अपराधिक मुकदमे में गवाह उपस्थित न होने पर क्या होगा ?
|समस्या-
एक लड़की से मेरी केवल बातचीत होती थी। 17 जनवरी 2010 को मेरी अनुपस्थिति में वह अचानक मेरे घर पर आई और कहा कि मैं ने उस के साथ शादी की है। मेरी पत्नी में और उस के बीच झगड़ा हुआ और आपस में मारपीट हो गई। उस लड़की ने थाने में जा कर मामला दर्ज कराया तो पुलिस ने 498-ए का मुकदमा बना दिया जिस में घर के सभी लोगों का नाम लिखा दिया। किसी तरह उस से समझौता किया तो उस आधार पर हमारी गिरफ्तारी पूर्व जमानत हुई। पुलिस ने मेरे और मेरी पत्नी के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया लेकिन घऱ के अन्य लोगों के विरुद्ध कोई आरोप सिद्ध नहीं पाना लिखा। हमारे वकील ने आरोप विरचित होने के समय आरोप मुक्ति के लिए बहस की। लेकिन न्यायालय ने कहा कि समझौते के आधार पर जमानत हुई है इस कारण से आरोप मुक्ति नहीं हो सकती। अब गवाही के लिए उस लड़की का समन निकला है। उस ने मेरे घर का पता दे रखा था इस कारण से वह मेरे घर पर आया। हम ने मना कर दिया कि वह यहाँ नहीं रहती है और न कभी यहाँ रही है। बाकी सभी गवाह मेरे मोहल्ले के हैं जो सच बोलेंगे। वह लड़की गवाही देने नहीं आ रही है। तो ऐसे में क्या हमारी जमानत खारिज हो जाएगी? इस मामले में न्यायालय का क्या निर्णय होना चाहिए?
-महाबली, सासाराम, बिहार
समाधान-
आप ने अपने मुकदमे में वकील किया हुआ है। आप को अपने मुकदमे के बारे में जो भी शंकाएँ हों उन के बारे में अपने वकील से जानकारी करना चाहिए। वे अधिक बेहतर तरीके से बता सकते हैं क्यों कि उन्हें मामले की पूरी जानकारी होती है।
आप के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र राज्य सरकार के लिए पुलिस द्वारा प्रस्तुत किया गया है। उस मामले को साबित करने का दायित्व राज्य सरकार का है। आप पर लगाए गए आरोप को बिना किसी युक्तियुक्त संदेह के साबित करना अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी है। यदि अभियोजन पक्ष किसी भी कारण से आप पर आरोप साबित नहीं कर पाता है तो आप निर्दोष करार दिए जाएंगे और मुकदमा समाप्त हो जाएगा। उस लड़की को गवाही के लिए प्रस्तुत करना भी पुलिस की जिम्मेदारी है आप की नहीं। यदि पुलिस उस लड़की को गवाही में नहीं ला पाती है तो गवाही के अभाव में कोई भी बात आप के विरुद्ध साबित नहीं की जा सकती। आप बेफिक्र रहें। आप की जमानत केवल जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने पर रद्द की जा सकती है। यदि आप प्रत्येक पेशी पर अदालत में उपस्थित होते रहें तो आप की जमानत भी खारिज नहीं की जा सकती है। इतना हो सकता है कि मुकदमे में सुनवाई में देरी हो जाए।
इस मामले में आरोप 498-ए भा.दंड संहिता का है जिस में प्राथमिक रूप से यह साबित किया जाना आवश्यक है कि परिवादी आप की पत्नी है। यह साबित करने के लिए क्या सबूत पुलिस प्रस्तुत करेगी यह तथ्य मेरे सामने नहीं है। मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि जो विवाह हुआ ही नहीं उसे पुलिस ने साबित कैसे मान लिया। इस के लिए भी पुलिस ने कुछ गवाह अवश्य नकली बनाए होंगे। यदि उस लड़की के साथ आप का विवाह ही साबित नहीं होगा तो इस मामले में आप को दोषी साबित किया जान संभव नहीं है। जो तथ्य आप ने मेरे सामने रखे हैं उन के आधार पर मुकदमा झूठा सिद्ध होगा और न्यायालय को चाहिए कि वह उस लड़की के विरुद्ध धारा 182 भा. दंड संहिता में मुकदमा चलाए कि उस ने मिथ्या रिपोर्ट कर के पुलिस को आप को क्षति पहुँचाने के लिए गुमराह किया। इस मुकदमे में उस लड़की को दंडित किया जा सकता है।
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
कही लड़का तो kahi लड़की बात बिगड़ रहे है ये नहीं समझ प् रहे की जीवन कीमती है ! स्कुलो की शिक्षा पद्धति में ही बुराई है नेतिक शिक्षा पीछ्चे छुट गयी और अंग्रेजी और हिंदी में उलझ कर रह गयी !
कभी कभी अपना एक अपराध छुपाने के लिए दुसरे का साथ देने भर को ये केस होते है जो गलत हे
कैसी विचित्र बातें होती हैं लोगों के जीवन में, जैसे पत्रिका में छपी कहानियाँ हों!
कहानियाँ वास्तविक जीवन से ही उत्पन्न होती हैं।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.अपराधिक मुकदमे में गवाह उपस्थित न होने पर क्या होगा ?