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विक्रय मूल्य विक्रय पत्र को पंजीयन के लिए प्रस्तुत करने के समय पंजीयन से पहले प्राप्त कर लेना चाहिए।

समस्या-

मनीष नांद्वाल ने उज्जैन, मध्य प्रदेश से पूछा है-

मेरी माताजी एवं मौसी जी के नाम तहसील एवं जिला इंदौर में एक कृषि भूमि है, उक्त भूमि पर माताजी और मौसी जी के मामा ने कब्जा किया हुआ है, उक्त भूमि को हम बेचना चाहते हैं, लेकिन कब्जा नहीं होने के कारण एक व्यक्ति उसकी मौजूदा कीमत से कम रुपए दे रहा है जो कि हमें मंजूर है, लेकिन वो रुपए रजिस्ट्री के उपरांत देने का बोल रहा है, क्या इस तरह के लेनदेन को विक्रय नामे में उल्लेखित किया जा सकता है, या उस विक्रय नामे में चेक संख्या या शर्त लिखी जा सकती हैं?

समाधान-

भूमि पर विक्रेता का स्वामित्व है, किन्तु कब्जा नहीं है। कब्जा तो क्रेता को खुद लेना पड़ेगा इसके लिए उसे कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ सकती है। इसलिए वह कम मूल्य दे रहा है यह उचित ही है। यदि आप विक्रय पत्र की रजिस्ट्री करवा देते हैं तो उसमें लिखना पड़ेगा कि कब्जा दे दिया है और आज से आप के स्थान पर क्रेता स्वामी है।

जितने रुपए विक्रय पत्र के पंजीयन के बाद देने हैं, उनके लिए पोस्ट-डेटेड चैक प्राप्त किया जा सकता है उसका वर्णन विक्रय पत्र में किया जा सकता है। यह भी लिखा जा सकता है कि चैक अनादरित होने तथा उसकी सूचना क्रेता को देने पर 15 दिन में नकद भुगतान न करने पर विक्रय पत्र को निरस्त करने का अधिकार विक्रेता को होगा ऐसी शर्त भी लिखाई जा सकती है। आपके बीच जो भी शर्त हो वह लिखाई जा सकती है। पर यह तभी हो सकता है जब कि क्रेता ऐसी शर्तों को विक्रय पत्र में शामिल करने को तैयार हो।

लेकिन यदि धन नहीं आता है जैसा कि ऐसे मामलों में अक्सर होता है, तब आपके पास विक्रय पत्र को निरस्त कराने या अपना धन वसूलने का यही एक मात्र रास्ता शेष रह जाएगा कि आप न्यायालय में दीवानी वाद प्रस्तुत करें। इस वाद को संस्थित करने के समय आपको वसूले जाने वाली राशि पर न्यायालय शुल्क देना होगा जो 7-8 प्रतिशत तक हो सकता है। फिर मुकदमा कई वर्ष तक चल सकता है। यदि आप चैक डिसऑनर का मुकदमा भी करेंगे तब भी समय तो लगेगा ही। इन सब परिणामों पर आप को विचार कर लेना चाहिए।

हमारा सुझाव है कि जब वह कब्जा न होने के कारण आपको पहले ही बाजार मूल्य से कम धनराशि दे रहा है तो उसे विक्रय मूल्य की तमाम धनराशि उप पंजीयक कार्यालय में आपके द्वारा हस्ताक्षर करने और विक्रय पत्र को पंजीयन के लिए प्रस्तुत कर देने पर वहीं उप पंजीयक कार्यालय में अदा कर देना चाहिए और विक्रेता को प्राप्त कर लेना चाहिए। इससे उसका काम भी हो जाएगा और आपको भी धनराशि मिल जाएगी। जिन मामलों में विक्रय मूल्य की धनराशि शेष रह जाती है उन मामलों में हमारा अनुभव अच्छा नहीं है। विक्रेता को वह धनराशि अक्सर नहीं मिलती है और उसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है।

 

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