कर्मचारी का कर्तव्य है कि वह नियोजक के विधिक आदेशों की पालना करे …
|महावीर ने थाँवला, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरी नियुक्ति 11.1.88 को राजस्थान शिक्षा सेवा अधीनस्थ रूल 1971 के 20 अधीन तृतीय श्रेणी प्रयोगशाला सहायक के पद पर हुई। प्रयोगशाला से संबंधित प्रायोगिक उपकरणों की नियमित सफाई की व्यवस्था करना प्रयोगों के समय उन्हें उपलब्ध कराना आदि मेरे मूल कर्तव्य हैं। विज्ञान के विद्य़ार्थियों के लिए प्रयोग करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। बोर्ड परीक्षा परिणामों पर इस का बहुत असर होता है। लेकिन मुझे एसडीएम सर द्वारा अन्य कार्य वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में लगा दिया गया है जो कि नवम्बर, दिसम्बर जनवरी में होना है और इसी समय बोर्ड के प्रेक्टीकल कराए जाने हैं। मैं ने यह बात स्टूडेंट्स को भी बता दी है वो भी अपने आप को अनसीक्योर महसूस कर रहे हैं। अब अगर मैं पुनरीक्षण और अन्य कार्य करूँ तो स्टूडेंट्स का प्रेक्टिकल ओर थोरिटीकल पार्ट दोनों ही कमजोर होंगे जिस के कारण बोर्ड रिज़ल्ट भी कम होगा। स्टूडेंट्स का बोर्ड एग्ज़ॅम रिज़ल्ट उनके लिए बहुत अहमियत रखता है, उन के फ्यूचर पर प्रश्न चिन्ह लगेगा जो मैं और स्टूडेंट्स नहीं चाहते। इस का ज़िम्मेदार मैं नहीं बनना चाहता। प्रयोगशाला सेवक का पद खाली है। 10वीं का अध्यापन व प्रॅक्टिकल और एसडीएम सर द्वारा दिया कार्य साथ साथ करना संभव नहीं है। मेरी भी शारीरिक और मानसिक क्षमता की सीमा है। मेरे कार्य के अलावा अन्य कार्य से मुझे कैसे छुटकारा मिल सकता है? छात्रों का भी हित हो कोई मार्ग बताएँ।
समाधान-
आप प्रयोगशाला सहायक के पद पर एक राजकीय विद्यालय में सेवारत हैं। मूलतः आप एक कर्मचारी हैं और आप का कार्य नियोजक (सरकार) द्वारा दिए गए कार्यों को सम्पन्न करना है। यह तो नियोजक का कर्तव्य है कि वह अपने अन्तर्गत कार्य कर रही श्रम शक्ति का उपयोग किस प्रकार करता है। चुनाव संबंधी कार्य चुनाव आयोग का है जिसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह राजकीय कर्मचारियों को अपने कार्य के लिए उपयोग कर सकता है। इस क लिए वे राजकीय विभागों के मुखियाओं से कार्य करने वालों की सूची मांगते हैं। आप का नाम इस सूची में आप के विद्यालय प्रमुख या फिर इन्स्पेक्टर ऑफ स्कूल से सम्मिलित किया गया होगा। आप का प्रमुख कर्तव्य आप को नियोजक से मिले निर्देशों की पालना करना है। इस के लिए आप को अपने प्रधानाध्यापक को लिख कर देना चाहिए कि आप को मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर लगाया गया है जिस के कारण आप नियमित प्रयोगशाला कार्य नहीं कर सकेंगे और विद्यार्थियों के लिए कोई अलग व्यवस्था की जाए। परिणाम ठीक न आने पर आप को दोष न दिया जाए। यह आप के विभागाधिकारी का कर्तव्य है कि वह सब कुछ कैसे मैनेज करता है। आप के लिए विभाग को सूचना देना पर्याप्त है कोई भी कानूनी कार्यवाही करना आप के लिए उचित नहीं है।
जहाँ तक विद्यार्थियों का प्रश्न है उन का वर्ष खराब होता है तो उन के अभिभावकों को को भी बुरा लगेगा। वे चाहें तो आप के विद्यालय के प्रधानाध्यापक, इन्स्पेक्टर ऑफ स्कूल्स और एसडीएम को सीधे मिल कर अपनी तकलीफ बता सकते हैं, अपनी सुविधाओं के लिए आन्दोलन कर सकते हैं और आप को निर्वाचन आयोग के कार्य से मुक्ति दिला सकते हैं।
महावीर जी, आप सिद्धांतिक तौर पर आप सही हैं लेकिन जैसा कि वकील साहब ने कहा है कि आप एक सेवारत कर्मचारी हैं और आप को नियोजक के कथनानुसार ही कार्य या सेवा करनी होगी। लेकिन मेरा एक सुझाव है कि आप एक शिकायती पत्र स्कूली जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए अपने शहर के जिलाधिकारी और राज्य निर्वाचन आयोग को दे सकते हैं। आपको जो काम सौंपा गया है वो वास्तव में प्रशासनिक कार्याें के तहत आता है। इस हेतु एसडीएम ने दूरदर्शिता का परिचय नहीं दिया है। बोर्ड परीक्षाओं के ऐन वक्त पर इस तरह के कार्यो पर शिक्षा कर्मचारियों को लगाया जाना उचित नहीं हैं। आप चाहें तो जिलाधिकारी व स्कूल समिति के खिलाफ हाई र्कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर न्याया प्राप्त कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है आपको सफलता मिलेगी।
– रवि श्रीवास्तव, इलाहाबाद।
हरीश जी, .यहाँ टिप्पणी में अपनी समस्या अंकित करने से कोई लाभ नहीं है। आप की समस्या तीसरा खंबा को प्राप्त हो चुकी है। आप अपनी बारी की प्रतीक्षा कीजिए।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.कर्मचारी का कर्तव्य है कि वह नियोजक के विधिक आदेशों की पालना करे …
महावीर जी यदि आपको विद्यार्थियों की चिंता है तो आप बच्चो के अभिभावकों के साथ साथ स्कूल प्रभंधक समिति से भी बात कर सकते है वैसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मतदान ,जनगणना आदि के कामो में स्कूल कर्मचारियों को लगाया जा सकता है बाकि किसी काम में नहीं लगाया जा सकता है