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आत्महत्या का प्रयास अपराध नहीं

समस्या-

शोएब चिश्ती ने भुजौली कालोनी चौराहा‚ देवरिया‚ उ०प्र०  से पूछा है-

क्या आत्महत्या अपराध है‚ यदि हां, तो जब व्यक्ति ही नहीं रहेगा तो उसके उपर किस प्रकार का अपराधिक मुकदमा चलेगा?  क्या इस कानून के तहत उसके परिवार पर तो कोई आंच नही आती?  यदि इसे प्राणदान का नाम देकर किया जाय तो क्या तब भी आत्महत्या ही मानी जाएगी। यदि कोई व्यक्ति इच्छामृत्यु चाहता है तो उसे किससे इजाजत लेनी होती है। कृपया कानूनी दृष्टि से इच्छामृत्यु‚ आत्महत्या व प्राणदान इन तीनों में क्या अंतर होता है?

समाधान-

आत्महत्या भारतीय कानून के अंतर्गत अपराध नहीं है। यदि होता तब भी कानूनी स्थिति यह है कि अभियुक्त की मृत्यु हो जाने पर न तो उस पर कोई अभियोजन चलाया जा सकता है और न ही उसे दंडित किया जा सकता है। इस कारण आत्महत्या को अपराध बनाया जाना संभव भी नहीं है।

आत्महत्या के प्रयास को भारतीय दंड संहिता की धारा 309 में अपराध मानते हुए दंड का विधान दिया गया है। यह धारा निम्न प्रकार है-

  1. आत्महत्या करने का प्रयत्नजो कोई आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा, और उस अपराध के करने के लिए कोई कार्य करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, [या जुर्माने से, या दोनों से,] दण्डित किया जाएगा।

आप ने पूछा है कि इच्छामृत्यु‚ आत्महत्या व प्राणदान में क्या अंतर है। तीनों शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं तीनों का अर्थ एक ही है, किसी भी व्यक्ति द्वारा स्वयं अपने प्राण लेने की हर कोशिश आत्महत्या ही है। किसी भी तरह के शब्द परिवर्तन से वह आत्महत्या की श्रेणी से अलग नहीं हो सकती। कानूनी दृष्टि से भी तीनों का अर्थ एक ही है।

आप ने यह भी पूछा है कि किसी के आत्महत्या कर लेने पर किसी परिवार वाले पर कोई आँच तो नहीं आती। सामान्य तौर पर तो किसी भी परिवार वाले पर कोई आंच नहीं आती। किन्तु यदि यह पाया जाए कि मृतक को आत्महत्या के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों ने प्रेरित किया है तो आत्महत्या के लिए प्रेरित करना एक अलग अपराध है जो धारा 305 व 306 आईपीसी में दंडनीय है। धारा 305 में किसी बालक या विक्षिप्त व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के  कारावास से दंडित करने का विधान है। धारा 306 में किसी भी आत्महत्या कर लेने वाले को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने पर 10 वर्ष तक के  कारावास से दंडित करने का विधान है।

आत्महत्या की कोशिश करने को भी अपराध पुस्तिका से हटाने के लिए एक लंबे समय से प्रयास चला आ रहा है। इस संबंध में 2013 में एक बिल भी संसद मे प्रस्तुत किया गया था लेकिन अभी तक उसे पारित नहीं किया जा सका है। लेकिन मेंटल हेल्थ केयर एक्ट – 2017 के द्वारा यह अपराध की श्रेणी से स्वतः ही हट गया है। इस अधिनियम की धारा 115 निम्न प्रकार है-

Section 115. PRESUMPTION OF SEVERE STRESS IN CASE OF ATTEMPT TO COMMIT SUICIDE.

(1) Notwithstanding anything contained in section 309 of the Indian Penal Code any person who attempts to commit suicide shall be presumed, unless proved otherwise, to have severe stress and shall not be tried and punished under the said Code.

(2) The appropriate Government shall have a duty to provide care, treatment and rehabilitation to a person, having severe stress and who attempted to commit suicide, to reduce the risk of recurrence of attempt to commit suicide.

इस धारा 115 की उपधारा (1) में यह विधान है कि यदि कोई व्यक्ति धारा 309 भारतीय दंड संहिता के अनुसार आत्महत्या का प्रायस करता है तो जब तक अन्यथा प्रमाणित न  हो जाए यह माना जाएगा कि वह मानसिक तनाव में था और उस के विरुद्ध अभियोजन नहीं चलाया जाएगा। उपधारा (2) में यह विधान किया गया है ऐसे व्यक्ति की चिकित्सा व केयर प्रदान करना राज्य सरकार का दायित्व होगा जिस से वह दुबारा आत्महत्या का प्रयास न करे।

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