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पति पत्नी व बच्चों को छोड़ कर दूसरा विवाह कर ले तो पत्नी क्या-क्या कर सकती है?

समस्या – 

मारी शादी को 7 साल हुए हैं। मेरा पति दो साल से भागा हुआ है और अलग रह रहा है,  उस ने तलाक का केस फाइल कर रखा है। लेकिन मैं उस से किसी भी कीमत पर तलाक नहीं देना चाहती हूँ। क्यों कि मेरे दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की। मैं अभी मायके में रह रही हूँ और हमारा सारा खर्चा मेरा और मेरे बच्चों का मेरे माता पिता ही उठा रहे हैं। मुझे अब पता चला है कि उस ने (पति ने) दूसरी शादी कर ली है, जिस में उस के माता-पिता का हाथ भी है। लेकिन बिना तलाक दिए कोई दूसतरी शादी कैसे कर सकता है? क्या उस की दूसरी पत्नी उस की जायज पत्नी हो सकती है? मैं उसे और उस के घरवालों को कानून के द्वारा सजा दिलाना चाहती हूँ और अपने बच्चों का हक लेना चाहती हूँ। इस के लिए मुझे क्या करना होगा?

-राखी उनियाल, देहरादून, उत्तराखंड

समाधान-

कोई भी व्यक्ति स्त्री या पुरुष अपने विवाहित पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह नहीं कर सकता। ऐसा विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत एक अवैधानिक विवाह है। ऐसा करना धारा 494 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध भी है जिस के लिए ऐसा विवाह करने वाले व्यक्ति को सात वर्ष तक के कारावास और जुर्माने के दण्ड से दण्डित किया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है और पुलिस अन्वेषण कर के ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर सकती है। ऐसे मामले में पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज न किए जाने पर न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है जिसे न्यायालय पुलिस को अन्वेषण के लिए प्रेषित कर सकता है या स्वयं भी जाँच कर के ऐसे व्यक्ति को अभियुक्त मानते हुए उस के विरुद्ध समन या गिरफ्तारी वारण्ट जारी कर सकता है। लेकिन इस मामले में आप को या पुलिस को न्यायालय के समक्ष यह प्रमाणित करना होगा कि आप के पति ने वास्तव में विधिपूर्वक दूसरा विवाह किया है इस संबंध में आप को दूसरे विवाह का प्रमाण पत्र तथा उसे जारी करने वाले अधिकारी की गवाही करानी होगी अथवा ऐसे प्रत्यक्षदर्शी गवाह प्रस्तुत करने होंगे जिन के सामने विवाह संपन्न हुआ हो।

प दो वर्ष से अपने माता पिता के साथ रह रही हैं। आप को चाहिए था कि आप अपने पति के विरुद्ध धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत वैवाहिक संबंधों की प्रत्यास्थापना के लिए अथवा उस के दूसरा विवाह करने की सूचना मिल जाने पर धारा 10 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत न्यायिक पृथ्थकरण के लिए आवेदन करतीं। आप अब भी इन दोनों धाराओँ में से किसी एक के अंतर्गत कार्यवाही कर सकती हैं।  आप अपने लिए और अपने बच्चों के भरण पोषण राशि प्राप्त करने के लिए धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आवेदन कर सकती हैं। आप इस के साथ ही महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत भी अपने लिए और अपने बच्चों के लिए भरण पोषण राशि प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। आप के पति ने आप के विरुद्ध तलाक का जो मुकदमा चलाया है उस मुकदमें में भी आप हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत मुकदमे पर आने जाने और वकील की फीस व मुकदमे के खर्चे और अपने व अपने बच्चों के भरण पोषण के लिए आवेदन कर सकती हैं। इस धारा के अंतर्गत आप के पति से मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उक्त राहत दिलाई जा सकती है, लेकिन यह राहत मुकदमा समाप्त होने के बाद जारी नहीं रहेगी।
प के पति ने जिस महिला के साथ दूसरा विवाह किया है वह विवाह अवैधानिक है और वह स्त्री वैध रूप से आप के पति की पत्नी नहीं है, वह किसी भी रूप में आप के पति की जायज पत्नी नहीं है। इस मामले में हो सकता है आप के पति के माता पिता ने आप के पति का सहयोग किया हो आप उन के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। यदि आप के पति के माता पिता व अन्य संबंधियों ने आप के प्रति कोई क्रूरता की हो तो उन के विरुद्ध आप पुलिस में धारा 498-ए भा.दं. संहिता के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवा सकती हैं। इसी के साथ यदि आप का कोई स्त्री धन आप के पति या उस के किसी रिश्तेदार के पास हो और वह आप को वापस नहीं लौटा रहा हो तो धारा 406 अमानत में खयानत का आरोप भी जोड़ सकती हैं। इस मामले में पुलिस द्वारा कार्यवाही न करने पर आप न्यायालय में भी शिकायत कर सकती हैं। इस मामले में आप के पति के रिश्तेदारों को सजा हो सकती है।
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