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तुरन्त धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम में दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन करें

समस्या-

हेमन्त परमार ने 237, प्रकाश नगर कॉलोनी, गली नम्बर 4, नागदा जंक्शन, जिला उज्जैन (मध्यप्रदेश) से पूछा है –

मेरा मेरी पत्नी पिंकी से एक विवाद है कि वो मेरे साथ रह रही मेरी माँ के साथ रहना नहीं चाहती है। जबकि मैं मेरी माँ के साथ उसी के मकान में रहता हूँ। मेरी पत्नी के इस विवाद के कारण मेरे द्वारा मेरी पत्नी के माता पिता को अवगत करवाया गया तो वे मेरे शहर नागदा जंक्शन आये। किन्तु वे विवाद में महिला परामर्श केन्द्र से मेरी पत्नी को अपने साथ ले गये और अब उसे मेरे घर लौटाना नहीं चाह रहे हैं। मुझसे एक पत्र महिला परामर्श केन्द्र पर यह लिखवाया गया कि मैं 15 दिन बाद अपनी पत्नी को पुनः स्वीकार कर लूँगा। किन्तु पत्नी का भाई 15 दिन के पश्चात मेरी पत्नी को लेकर महिला थाने में मेरी शिकायत करने पहुँच गया एवं वहां की आरक्षक पिंकी दुबे से मुझ पर यह दबाव डलवाया गया कि में मेरे शहर से रतलाम शहर जाऊँ और उनकी शर्तों पर मेरी पत्नी को लेकर आऊँ। मेरे घर में मेरी माँ बीमार रहती है एवं भाई को भी इस दौरान 2 बार हार्ट अटेक आ गये। भाई अभी भी आईसीयू में है। भाई अलग रहता है पर सगा है। मेरे द्वारा थाना नागदा, महिला परामर्श केन्द्र नागदा, एवं निरीक्षक, उप निरीक्षक, अधीक्षक आदि अधिकारियोँ को एक साथ स्पीड पोस्ट किया गया एवं मैंने अपनी व्यथा लिख दी। मैंने मेरी पत्नी के भाई से आज बात की और पूछा कि वो मेरी पत्नी को मुझे वापस लौटायेंगे कि नहीं? इस पर वो बोल रहे हैं कि हम तो पहुँचाने के लिए तेयार हैं, पर आप यहां महिला थाने आओ ताकि आपके रुख के आधार पर तय करें कि क्या करना है? जबकि उनके द्वारा मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गयी है। मेरे द्वारा ना तो मेरी वाइफ से कोई मारपीट की गयी है और ना किसी प्रकार का दहेज़ माँगा गया है।

समाधान-

यदि आप की पत्नी और आप के बीच केवल यही विवाद है कि वह आपकी माँ के साथ उनके मकान में रहने से इन्कार करती है तो आप की पत्नी गलत हैं और आप का पक्ष सही है। यदि आप ने अपनी पत्नी के साथ कोई मारपीट या अन्य प्रकार की शारीरिक मानसिक क्रूरता नहीं की है और दहेज की मांग नहीं की है तो आप बिलकुल सही हैं और आपको किसी तरह का कोई भय नहीं होना चाहिए।

लेकिन यह सही है कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के विरुद्ध गलत शिकायत कर सकता है और पुलिस उसके प्रभाव में आ कर उस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर के उसे गिरफ्तार कर सकती है। इस तरह के मामले में पुलिस के काम में अभियुक्त की तरफ से अनुसंधान के दौरान कोई दखल नहीं दिया जा सकता है। यदि यह स्पष्ट हो जाए कि आप के विरुद्ध आप की पत्नी द्वारा कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है और ह दर्ज कर ली गयी है तो आप गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए सेशन न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। यदि जमानत हो जाए तो आप को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। अन्यथा आप को पत्नी का स्त्री-धन लौटाना होगा। पुलिस यदि आप को धारा 498-ए में  गिरफ्तार भी कर लेती है तो एक दिन में या दो चार दिन में आपकी जमानत हो जाएगी।

इस तरह के मामलों में यही एक चीज है जो परेशान करती है। यदि कोई पुरुष इसके लिए तैयार हो तो फिर परेशानी की कोई बात नहीं है। इसके अलावा आपकी पत्नी यह कर सकती है कि आप के विरुद्ध रतलाम में भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रेषित कर दे। यदि वह ऐसा करती है तो उस मामले को आपको लड़ना होगा। यदि आप सही हैं तो यह सारी लड़ाई आपको जरूर लड़नी चाहिए। क्यों कि गलत के सामने झुक जाना भी गलत है।

आप को रतलाम पुलिस फोन कर के बुलाए तो जाने की जरूरत नहीं है। यदि कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होती है और आपको धारा 91 में तफ्तीश के लिए बुलाया जाता है तो आप गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए आवेदन करके जमानत लें या फिर उपस्थित हो कर अपना पक्ष रखें। फिर जो भी हो उसके लिए तैयार रहें।

फिलहाल आप यह कर सकते हैं कि तुरन्त पत्नी के विरुद्ध दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत नागदा में आवेदन प्रस्तुत करें और उसे दर्ज करवा कर उस में नोटिस तामील के लिए जारी करवाएँ। इस तरह के मामले में किसी अच्छे वरिष्ठ स्थानीय वकील की मदद लें और उसकी सलाह के अनुसार कार्यवाही करें।

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