कानून की विसंगतियाँ – 1
01/11/2010 | Crime, Judicial Reform, Marriage, System, अपराध, न्यायिक सुधार, विवाह, व्यवस्था | 9 Comments
| कोई स्त्री अपने पुत्र या पुत्री को किसी कारण से या अकारण या अपने पति को मानसिक कष्ट पहुँचाने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करती है (चोट पहुँचाती है) तो वह स्त्री भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अंतर्गत अपराध करती है। इस की शिकायत पति यदि पुलिस से करे तो अपराध के असंज्ञेय होने के कारण वह कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। अपितु पुलिस पति से कहेगी कि उसे कार्यवाही चाहिए तो वह अदालत में सीधे ही शिकायत करे।
धारा 323 भारतीय दंड संहिता निम्न प्रकार है-
धारा 323 भारतीय दंड संहिता
स्वेच्छया उपहति कारित करने के लिए दंड- उस दशा के सिवाय जिस के लिए धारा 334 में उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिस की अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
यदि स्त्री पति को मानसिक कष्ट पहुँचाने के लिए अपने ही पुत्र या पुत्री को स्वेच्छया उपहति कारित कर (चोट पहुँचा) रही हो) औऱ पति उसे मना करे ,पत्नी फिर भी लगातार संतान को उपहति कारित करती रहे, और ऐसे में पति बलपूर्वक पत्नी को रोके, और इस दौरान पत्नी को उपहति कारित हो जाए और पत्नी पुलिस को शिकायत करे कि उस के किसी अंग को या स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से उस के पति ने चोट पहुँचाई है तो पुलिस धारा 498-ए के अंतर्गत पति को गिरफ्तार कर सकती है, और मुकदमा चला सकती है।
धारा 498-ए भारतीय दंड संहिता
किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उस के प्रति क्रूरता करना- जो कोई किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसे स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिस की अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण – इस धारा के प्रयोजनों के लिए, ‘क्रूरता’ से निम्नलिखित अभिप्रेत है-
(क) जानबूझ कर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिस से उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (जो मानसिक हो या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है; या
(ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उस को या उस के किसी नातेदार को किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए उत्पीड़ित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है।
More from my site
9 Comments
इस में सुधार होना बेहद जरुरी हे .महिलाये इस धारा का नाजायज फ़ायदा उठा रही हे व कई बेगुना बलि चड़ गए और चढ़ रहे हे व इस धार के डर से पत्नी कि गुलामी कर रहे हे .और अपने माता-पिता को भी रोटी नहीं दे पा रहे हे ,बुजुर्ग माँ-बाप कि सेवा नहीं कर पा रहे हे क्योकि पत्नी 498 ए का डर बताती हे, –जय हिन्द मेरे 498 कि धारा के हिंदुस्तान कहकर कई लोग आत्म हत्या कर गए.
३२३,३४२.२९४,५०६,१०९,३२७,३८७,३८४,३८६,
सर, आपने अपने ब्लॉग पर मेरी टिप्पणिया स्वीकार (प्रकाशित) करनी बंद कर दी है. इसलिए अब मैंने आपके ब्लॉग पर अपनी टिप्पणियाँ नहीं कर रहा हूँ. हर समय चापलूसी नहीं कर सकता हूँ,गलत कार्य की आलोचना भी करता हूँ और अच्छे कार्य की प्रंशसा भी करता हूँ. मेरे ब्लॉग http://sirfiraa.blogspot.com का एक बार अवलोकन करके मेरी और से गुरु दक्षिणा(वायीं तरफ-मेरे सहयोगियों की ब्लॉग सूची) स्वीकार कीजियेगा
Short, sweet, to the point, FREl-exactEy as information should be!
बहुत ही ज्वलंत सवाल को आपने लिया है, यह जानकारी जन साधारण को अवश्य होनी चाहिये क्योंकि ऐसी घटनाएं हमारे समाज के इर्द गिर्द आजके माहोल में सामान्य सी बात हो गई हैं.
आपने यहां जो शब्द उपहति कारित लिखा है उसका आपने अनुवाद (चोट पहुँचा) रही हो) कर दिया है. तो भी आपसे गुजारिश है कि ऐसे शब्दों को सीधे एक ही शब्द में परिभाषित करें अगर संभव हो सके तो. क्योंकि यह कहीं ना कहीं समझने मे बाधक बन रहा है. अगर कुछ विशेष मंतव्य ना हो तो ऐसे शब्दो को अंग्रेजी से सीधे रोमन में भी लिख दिया करें तो वह हिंदी की बजाय ज्यादा सुगम्य होगा.
रामराम
dada…..badiya jaankari…
@ भारतीय नागरिक – Indian Citizen
हर बात के लिए अंग्रेजों को दोष देना उचित नहीं है। इस तरह हम भारतीय अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे होते हैं। धारा 498-ए आजाद भारत की संसद ने भा.दं.संहिता में जोड़ी गई है।
सब अंग्रेजों ने अपने माफिक बनाये थे…
बहुत पेचिदे कानून हे जी,इन्हे समझना आम आदमी के बस मए नही, आप ने बहुत सुंदर ढंग से जानकारी दी धन्यवाद