आप विवाह विच्छेद के लिए तुरन्त आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
|समस्या-
कानपुर, उत्तर प्रदेश से विमल बाथम पूछते हैं-
मेरी शादी 2 जून 2009 को औरैया जिले में हुई थी। मेरी पत्नी का नाम अंजलि है। मैं और मेरी पत्नी दोनों ही परास्नातक हैं और मेरा पेशा लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारी का है। मैं 30 वर्ष का हूँ और अपने माता पिता का अकेला पुत्र हूँ। मेरे पिताजी सरकारी नौकरी में हैं और माताजी साधारण गृहणी हैं। मुझ से बड़ी दो बहनें हैं जो शादी शुदा हैं, उनके बच्चे भी हैं। उन के निवास मेरे निवास से 10 किमी की दूरी पर स्थित हैं, हाल समाचार लेने के लिए आना जाना लगा रहता है। मेरी पत्नी पिछले 1 वर्ष से अपने मायके में रह रही है वजह है मेरे घर वालों के साथ सामंजस्य न बैठा पाना। मैं आपको बता दूँ कि शादी के समय मैं अपने ही शहर में प्राइवेट नौकरी करता था। लेकिन शादी के 2 साल बाद पत्नी के दबाव के कारण मैं दिल्ली में नौकरी करने लगा। वहाँ पर मै 1 वर्ष रहा। उधर पत्नी की बी.एड. की पढाई भी मैंने वहीँ से कराई। मेरी पत्नी स्वछंद विचारों की है और किसी भी बंधन में रहना या किसी का हस्तक्षेप उसे पसंद नहीं है। वह सिर्फ मेरे साथ घर वालों से अलग रहना चाहती है। मैं अपने घर वालो से बात भी करता था तो किसी न किसी बहाने से लड़ने लगती थी। इधर मेरे माता पिता की देखभाल के लिए कोई नहीं था जिसके चलते मैं वापस घर आ गया। ये बात मेरी पत्नी को बहुत नागवार गुजरी, तब से उसने खुलकर लड़ना शरू कर दिया और झगड़ कर अपने मायके चली गयी। जब उसे गए 3 महीने हो गए तो मैं उसे लेने गया तो वहां भी झगडा किया और कहा कि मैं तुम्हारे घर कभी नहीं जाउंगी। उसके घर वाले पूरी तरह से उसके सपोर्ट में हैं और मेरे घर वालों पर मुकदमा करने की धमकी भी देने लगे। फिर भी मैं और मेरे घर वाले उसके घर कई बार गए और उसके घर वालों से बात कर बात को सुलझा दिया। लेकिन पत्नी की पढाई का हवाला देकर उसे कभी कभी मेरे घर आने के लिए राजी किया। वो 1 महीने में अपने घर से आती और 2 दिन बाद वापस चली जाती ये जो दो तीन दिनों में आती थी इसमें वह कलह करती। गुस्से में सामान तोड़ फोड़ करती और बस लड़ने के ही बहाने सोचती थी। फिर लड़ झगड़ कर वापस चली जाती। जूदी के बच्चे घर में आ जाते तो उन्हें अपने कमरे में न घुसने देती उन्हें पीटने की धमकी देती थी। इस तरह के उसके व्यवहार के चलते एक दिन दीदी जब आई तो उनके साथ भी बेहद अपमानजनक व्यवहार किया उन के साथ गाली गलौज की जिसके फलस्वरूप घर में फिर से विवाद हुआ और वह अकेले ही घर से निकल कर अपने घर चली गयी। अब उसके घर वाले मार पीटकर घर से निकाल देने जैसे गलत आरोप लगाकर जेल में बंद कराने की धमकी दे रहे हैं और अपनी लड़की यानी मेरी पत्नी को कभी न भेजने की बात कर रहे हैं। इस बार उसे गए हुए 1 महिना हो गया है। अब मैं और मेरे परिवार वाले चाहते हैं कि यदि रहना है तो सबसे प्रेम पूर्वक हँसे बोले और यदि नहीं रहना है तो तलाक दे। हम लोग पूरी तरह से मन बना चुके हैं कि अब चाहे जो भी हो जाये अदालत में तलाक के लिए अर्जी देकर आगे की कार्रवाही करना चाहता हूँ। कृपया मार्गदर्शन करें कि क्या मैं अपनी पत्नी को तलाक दे सकता हूँ? क्या क्या कदम उठाने होंगे?
