आप के पति के पास तलाक के लिए पर्याप्त आधार नहीं, वे आप की इच्छा के बिना विवाह विच्छेद में सफल नहीं हों सकेंगे।
समस्या-
गाडरवाड़ा, मध्यप्रदेश से श्रीमती गोलू ने पूछा है –
मेरे पति मुझे तलाक देना चाहते हैं क्यों कि मैं माँ नहीं बन सकी। हमारी शादी को साढ़े चार साल हो गए हैं। घर में मेरी सास व जिठानी रोज ताने मारती है तथा ननद बोलती है इसे घर से बाहर निकालो। इस पर अगर मैं ने मुहँ खोला तो मुझे मेरे पति से पिटवाया जिस के कारण मेरे जिस के कारण मेरा भाई और पिता मुझे मायके ले आए जिस के बाद से मैं मायके में ही हूँ। इस के बाद मेरे पति ने मुझे तलाक का नोटिस भेजा और मुझ पर आरोप लगाया है कि मैं लड़ाई करती हूँ और उन्हें उन के माँ-बाप से अलग करना चाहती हूँ। मैं उन से तलाक नहीं चाहती हूँ। अब मेरे पति इस के लिए नहीं मान रहे हैं उन्हों ने कोर्ट से मेरे लिए नोटिस दिया है। अब अगर मैं तलाक ना देना चाहूँ तो क्या मेरी मरजी के खिलाफ कोर्ट तलाक मंजूर कर देगा? उन्हों ने मेरे ऊपर कई गलत आरोप लगाए हैं कि मैं ने बच्चा गिरवा दिया और मैं उन के साथ संभोग नहीं करना चाहती हूँ। इस में मेरी जिठानी ने उन का साथ दिया। मेरी ससुराल में कोई भी नहीं चाहता कि अब हम साथ रहें। लेकिन मैं उन के साथ ही रहना चाहती हूँ। मेरे लिए उपाय बताएँ जिस से मेरा और उन का तलाक नहीं हो।
समाधान –
किसी भी पुरुष को यदि उस की पत्नी नहीं चाहे तो उस की पत्नी से केवल मात्र कुछ आधारों पर ही विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त हो सकती है। आप ने जो तथ्य बताए हैं उन में से कोई भी तथ्य ऐसा नहीं है जिस के आधार पर आप के पति को आप से विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त हो सकती हो। इस कारण से आप यह चिन्ता छोड़ दें कि आप के पति न्यायालय से आप से तलाक ले सकते हैं। जो कारण आप ने वर्णित किए हैं उन के आधार पर आप के पति आप से तलाक प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
लेकिन जिस परिवार में सभी आप के विरुद्ध हों और पति उन के कहने पर आप की पिटाई करने को तैयार हो उस परिवार में आप कैसे जी सकेंगी यह हमारी समझ से परे है। जब तक आप के पति न समझ जाएँ कि उन्हें तलाक नहीं मिल सकता, वे आप से तलाक के बिना दूसरा विवाह नहीं कर सकते और आप की सास, जिठानी और ननद अपने निजि स्वार्थों के कारण उन्हें आप के विरुद्ध भड़का रही हैं तब तक उन के सही रास्ते पर आने की कोई गुंजाइश दिखाई नहीं देती। हमारे विचार में आप का एक लंबे समय तक अपने पति के साथ शान्तिपूर्वक रह सकना संभव नहीं हो सकेगा। वैसी परिस्थितियों में आप खुद क्या निर्णय करेंगी यह आप के ऊपर निर्भर करेगा।
फिलहाल हमारी राय यह है कि आप के साथ जो मारपीट हुई है उस से आप की सास, ननद, जिठानी और आप के पति ने आप के साथ क्रूरता की है जो कि धारा 498-ए आईपीसी के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध है। उन्हों ने आप के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार कर के घर छोड़ने को मजबूर किया है। इन परिस्थितियों में आप उन से अपना स्त्री-धन भी वापस मांग सकती हैं। नहीं देने पर धारा 406 आईपीसी का अपराध होगा। इस तरह आप उक्त दोनों धाराओं के अन्तर्गत पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज करा सकती हैं या फिर सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कर सकती हैं। आप को यह करना ही चाहिए। इस से ही आप के पति और उन के रिश्तेदारों पर मामले में समझौता करने का दबाव बनेगा।
इस के अतिरिक्त आप धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत अपने भरण पोषण की राशि देने के लिए भी न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। इस पर आदेश हो जाने पर आप के पति को आप को प्रतिमाह भरण पोषण राशि देना होगा।
आप भरण पोषण की राशि के लिए, पति गृह में अलग रहने का स्थान प्राप्त करने के लिए तथा आप के पति, सास, जिठानी और ननद से अपनी सुरक्षा के लिए आदेश देने के लिए महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा का उन्मूलन अधिनियम की धारा-12 के अन्तर्गत भी आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं।
ये सब कार्यवाहियाँ करने और भरण पोषण, पतिगृह में आवास व हिंसा से सुरक्षा के आदेश हो जाने से आप के पति को समझ आने लगेगा कि उन्हें आप को प्रतिमाह खर्च देना होगा और पतिगृह में रहने का अधिकार भी देना होगा। धारा 498-ए व 406 में उन सब को सजा भी हो सकती है। इसी से आप के पति को आप से समझौता करने का दबाव बनेगा। तलाक के मुकदमे में भी यदि उन्हें लगने लगेगा कि उन्हें तलाक नहीं मिल सकेगा तो वे आप को साथ रखने के लिए तैयार हो जाएँ। ये सब कार्यवाहियाँ करते समय इस बात का भय मस्तिष्क में न लाएँ कि इस से समझौते का रास्ता बंद हो जाएगा। पुलिस तथा न्यायालय खुद भी समझौता कराने का प्रयास करेंगे और आप खुद भी समझौते का मार्ग बन्द नहीं करेंगे तो हो सकता है आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लें।
कुछ जाहिल लड़के वाले आज भी बहुओं को जला कर मार डालते हैं, तब कोई दूसरा लड़का क्यों इसके खिलाफ आवाज़ नही उठता?
कानून ने औरत को कुछ अधिकार क्या दे दिए अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए,
मर्दों को ये गलत लगने लगा….
Dineshray jee Aap Mujhe lgta hai upar wale ka bheja Farisha hai Jo hame Sahi rashta dekhate ho Aur Aap ke ek ek bat me sachai hai sukun hai
लड़की शादी के बाद कुछ भी मनमानी कर सकती है.अगर वोह गलत होती है फिर भी लोग उसीके ही सच्ची समजते हे…..
जीवनभर की कमाई हड़पने की कानूनी जादू है।इसमे सच्चाई कितनी % है।क्योँ बरबाद करने पर तुले है।यदि लड़की चाहे तो आसानी से तलाक मिल जाएगा उसके लिए उसके पास हजार झूठे बहाने है लेकिन लड़को के पास नरक के सिवाय कहीँ पनाह नही।इसका दुष्परिणाम हमारे कानून एवं सरकार के समझ नही आता ।कानून तो अन्धा है ,जिस रास्ते रूख कर दो चला जाएगा और सरकार उसकी तो छोड़ोँ…..!
इस नर्क को पुरुषों ने ही रचा है और फिर उसी में फँस गए।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.यदि वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना संभव न रह गई हो तो सहमति से विवाह विच्छेद श्रेयस्कर है।
बिलकुल सही है
लड़के वालो ko बर्बाद करने के रस्ते…
शायद लड़के वालों के माँ, बहन और बेटियाँ होती ही नहीं हैं, वे सीधे पेड़ों पर उगते हैं।