अभियुक्त पेशी पर अनुपस्थित हुआ तो जमानत जब्त होगी और दुबारा जमानत करानी होगी।
राजवीर तनेजा ने जयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मैं, मेरे दोस्त और 4 लोगों के खिलाफ 2008 में जयपुर में धारा 323, 341, 354 IPC के तहत रात्रि गृह अतिचार की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। उस में हमें जमानत भी मिल गयी थी। कुछ समय तक तो हम जमानत की तारीख पर जाते रहे। परंतु 2011 के बाद सभी लोग अलग अलग हो गए। हम ने शिकायतकर्ताओं को राजीनामे के लिए भी खूब तलाश किया। पर उन का भी अता पता नहीं। 2011 के बाद आज तक हम तारीख पर नहीं गए, न ही कोई शिकायतकर्ता का पता है। कृपया बताएँ कि अब हम क्या करें? मैं ने कई बार अदालत से भी मालूम किया, पर कुछ पता नहीं चला। क्या ऐसा हो सकता है कि अब मैं अकेला ही सही अपनी रेगुलर तारीख पर जा सकता हूँ।
समाधान-
जब भी किसी अपराध में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होता है तो पुलिस उस मुकदमे में न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत करती है। यदि मुकदमा केवल जमानतीय धाराओं में हुआ तो जमानत पुलिस ले लेती है और आरोप पत्र प्रस्तुत होने के दिन न्यायालय में उपस्थित होने को कहती है। न्यायालय में उपस्थित होने पर वहाँ दुबारा जमानत मांगी जाती है जिस की शर्त यह होती है कि अभियुक्त मुकदमे की प्रत्येक पेशी पर उपस्थित होगा, अन्यथा उस के द्वारा प्रस्तुत जमानत, मुचलके जब्त कर लिए जाएंगे।
आप को अपनी जमानत की शर्त के अनुसार मुकदमे की हर पेशी पर उपस्थित होना था और आप 2011 से पेशी पर उपस्थित नहीं हुए हैं। इस कारण यह स्वाभाविक है कि आप द्वारा प्रस्तुत जमानत मुचलके जब्त कर लिए गए होंगे और न्यायालय आप के गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुका होगा। आप को चाहिए कि आप ने जमानत के वक्त जिसे अपना वकील नियुक्त किया था उस से मिलें और मुकदमे की स्थिति जानने का प्रयत्न करें। यदि वह वकील उपलब्ध न हो सके तो आप किसी दूसरे वकील की सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं। वकील की सहायता से आप को स्वयं न्यायालय में उपस्थित हो कर फिर से जमानत का आवेदन प्रस्तुत कर जमानत करा लेनी चाहिए।
आप के मामले में तीनों अपराध तब जमानतीय थे और जमानत हो ही जानी थी। लेकिन अब 354 को अजमानतीय बना दिया गया है। इस कारण अब यह गंभीर अपराधों की श्रेणी में आ चुका है। दूसरे आप को अदालत में उपस्थित हुए चार साल हो गए हैं, हो सकता है तुरन्त जमानत न हो सके और कुछ दिन न्यायिक हिरासत में जेल भी जाना पड़े। दुबारा जमानत हो जाने के बाद आप को मुकदमे की हर पेशी पर उपस्थित होना पड़ेगा या फिर आप जिस पेशी पर उपस्थित न हो सकें आप को वकील के माध्यम से उपस्थिति से छूट के लिए आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करवाना होगा जिस से दुबारा आप की जमानत जब्त न हो।
सर मैने एक शीशम का पेंड़ काटा और वन विभाग ने पकड़ लिया पेड़ मेरी जमीन मे था अब तहसील से नोटिस आ गया काया करू
आदरणीय सर
मैरा विवाह १.६.२०१२ को हिन्दू धर्म के अनुसार हुआ था, शादी के बाद पता चला कि मेरी पत्नी एक मानसिक रोगी है उसका शादी के पहले से मानसिक रोग का इलाज चल रहा था, वह शादी के समय भी एक मानसिक रोगी थी, जब मैने ङाकटर का पर्चा देखा तो पता चला कि वह सिजोफिनिया नामक बिमारी से गरसीत हैं मैरा उसके साथ कोई शारीरिक संबंध नहीं है वह शादी के कुछ महीने के बाद अपने घर चली गई,
मैने १५.8.१४ को पारीवारीक नयालस मैं केस दर्ज करवाया, हर तीन महीने में एक पेशी होती है लेकिन लङकी वाले वहाँ नही आते, इसा तीन बार हुआ है क्या जब तक वह नही आयेंगे तब तक मेरा तलाक़ नहीं होगा
आदरणीय सर ,
उपदान की पात्रता एवं कुल सेवा अवधि कितनी होनी चाहिए माह या वर्ष में उपस्थिति कितने दिन आवश्यक है क्याअनुपस्थित रहने हड़ताल होने या बीमारी अवकाश पर होने एवं प्रसूति अवकाश पर होने पर उपदान पर इसका फर्क पड़ेगा .