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बकाया वेतनादि की वसूली के लिए दीवानी वाद ही प्रस्तुत करें

समस्या-

श्रीगंगानगर राजस्थान से श्योप्रकाश ने पूछा है –

मैं ने श्रेया लाइफ साइंसेज प्रा. में विक्रय अधिकारी (मेडीकल रिप्रेजेंटेटिव) के पद पर अक्टूबर 2009 से 30 जून 2011 तक काम किया। 1 जुलाई 2011 को कंपनी से त्यागपत्र दे दिया। लेकिन आज तक भी मुझे पूर्ण और अंतिम भुगतान नहीं किया गया है जो लगभग 15000 रुपया है। मैं कंपनी के एच.आर. और अन्य मैनेजरों को अनेक ई मेल कर चुका हूँ और फोन से भी बात कर चुका हूँ। लेकिन नतीजा कुछ नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए।

समाधान-

MSRप स्वयं को मेडीकल रिप्रेजेंटेटिव समझ रहे हैं। मेडीकल रिप्रेजेंटेटिव्ज पर सेल्स प्रमोशन एम्प्लाइज (सेवा शर्तें) अधिनियम प्रभावी होता है, लेकिन अन्य सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्ज पर नहीं। इस अधिनियम को सभी सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्ज पर प्रभावी करने के लिए बनाया गया था जिस के कारण उन पर औद्योगिक विवाद अधिनियम प्रभावी है। लेकिन दवाओँ के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों के सेल्स कर्मचारियों का कोई मजबूत संगठन नहीं होने से सरकार पर कोई दबाव नहीं है। दूसरी ओर नियोजक सरकारी पार्टियों से अच्छे संबंध बना कर रखते हैं उन्हें चुनाव आदि के लिए चंदे की मदद भी करते हैं। इस कारण सरकार का इन कर्मचारियों के लिए कोई भी नियम बनाने में रुचि नहीं है। असंगठित होने से उन का लगातार शोषण होता रहता है। उन्हें कभी भी नौकरी से अकारण भी निकाला जा सकता है। इस कारण से आप पर भी केवल कांट्रेक्ट एक्ट ही प्रभावी है जिस में नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है। वेतन भुगतान अधिनियम और न्यूनतम वेतन अधिनियम भी प्रभावी नहीं हैं।

प भी एक विक्रय अधिकारी हैं इस कारण से आप सेल्स रिप्रेजेंटेटिव न हो कर सुपरवाइजरी और प्रबंधकीय कार्यों में माने जा सकते हैं और आप को भी उक्त अधिनियम के कारण औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत कर्मकार माना जाना संदेहास्पद प्रतीत होता है। वैसे भी राजस्थान के श्रम विभाग के अंतर्गत अधिकारियों के जितने पद हैं उन में से आधे से अधिक रिक्त पड़े हैं जिस के कारण श्रम विभाग और उस से संबंधित न्यायालयों में मुकदमों की सुनवाई में बरसों बीत जाते हैं उस से दीवानी न्यायालयों में कार्यवाही अधिक तीव्र गति से होती है।

प को अपनी बकाया राशियों की वसूली के लिए दीवानी वाद ही प्रस्तुत करना होगा जिस पर वसूली जाने वाली राशि पर न्यायालय शुल्क भी अदा करनी होगी। जो राजस्थान में 15000 रुपयों के लिए मात्र 375 रुपए है। आप को चाहिए कि आप अपने पूर्व नियोजक को एक कानूनी नोटिस किसी वकील के माध्यम से भिजवाएँ कि वे आप की बकाया राशियों का भुगतान करें अन्यथा आप उन के विरुद्ध दीवानी वाद प्रस्तुत करेंगे और उन्हें बकाया राशियाँ ब्याज सहित देनी होंगी। नोटिस की अवधि निकल जाने पर भी भुगतान न होने पर बकाया वसूली के लिए दीवानी वाद न्यायालय में प्रस्तुत करें।

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