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इस जमीन को सरकार ही सीधे आप के खाते में हस्तांतरित कर सकती है, रिट याचिका के लिए नोटिस दें।

agriculture landसमस्या-

बहजादका, तहसील मवाना, जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश से सुरेन्द्र गिरी ने पूछा हैः

मेरी समस्या यह कि संन् 1972 में हमारे गाँव मे बारिश का पानी भर गया था। यह पानी एक तालाब से दूसरे तालाब में निकालने के लिये एसडीएम और तहसीलदार ने आकर मेरे खेत खसरा नम्बर 144, 145, में नाला निकलवाया और हमारी जमीन के बदले में खसरा नम्बर 131 गाँव के खाद के गड्ढों की जमीन ग्राम पंचायत की सहमति से दी थी।  इसके बाद सन् 1980 में मेरे खिलाफ किसी ने अवैध कब्जे का मुकदमा डाल दिया। जिसका फैसला संन 1984 में मेरे पक्ष में हुआ।  फैसले में आदेश हुआ कि सुरेन्द्र का खाद के गडढो पर अवैध कब्जा नहीं है। क्यों कि नाले की भूमि के बदले में गाँव समाज के खाद के गडढों की भूमि दी गयी है।  इसी प्रकार सन् 1991 में भी मेरे पक्ष मे फैसला हुआ। लेकिन आज तक इस नाले व खाद के गडढो का कागजों में तबादला नहीं दिखाया गया है।  मैं ने सन् 2011 में एसडीएम और कमिशनर के यहाँ भी अपना केस डाला था लेकिन दोनों ने यह कहते हुये केस खारिज कर दिया कि धारा 132 के तहत गाँव के खाद के गड्ढों की जमीन का तबादला नहीं हो सकता। यह नाला आज भी मौजूद है। इस नाले में आधे गाँव का पानी जाता है। नाले को पक्का कराने के लिए गाँव प्रधान के पास पैसे आ गए हैं और गाँव वाले लोग भी वहाँ पर नाला चाहते हैं। लेकिन मंगल सिंह, हरेन्दर इस नाले का विरोध कर रहा है। मंगल सिंह, हरेन्दर पटवारी, नायब तहसीलदार को पैसे दे कर मेरा कब्जा छुडवाना चाहता है। पटवारी, नायब तहसीलदार ने मेरी फसल भी कटवा दी है। गाँव पंचायत मुझे नाला भी बन्द नहीं करने देते हैं। मैं क्या करूँ? जो दोनों भूमि का तबादला कागजों में किया जा सके या नाला बन्द करके मेरी जमीन की पैमाइश करायी जाये। जाँच करवा कर कार्यवाही की जा सके।  मेरे पास सभी प्रधानों के प्रस्ताव भी हैं।

समाधान-

कृषि भूमि की वास्तविक स्वामी सरकार है। कृषक उस पर केवल किराएदार की हैसियत से खेती करता है। लेकिन आप के खाते की जमीन सार्वजनिक हित के लिए ले कर उस के स्थान पर खाद के गड्ढों की जमीन आप को दी है। लेकिन खाद के गड्ढों की जमीन संभवतः किसी व्यक्ति को नहीं दी जा सकती। इस कारण आप को उस जमीन का कब्जा तो दे दिया गया, आप उस पर खेती भी करते रहे लेकिन वह आप के खाते में न डाली जा सकी। किसी अधिकारी को यह कानूनी अधिकार नहीं है कि उस सार्वजनिक भूमि को आप के खाते में हस्तान्तरित कर दे। इस सार्वजनिक जमीन को आप के खाते में दर्ज करने के लिए सरकार को ही उच्च स्तर पर निर्णय करना पड़ेगा। या सरकार फिर भी आप को खाद के गड्ढों की जमीन न देना चाहे तो जो जमीन आप से ली गई है उस का मुआवजा आप को देगी।

प को इस मामले में अब तक हुई सारी कार्यवाही का विवरण देते हुए राज्य सरकार को मुख्य सचिव, राजस्व सचिव तथा जिला कलेक्टर के माध्यम से न्याय प्राप्ति के लिए नोटिस देना चाहिए। और नोटिस की अवधि समाप्त हो जाने पर उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत करनी चाहिए। इस नोटिस को देने के पूर्व आप को सारे मामले के दस्तावेजों सहित किसी उच्च न्यायालय के वकील से मिल कर राय करनी चाहिए। उस के बाद यह कार्यवाही करनी चाहिए।

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