उत्तराधिकार प्रमाण पत्र कितने दिन में बनेगा?
|उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनाने में कितना समय लगता है?
आप ने बहुत मासूम सवाल पूछा है। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनाने का कार्य जिला न्यायाधीश का है। जिला न्यायाधीश को इस के लिए पूरी प्रक्रिया का अनुपालन करना होता है। प्रक्रिया इस प्रकार है कि आप को आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा। उस की जाँच के लिए तिथि निश्चित हो जाएगी। अदालत का पेशकार उस में अपनी रिपोर्ट देगा। यदि सब कुछ सही पाया गया तो अदालत आवेदन को दर्ज कर के नोटिस जारी करने का आदेश देगी। अन्यथा आवेदन की कमियों की पूर्ति के लिए तिथि निश्चित कर देगी कमी पूर्ति के बाद ही आवेदन दर्ज हो कर नोटिस जारी होगा। आप ने अपने आवेदन में जिन व्यक्तियों को पक्षकार बनाया होगा उन्हें नोटिस प्राप्त हो जाने पर अदालत एक सामान्य नोटिस समाचार पत्र में प्रकाशित कराने को कहेगी। सामान्य नोटिस अखबार में प्रकाशित हो जाने पर यदि किसी पक्ष द्वारा कोई आपत्ति नहीं की जाती है तो अदालत इस तथ्य की साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर आप को देगी कि आप संबंधित संपत्ति के उत्तराधिकारी हैं। यदि किसी पक्ष द्वारा आपत्ति प्रस्तुत की गई है तो उस पक्ष को भी साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा। इस के बाद सभी पक्षों के तर्क सुन कर न्यायालय यह निर्णय करेगा कि आप को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी किया जाए अथवा नहीं।
निर्णय हो जाने पर आप को निश्चित न्याय शुल्क के न्याय शुल्क के स्टाम्प प्रमाण पत्र के लिए प्रस्तुत करने होंगे। उन स्टाम्पों पर ही उत्तराधिकार प्रमाण पत्र टंकित होगा और जिला न्यायाधीश के हस्ताक्षरों से जारी हो कर आप को प्राप्त होगा। यदि सब कुछ सामान्य रहा तो इस मामले में कम से कम दस पेशियाँ तो हो ही जाएँगी। यदि आपत्तियाँ प्रस्तुत हुई तो इस की दुगनी और तिगुनी पेशियाँ भी हो सकती हैं। दो पेशियों के बीच कितना समय लगेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत में सभी प्रकार के कितने मुकदमे लंबित हैं। यदि अदालत के पास अधिक काम होगा तो दो पेशी में तीन चार माह का अन्तराल हो सकता है और काम कम हुआ तो भी कम से कम एक माह का समय तो होगा ही। इस तरह उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त होने में एक वर्ष के लगभग समय कम से कम लगेगा। मुझे एक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र आज ही बन कर मिला है जिस में पक्षकारों के बीच गंभीर मतभेद थे। यह आवेदन 1999 में प्रस्तुत किया गया था और इस में निर्णय 4 अगस्त 2011 को हो सका है इस तरह इस मामले में तेरह वर्ष बाद उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बन सका है। उस में भी यह आशंका है कि विपक्षी उच्च न्यायालय के समक्ष अपील प्रस्तुत करने का मन बना रहा है।
भारत में न्यायालयों की संख्या आवश्यकता की 20 प्रतिशत से भी कम है। इस कारण सभी प्रकार के मुकदमों में समय अधिक लगता है। लेकिन उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने का कोई अन्य उपाय नहीं है। इस कारण से आप को तुरंत आवेदन प्रस्तुत कर देना चाहिए। जिन राशियों के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करना है वे उस के बिना तो आप को मिलने से रही। इस लिये कितना भी समय लगे और कोई चारा भी तो नहीं है।
मेरी जमीन गैर खातेदारी कि हे आवनटन आदेश की नकल नहि मिल रही हे कया करना होगा यादराम अलवर
बढ़िया जानकारी
गुरुवर जी, 19-20 अगस्त को ताबियत खराब होने और इन्टरनेट में एम् टी एन एल की तरफ से कुछ खराबी आने के कारण आप की पोस्ट नहीं पढ़ पाया. फिर 21 अगस्त को जैन स्थानक में "पौषध" का व्रत करने के कारण और अगले दिन भी इन्टरनेट ठीक नहीं होने के कारण व "पालना"(व्रत खोलने की प्रक्रिया) के कारण आप की पोस्ट नहीं पढ़ पाया. अब कल यानि 24 अगस्त व 30 अगस्त को जैन स्थानक में सेवा करने की भी ड्यूटी है और 27अगस्त को जैन स्थानक में "पौषध*" का व्रत है. इसलिए निम्नलिखित तारीखों को भी आप की पोस्ट नहीं पढ़ सकूंगा.
*एक पौषध के व्रत को जैन स्थानक में जाकर लिया जाता है. जिस समय लिया जाता है अगले दिन उसी समय पालना किया जाता है यानि चौबीस घंटे तक मुहँ पर पट्टी लगाकर रखनी होती है.
19, 21 अगस्त और आज की पोस्टों में काफी अच्छी जानकारी दी है.
अच्छा लिखा है. सचिन को भारत रत्न क्यों? कृपया पढ़े और अपने विचार अवश्य व्यक्त करे.
http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com
उपयोगी जानकारी।
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लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
अच्छी जानकारी,आभार.
उत्तर प्रदेश में स्थिति शायद कुछ बेहतर है। कोषाधिकारी के रूप में मैंने बहुत से बकाया भुगतान उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के आधार पर किया है। इनमें से बहुत से प्रमाणपत्र आवेदन तिथि से दो-तीन महीने के भीतर ही जारी हो गये थे।
एक वैकल्पिक व्यवस्था हाई-कोर्ट के एड्मिनिस्ट्रेटर जनरल के न्यायालय में उपलब्ध है जहाँ 50000/- से कम की संपत्ति का उत्तराधिकार प्रमाणपत्र एक महीने के भीतर जारी हो जाता है। धनराशि की सीमा कुछ और और भी हो सकती है।