समाधान-
आप या तो माता-पिता के साथ रह सकते हैं या फिर पत्नी के साथ। परिवार और पत्नी दोनों में से किसी एक को छोड़ना आप के लिए दुखदायी होगा और आप प्रसन्न नहीं रह सकेंगे। परिवार को छोडऩे का कोई कारण दिखाई नहीं देता। इस परिस्थिति में आप को विवाह विच्छेद के लिए न्यायालय में तुरंत आवेदन प्रस्तुत कर देना चाहिए। विवाह विच्छेद के हर प्रकरण में न्यायालय अनिवार्य रूप से समझौता कराने का प्रयत्न करता है। यदि साथ रहने का मार्ग निकलता होगा तो उस की बात वहाँ हो लेगी। पत्नी और उस के मायके वाले यदि फर्जी मुकदमे की धमकी देते हैं तो विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत न करने पर भी कर सकते हैं। वैसी हालत में आप के पास उन मुकदमों को लड़ना ही होगा। अच्छा हो कि वह मुकदमे करे उस के पहले आप मुकदमा कर दें। इस से यह होगा कि आप यह कह सकेंगे कि आप के मुकदमा कर देने के कारण उस ने मुकदमा किया है।
विवाह विच्छेद के लिए एक कारण तो यही है कि वह एक वर्ष से आप के साथ नहीं रह रही है। यदि आप इस तरह के मामलों के किसी वकील से अपने यहाँ राय करेंगे और अपनी सारी व्यथा विस्तार से बताएंगे तो वह क्रूरतापूर्ण व्यवहार जैसे कुछ और भी आधारों के बारे में आप को बता देंगे, जिन के कारण आप विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकते हैं।
ये सब बातें बेकार की हैं की आप अगर आप पहले विवाह विचेद का मुकदमा डालेंगे तो बाद मैं कह सकेंगे की सामने से मुकदमा इसलिए आया है की मुझे परेशां किया जा सके. आपनी जीवन को सुधारना का काम आपका खुद का है. अगर आपको लगता है की आपकी पत्नी आपके माता पिता के साथ नहीं रहना पसंद करती है तो बहतर है अलग रहना. कोई भी वकील आपसे से ये पुस्दी कर के कह रहा है की आपको कोई परेशानी नहीं उधानी पड़ेगी तो सिर्फ झुन्था आश्वासन दे रहा है. हमारे देख का क़ानून काफी लचीला और इस्त्री प्रधान है. यहाँ जो शिकायत पहले दर्ज करता है सिर्फ उसको लोग समझाते हैं. अगर जरूरत है तो सिर्फ अपने सोचने के तरीके को बदलने ki. मान ले जिए आपकी जगह आपकी पत्नी होती और उनकी जगह आप तो क्या सोच यही रहती. आप पुरुष है कोशिश करें की रिश्ता और बेहतर हो सके. मुकदमा lad कर आगे भी समझोता ही होगा. आंकड़ों के हिसाब से कचहरी मैं मुस्किल से २% मुकदमो का रिजल्ट आता है और वो भी जब दोनों पक्ष तलक के लिए राजी हों.
थैंक्स भगवान् जी, अच्छी जानकारी है इस तरह की समस्या से मई भी ग्रसित हूँ. थोडा और विस्तार से होता तो जद ठीक होता.
बहुत अच्छी जानकारी हैं.
अति उत्तम