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अपनी और पत्नी की आय को मजबूती से साबित करें।

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राजीव शांडिल्य ने रीवा, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरा विवाह अप्रैल २०१३ में भोपाल में हुआ था, जबकि मैं रीवा जिले में रहता हूँ! विवाह के कुछ समय पूर्व ही मेरी भिलाई छत्तीसगढ़ में एक प्राइवेट फार्म में नौकरी लगी थी। शादी के कुछ समय के बाद से ही पत्नी साथ रहने की जिद करने लगी तो मैंने समझाया कि एक साल के अन्दर मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगा, पर अभी वहां पर मुझे सब अपने रहने के लिए व्यवस्थित करना है। मेरी पत्नी समय समय पर मुझे उसके मायके की जवाबदारी लेने को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करती रहती थी एवं समान प्रकार से उसके परिवार वाले भी इस बात को लेकर प्रताड़ित करते थे। विवाह के 7 महीने के बाद ही मेरी पत्नी मायके में जाकर रहने लगी और अब वापस नहीं आ रही है। मेरे बड़े भाई उसे बुलाने गए तो भी उसने आने से मना कर दिया और जब मैं उसे बुलाने गया तो उसका और उसके घरवालों का कहना था कि अपना घर इत्यादि छोडो और अपने हिस्से की सम्पति बेचकर आओ और यहीं भोपाल में रहकर नौकरी करो और हमारी आर्थिक रूप से मदद करो। हमारी बाकी बची तीनो लड़कियों की शादी में मदद करो। जब मैंने मना कर दिया तो उसने साथ चलने से साफ़ तौर पर इनकार कर दिया। मुझे और मेरी माँ और परिवार वालो को अश्लील और मर्यादा से परे शब्द कहे। मैं उस दिन चुपचाप चला आया पर तब भी मैं समय समय पर उस से घर वापस आने के लिए कहता रहा। पर वो हर बार कोई बहाना बनाकर इनकार करती रही। फिर उसने अपना फ़ोन नंबर भी ऑफ कर दिया ताकि मैं उस से कोई संपर्क न रख सकूँ। अब उसने भोपाल कोर्ट में मेरे और मेरे परिवार वालों के खिलाफ झूठा धारा 125 और घरेलू हिंसा वाले मुकदमें किये हैं। जिस में उसने ये कहा है की मैंने उसे दहेज़ के लिए घर पर लाकर छोड़ दिया है और लेने नहीं आ रहा है। भोपाल कोर्ट द्वारा करवाई गयी काउन्सल्लिंग में भी उसने मेरे साथ चलने से साफ़ इनकार कर दिया जबकि मैं अपने विवाह को बचाने के लिए उसको अपने साथ ले जाना चाहता था। दो चरणों में काउंसलर के समझाने पर भी वो चलने को राजी नहीं हुई। उसने भरण पोषण के लिए बीस हज़ार मासिक की मांग की है। जबकि मेरी नौकरी तो मानसिक रूप से परेशान होने के कारण मुझे छोडनी पड़ी और फिलहाल में रीवा में ही रह रहा हूँ। मेरे पिताजी नहीं हैं और हम सीधे सरल रहन सहन वाले लोग हैं। मेरी माँ भी हृदय रोग से पीड़ित है और उसके इस कदम से वो भी सदमे में है। मैंने भी अपने रीवा कोर्ट से हिन्दू विवाह अधिनियम धारा 9 का केस उसपर किया है जिस में वो उपस्थित नहीं हो रही है! धारा 125 के उसके केस में उसने खुद को बेरोजगार बताते हुए भरण पोषण की मांग की है, जबकि उसने मुझसे कहा था कि अब वो भोपाल में जॉब करने लगी है तो अब वो कभी भी मेरे घर नहीं आएगी। तब भी कोर्ट ने उसको अंतरिम भरण पोषण के लिए मुझे उसे पैसे देने के लिए कहा है जो कि मेरे लिए वर्तमान में काफी कठिन प्रतीत हो रहा है। मुझे आपसे ये जानना है कि क्या जो उसने भोपाल कोर्ट में झूठा घरेलु हिंसा का केस किया है वो क्षेत्राधिकार के द्वारा रीवा कोर्ट में स्थानांतरित हो सकता है, यदि हाँ, तो उसके लिए हमें क्या करना होगा?

समाधान-

बिना जीवन साथी और उस के परिवार को ठीक से जाने और उन के मन्तव्यों को पहचाने ही विवाह करने के यही नतीजे होते हैं। आप खुद बताएँ आप अपनी पत्नी और उस के परिवार वालों के बारे में विवाह तक क्या जानते थे? यह सिम्पली एक अरेंज मैरिज थी, जो नारियल जैसी होती हैं। ऊपर से सब कुछ ठीक लगता है अन्दर से कुछ भी निकल सकता है। समझदार लोग नारियल खरीदते समय भी ठोक बजा कर देखते हैं ताकि बाद में उन्हें पछताना न पड़े। खैर¡

प की पत्नी और उस के परिवार वालों के इरादे पक्के नजर आते हैं। वे समझते थे कि आप को किसी भी तरह भोपाल में सैटल होने को मना लेंगे और उन्हें आप का व आप की पत्नी का सहयोग मिलता रहेगा। उन का सपना पूरा नहीं हुआ और आप की पत्नी व उस के परिजन उस सपने को हर हाल में पूरा करने पर तुले हुए हैं। वैसी स्थिति में आप को निजात मिल पाना आसान नहीं है।

धारा 125 व घरेलू हिंसा के मुकदमे रीवा में स्थानान्तरित नहीं हो सकेंगे। उन्हें आप को भोपाल जा कर ही लड़ना पड़ेगा। अन्तरिम गुजारा भत्ता जो भी न्यायालय ने आदेशित किया है या तो उस के विरुद्ध उच्च न्यायालय में कार्यवाही करें अन्यथा देना ही पड़ेगा, कोई चारा नहीं है। आप को अपनी आय को न्यायालय के समक्ष मजबूती से प्रमाणित करना पड़ेगा और यह भी कि आप की पत्नी खुद नौकरी करती है और अपना भरण पोषण खुद कर सकती है। हलके सबूतों और केवल आप के बयानों से कुछ नहीं होगा। जहाँ तक बीस हजार मांगने का प्रश्न है तो मांगा तो कुछ भी जा सकता है। उस से प्रभावित होने का कोई कारण नहीं है।

प ने धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम का आवेदन किया है, यदि पत्नी नहीं आती है तो उसे एक तरफा निर्णीत कराइए और यदि उस के बाद एक वर्ष तक पत्नी आने से इन्कार करती है तो आप विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत कीजिए। हमें लगता है कि केवल विवाह विच्छेद से ही आप की समस्या हल हो सकती है। यदि पत्नी का भरण पोषण का दावा घरेलू हिंसा और धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में खारिज हो गया तो भी पत्नी नहीं आएगी। तब उस के पास यह कथन होगा कि वह कमाती है और आप बेरोजगार है इस कारण आप को ही भोपाल उस के साथ जा कर रहना चाहिए। हमारी राय है कि यदि किसी तरह आपसी समझ से विवाह विच्छेद और एक मुश्त भरण पोषण से मामला तय हो सकता हो तो उस के लिए प्रयत्न करें।

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