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कर्मकार की स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति क्या है?

तीसरा खंबा की पोस्ट औद्योगिक कर्मकार को नौकरी से हटाये जाने के तरीके में हमने औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 2 (ओओ) में परिभाषित “छँटनी” शब्द का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया था कि किस किस तरह की सेवा समाप्ति को छँटनी नहीं माना जा सकता है।  छँटनी की परिभाषा में स्पष्ट कहा गया है कि नियोजक द्वारा कर्मकार की किसी भी कारण से की गई सेवा समाप्ति छँटनी है यदि वह धारा 2 -(ओओ)  में वर्णित अपवादों में नहीं आती है।  कर्मकार की स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति उस का पहला अपवाद है।

हाँ स्वैच्छिक शब्द का प्रयोग किया गया है, जिस से स्पष्ट है कि यहाँ स्वयं कर्मकार की इच्छा से हुई सेवा समाप्ति का उल्लेख किया जा रहा है। कोई व्यक्ति किसी नियोजक के यहाँ नियोजन प्राप्त कर लेता है उस का यह अर्थ नहीं है कि वह सदैव उस के यहाँ नियोजन में रहेगा। वह जब चाहे स्वैच्छा से अपनी सेवा त्याग सकता है। लेकिन इस संबंध में स्थाई आदेशों तथा नियुक्ति पत्र में एक शर्त सदैव रहती है कि यदि कर्मकार स्वैच्छा से सेवा त्याग करना चाहता है तो उसे एक माह या अधिक समय पूर्व इस की सूचना नियोजक को देनी होगी। अनेक नियुक्ति पत्रों में यह भी शर्त होती है कि यदि कर्मकार इस तरह का नोटिस नहीं देता है तो उसे नोटिस की निश्चित अवधि के वेतन के बराबर राशि नियोजक को अदा करनी होगी। जिसे नियोजक कर्मकार को देय परिलाभों में से भी काट सकता है।

दि कोई कर्मकार त्याग पत्र देता है और उस में यह शर्त अंकित करता है कि वह निश्चित अवधि के उपरान्त सेवा त्याग देगा यदि उसे उस तिथि को उस के बकाया परिलाभ और ग्रेच्युटी दे दी जाए। यदि नियोजक उक्त त्याग पत्र का कोई उत्तर नहीं देता है या जिन परिलाभों को देने का उल्लेख उस ने अपने त्याग पत्र में किया है उन्हें या उन में से किसी को देने से मना कर देता है जिस के कारण कर्मकार निश्चित तिथि को नौकरी छोड़ने से मना करता है। बाद में नियोजक यह कहता है कि उस का त्याग पत्र स्वीकार कर लिया गया है तो इसे स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति नहीं कहा जा सकता। इस तरह की सेवा समाप्ति नियोजक द्वारा की गई छँटनी ही कही जाएगी।  इसे कामगार चुनौती दे सकता है।

दि कोई कर्मकार एक लंबे समय तक अनुपस्थित रहता है  तो नियोजक यह मान कर कि कर्मकार स्वैच्छा से नौकरी छोड़ गया है उस का नाम मस्टर रोल से हटा सकता है। यदि कोई कर्मकार उस की इच्छा के विपरीत किसी कारण से अपने कर्तव्य पर अनुपस्थित रहता है और उस का नाम मस्टर रोल से नियोजक द्वारा हटा दिया जाने के बाद वह कर्तव्य पर उपस्थित होता है तो नियोजक को उसे सेवा पर लेना चाहिए। क्यों कि वह कभी भी नौकरी छोड़ना नहीं चाहता था। लेकिन यदि नियोजक उसे कर्तव्य पर वापस नहीं लेता है तो यह नियोजक द्वारा की गई छँटनी मानी जाएगी जो कि अवैध होगी।

स्तुतः स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति पूर्णतः कर्मकार द्वारा किया गया कृत्य है। यदि इस तरह की सेवा समाप्ति में किसी भी तरह से कर्मकार की इच्छा का लोप होता है तो वह स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति नहीं होगी। दबाव दे कर लिया गए त्याग पत्र से सेवा समाप्ति स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति नहीं है।