत्नी के देहान्त के उपरान्त उन्हों ने दूसरा विवाह किया जिस से एक पुत्र मैं तथा दो बहनें हैं। मेरा सोतैला भाई पिताजी के जीवनकाल में ही अलग हो गया और कभी घर नहीं आया। मैं ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया तो मेरा आवेदन इस कारण से निरस्त कर दिया गया कि मैं इस नियुक्ति का अधिकारी नहीं हूँ क्यों कि मृत राज्य कर्मचारी का बड़ा पुत्र पहले से ही राजकीय सेवा में है। मैं व मेरा परिवार इस निर्णय को ले कर बहुत अवसाद में है। मैं क्या कर सकता हूँ?

समाधान-

मैं पूर्व में भी यह स्पष्ट कर चुका हूँ कि अनुकम्पा नियुक्त प्राप्त करना किसी का कोई अधिकार नहीं है। जैसा कि इस नियुक्ति के पहले अनुकम्पा जुड़ाहुआ है यह पूरी तरह सरकार की अनुकम्पा पर निर्भर करता है। किसी भी सरकारीया अर्ध सरकारी विभाग या संस्था आदि में नौकरी का नियम यह है कि वह नियमोंके अनुसार चयन प्रक्रिया अपना कर ही दी जा सकती है। अनुकम्पा नियुक्ति उसका अपवाद है। इस से देश के दूसरे नागरिकों के अधिकार बाधित होते हैं। फिरभी इस तरह की नियुक्ति अत्यन्त आवश्यकता होने पर तथा मृत कर्मचारी केपरिवार को अत्यधिक आपदा से बचाने के लिए दी जा सकती है। इन नियुक्तियों केलिए भी नियम बने हुए हैं। उन नियमों से परे जा कर तो कोई नियुक्ति दी हीनहीं जा सकती।

ध्यप्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में नियम 4.1 आप को अनुकम्पा नियुक्ति के अधिकार से वंचित करता है।  इस नियम के अनुसार आप का सोतैला बड़ा भाई भी आप के पिता के परिवार का सदस्य है और अनुकंपा नियुक्ति पाने के अधिकारी लोगों की सूची में है तथा पहले से राजकीय सेवा में है। ऐसी स्थिति में उक्त नियम आप को अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने के अधिकार से वंचित कर देता है।

प का आवेदन निरस्त किया जाना नियमानुसार है।

दि आप को लगता है कि यह नियम उचित नहीं है तो आप को इस नियम को ही चुनौती देनी होगी। जिस के लिए आप को उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत करनी होगी। इस संबंध में आप तमाम परिस्थितियाँ बताते हुए तथा सभी दस्तावेजों के साथ ग्वालियर में ही सेवा संबंधी मामलों की पैरवी करने वाले किसी उच्चन्यायालय के वकील से मिलें और सलाह प्राप्त करें। यदि आप उन से आश्वस्त हों तो आप उक्त रिट याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं।

One Comment