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अपंजीकृत बँटवारा न्यायालय साक्ष्य में ग्रहण नहीं कर सकता

समस्या-

ऋषि गोयल ने अशोक नगर, मध्यप्रदेश से पूछा है-

म.प्र. हाउसिंग बोर्ड से क्रय किये गए प्लॉट की रजिस्ट्री में 2 भाई  साझेदार हैं। उस प्लॉट के  ⅓ हिस्से पर एक भाई का  मकान और दूसरे ⅓ पर दूसरे भाई काम मकान है। ⅓ प्लॉट खाली है जिसपर तीसरे भाई ने नोटरी बंटवारा करा लिया और नगरपालिका के सर्वे में अपना मालिकाना हक बता दिया। क्या कोर्ट में नोटरी  द्वारा पारिवारिक विभाजन मान्य होगा?

समाधान-

यह भूखंड दो भाइयों द्वारा खरीदा गया है और दोनों भाइयों की संयुक्त संपत्ति है। यह पारिवारिक संपत्ति नहीं है। इस भूखंड में दोनों भाई बराबर के हकदार हैं। एक तिहाई पर एक और दूसरे एक तिहाई पर दूसरा मकान बना है एक तिहाई खाली है। इससे यह नहीं हो गया कि एक मकान एक का है और दूसरा दूसरे का। उन मकानों पर अलग अलग भाइयों का कब्जा अवश्य है लेकिन स्वामित्व दोनों भाइयों का है।

किसी भी अचल संपत्ति के विभाजन के लिए यह आवश्यक है कि बंटवारे नामे का पंजीयन कराया जाए, क्योंकि वह अचल संपत्ति के हस्तान्तरण का प्रलेख होता है। यदि पंजीयन नहीं कराया जाता है तो वह दस्तावेज न्यायालय द्वारा साक्ष्य में ग्रहण योग्य नहीं है।  इस तरह नोटेरी कराया गया बंटवारा नामा पर न्यायालय में आपत्ति की जाएगी कि वह पंजीकृत नहीं है तो उसे साक्ष्य में ग्रहण करने हेतु  प्रदर्शित भी  नहीं किया जा सकेगा। उक्त दस्तावेज में जो नोटेरी हुआ है उस में यह आपने स्पष्ट नहीं किया है कि बची हुई जमीन को ही एक भाई के नाम किया गया है अथवा उसे उसके कब्जे वाला वह प्लाट भी दिया गया है जिस पर बना मकान उसके कब्जे में है।

नगरपालिका में नोटेरी के आधार पर नामान्तरण हुआ है वह स्वामित्व का आधार नहीं हो सकता। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के अनेक निर्णय इस सम्बन्ध में मिल जाएंगे। इस अपंजीकृत बंटवारे को तथा नगरपालिका में हो चुके नामान्तरण को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।  

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