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मिथ्या प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत करें।

court-logoसमस्या-

आकाश पटेल ने अम्बेडकरनगर , उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मैं दिल्ली में रहकर पढ़ाई करता हूँ व एक राजपत्रित अधिकारी के पद पर यूपीएससी द्वारा चयनित हो चुका हूँ , मगर अक्टूबर माह मे मेरे खिलाफ मेरे पड़ोसी द्वारा किसी फेसबुक पोस्ट के प्रिण्ट के आधार पर मेरे पूर्व अध्यापक द्वारा पुलिस में अपने जान पहचान के नाते ज़बरदस्ती धारा ५०४ व ५०६ तथा आईटी एक्ट ६६अ के तहत एफआईआर करवा दी गयी तथा पिताजी को धमकी दी गयी कि सार्वजनिक रुप से चौराहे पर माँगी न माँगने पर फँसाकर नौकरी को रद्द करवा देंगे !

तथाकथित प्रिन्ट में अध्यापक के लिये “साला बाभन टीचर” का प्रयोग एक वृतान्त के वर्णन के दौरान किया गया है , जिसे बताया जा रहा है कि मैं ने लिखा है ! जबकि पुलिस ने फेसबुक से जो वेरिफ़िकेशन करवाया व खुद जाँच की है उस में उन्हें ऐसा कोई सबूत अब तक नहीं मिल सका है, यहाँ तक कि मैं दो जनवरी को अपना बयान भी दर्ज करवा आया सीओ आफिस में, मगर वही मुझे दारोग़ा ने बताया कि केस करने वाले का मक़सद केवल तुमको मानसिक रुप से परेशान करके कैरियर ख़राब करना था और अपमानित करना था, क्यूँकि जलन की भावना है, मगर उस के पुलिस विभाग मे अधिकारियों से ऊँची पहुँच के नाते फाइनल रिपोर्ट नहीं लगाने दे रहा है , ताकि तुम परेशान हो और नौकरी में दिक़्क़त आये !

मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या भारत के क़ानून मे कोई भी ऐसे ही किसी के खिलाफ एफआईआर करवा कर अनन्तकाल तक मामला लटका सकता है? क्या पुलिस की कोई समयसीमा होती है कि कोई साक्ष्य न मिलने पर आरोपी पक्ष को बरी करे ? क्या मेरी मानसिक पीड़ा और अपमान का कोई महत्त्व नही है वो भी तब जबकि पुलिस को चार महीने की जाँच में भी फेसबुक से कुछ नही मिल सका है और फेसबुक कम्पनी ने भी वेरिफ़िकेशन कर दिया है कि ये पोस्ट मेरी आईडी से जनरेट नही हुई थी ? मैं और मेरा परिवार बहुत दुखी है, ख़ासकर ये मामला लटकाने वाली बात से, कृपया मेरी मदद करें !

समाधान-

मारे यहाँ पुलिस रोज ही ऐसी प्रथम सूचना रिपोर्टें दर्ज करती है जो आरंभ में ही फर्जी दिखाई पड़ती है। फिर भी पुलिस के अधिकारी व्यक्तिगत रुचि और निजि लाभों के लिए ऐसे मामलों को लटकाए रहते हैं। दूसरी और सैंकड़ों सही अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती है। इस का कारण यह है कि गलत और मिथ्या शिकायत दर्ज कराने वालों के विरुद्ध तथा सही शिकायत को दर्ज न करने वालों के विरुद्ध कोई त्वरित उचित कार्यवाही नहीं होती है। यह राज्य व्यवस्था संबंधी मामला है और इस मे राज्य ही कोई सुधार कर सकता है।

प के विरुद्ध कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई है। यदि इस प्रथम सूचना रिपोर्ट का नतीजा न आने के कारण आप को नियुक्ति प्राप्त करने में देरी हो रही है और उस से आप को परेशानी है तो आप उस प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 में पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत कर उसे रद्द करवा सकते हैं।

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