किराएदार किराया भी न दे, मकान खाली भी न करे और नल-बिजली के खर्चेों का भुगतान भी न करे तो क्या करें?
समस्या-
पानीपत, हरियाणा से दीपक पूछते हैं-
यदि कोई किराएदार मकान खाली न करे और किराया भी न दे तो मकान मालिक को न्यायालय में जाना पड़ता है जिस से वह मकान खाली करवा सके और बकाया किराया वसूल कर सके। लेकिन जब तक न्यायालय का निर्णय नहीं आ जाता है तब तक क्या मकान मालिक को किराएदार का बिजली का खर्च भी भुगतना पड़ेगा? कृपया इस मामले में स्थिति स्पष्ट करें।
समाधान-
बिजली और पानी की सुविधा का उपयोग एक मानवीय अधिकार है, वह किराएदार के लिए किराएदारी से जुड़ी एक सुविधा है और किराएदार का अधिकार भी है। इन सुविधाओं को किराएदार सीधे बिजली व पानी की सप्लाई करने वाली संस्थाओं/ विभागों/ कंपनियों से प्राप्त कर सकता है। यदि मकान मालिक उस के इन अधिकारों में हस्तक्षेप करे तो किराएदार न्यायालय में अलग से प्रार्थना पत्र/ वाद प्रस्तुत कर इस तरह का आदेश प्राप्त कर सकता है कि किराएदार इन संस्थाओं/ विभागों/ कंपनियों से कनेक्शन प्राप्त करे और मकान मालिक उस में कोई हस्तक्षेप न करे।
अनेक मामलों में यह भी होता है कि पूरे मकान में एक ही बिजली पानी के कनेक्शन लगाए होते हैं और मकान मालिक और किराएदार या बहुत से किराएदार इन सुविधाओँ के खर्च को आपस में बाँट लेते हैं। जिस के लिए मकान मालिक और किराएदार के बीच कोई शर्त भी तय हो सकती है कि किराएदार बिलों का कुछ प्रतिशत हर माह मकान मालिक को देगा या कोई नियत तयशुदा राशि वह मकान मालिक को अदा करेगा। ऐसी स्थिति में किराएदार बिजली और पानी मकान मालिक के माध्यम से उन्हीं संस्थाओं/ विभागों/ कंपनियों से प्राप्त करता है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि बिजली पानी का खर्च किराए की राशि में शामिल कर लिया जाता है। तब ऐसा माना जाएगा कि जो किराया किराएदार प्रतिमाह मकान मालिक को अदा करता है उस में बिजली पानी का पैसा भी सम्मिलित है।
इन परिस्थितियों में पहली स्थिति में जब कि किराएदार संस्थाओं/ विभागों/ कंपनियों से सीधे अपने नाम बिजली पानी कनेक्शन ले कर इन सुविधाओँ का उपभोग करता है और सीधे उन्हें भुगतान करता है तब कोई झगड़ा मकान मालिक और किराएदार के बीच नहीं होगा। यदि किराएदार इन संस्थाओं/ विभागों/ कंपनियों को बिल का भुगतान नहीं करेगा तो वे उस का कनेक्शन काट देंगी और बकाया राशि का भुगतान प्राप्त करने के लिए उस के विरुद्ध कार्यवाही करेंगी। हाँ, यदि दोनों कनेक्शन पहले से मकान मालिक के नाम चल रहे होंगे तो ऐसी स्थिति में जो बकाया के बिल होंगे ये संस्थाएँ/ विभाग/ कंपनियाँ मकान मालिक से वसूल करेंगी। वैसी स्थिति में मकान मालिक के पास यही चारा है कि वह इन संस्थाओं/ विभागों/ कंपनियों को आवेदन कर के कनेक्शन को बंद करवा ले या कटवा ले और बकाया बिलों का भुगतान कर के उस राशि की वसूली के लिए किराएदार के विरुद्ध कार्यवाही करे।
दूसरी स्थिति तब उत्पन्न होती है जब बिल खुद मकान मालिक जमा करवाता है और किसी शर्त के अंतर्गत उस धन को या किराएदार वाले हिस्से को उस से किराए की राशि से अलग धनराशि के रूप में अथवा किराए की राशि में शामिल धनराशि के रूप में प्राप्त करता है। इस दूसरी स्थिति में मकान मालिक किराएदार को पानी बिजली की राशि की बकाया का भुगतान करने और न देने की स्थिति में उस की दोनों सुविधाए समाप्त करने का नोटिस दे कर पर्याप्त समय के बाद इन सुविधाओं को बंद कर सकता है, किराएदार के नल बिजली के कनेक्शन काट सकता है।
किराएदारी के संबंध में जो कानून हैं वे भारत में अलग अलग राज्यों में भिन्न भिन्न हैं। प्राय: उन सभी में यह उपबंध है कि मकान मालिक किराएदार द्वारा नल बिजली की राशि का भुगतान अदा न करने पर किराया नियंत्रक के यहाँ आवेदन कर के नल बिजली के कनेक्शन काटने की अनुमति प्राप्त कर के नल बिजली के संबंध विच्छेद कर सकता है। लेकिन यदि वह इन की राशि बकाया होने की स्थिति में बिना किराया नियंत्रक की अनुमति के भी इन संबंधों का विच्छेद कर देता है तो किसी भी कानून में उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। किराएदार को भी यह अधिकार है कि यदि नल बिजली की कोई राशि बकाया नहीं है और नियमित रूप से इन राशियों को चुकाने को तैयार है तो वह न्यायालय से निर्देश प्राप्त कर सकता है कि मकान मालिक उस की इन सुविधाओं को चालू रखे और मकान मालिक द्वारा पुनः चालू न करने पर पृथक से लगवा ले।
आप को चाहिए कि किराएदार से मकान खाली कराने व बकाया किराया वसूल करने का मुकदमे में आप ने जिस वकील की सेवाएँ प्राप्त की हैं उस से यह सलाह लें कि आप को किराएदार का कनेक्शन किराया नियंत्रक (अदालत) से अनुमति प्राप्त कर के काटना चाहिए या फिर बिना ऐसी कोई अनुमति प्राप्त किए काट देना चाहिए, और उस की सलाह के अनुसार कार्यवाही करनी चाहिए।
विभाजन प्रस्ताव की शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद सर