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कानूनी लड़ाई के स्थान पर पत्नी के साथ एकान्त में समय बिताएँ और काउंसलर की मदद लें।

Independence-Day


तीसरा खंबा के सभी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस पर बधाई और शुभकामनाएँ !!!


समस्या-

राजीव भारद्वाज ने सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

rp_play_habeas_rb.jpgमेरी शादी 21 मार्च 2010 को मुरादाबाद से हुए थी। हम ने सभी ने मिलकर शादी का फंक्शन किया था। शादी से पहले मेरी फ़ोन पर जब भी उससे बात होती थी वह मुझे  बहुत तेज-तराक लगती थी। मैं ने अपनी फैमिली में बताया भी था, कि यह बहुत तेज लड़की है। शादी से पहले उसने मुझे बताया था कि मेरी फैमिली में सब ठीक है लेकिन मेरी मदर बहुत तेज है। उसने मेरी फैमिली के बारे में मुझे पूछा मैं ने कहा कि हमारी फैमिली में सब ठीक हैं, सभी इज्जत वाले हैं। शादी से पहेले मैं ने उनसे कहा था कि हमें मॉल धन नहीं चाहिए हमें बस इज्जत चाहिए। उसने मुझे कहा कि जब शादी हो जाएगी सब ठीक ही होगा।  पर हम दोनों की बदक़िस्मती से हमारी शादी हो गई। जिस दिन उनके गाँव में मेरी बारात गयी उस दिन उन्होंने हमारे बारातियो के साथ बहुत अभद्र व्यवहार किया। उन्होंने बारातियों को कोई भी मान सम्मान नहीं दिया, किसी को पानी या बैठने को भी नहीं पूछा। जब मैं ने बिचोलए को कहा तब उसने सब इंतजाम कराया था। मैं ने कहा कि अगर मान सम्मान नहीं देना था तो बारात नहीं बुलानी चाहिए थी। आप ने हमारी भी नहीं छोड़ी, क्योंकि सभी बोलते थे कि प्रधान जी के बेटे के शादी में गए थे देखा क्या हुआ? मुझे इतनी शर्म लगती थी कि किसी के सामने बैठने को भी मन नहीं करता था। कुछ बाराती तो वहां के फोटो भी खीच के लाए थे, उन्होंने गाँव में दिखाई थी। मैं ने अपने पत्नी से कहा कि ये सब बहुत गलत हुआ है, तो उसने मुझ से कहा कि इस में मेरी कोई भी गलती नहीं है, मेरे घर वालों की गलती है। मैं ने कहा चलो जो हुआ सो हुआ लेकिन आप ठीक रहना। इसके लिए मेरे गाँव वाले भी गवाह है। शादी के कुछ दिन बाद ही  मेरी सास ने अपनी लड़की को सिखाना शुरू कर दिया। उसको सलाह देनी शुरु कर दी की तू इन सब से अलग हो जा। लड़के को अपने बस में कर ले। इस के माँ बाप को परेसान करना शुरु कर दे। ये तुझे अलग कर देंगे। उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया। बहुत से बार तो उस ने मुझ से भाग जाने के लिए भी बोला कि मैं यहा नहीं रहूंगी, मैं भाग जाउंगी। एक दिन मैं ने उस से परेसान हो कर कहा कि ऐसी बात है तो तू भाग जा मैं किसी से नहीं बताऊंगा, मैं खुद ही संभाल लूंगा, लेकिन अगर इस घर में दोबारा वापस लौट कर आई तो फिर अच्छा नहीं होगा। फिर वह कुछ दिनों तक ठीक रही, अभी मेरे दो बेटे हैं।  मेरे घर में मेरी सास की दखलंदाजी बहुत रही है। पत्नी उसी हिसाब से चलती है उस की प्रकृति गुस्से वाली और जिद्दी है। मैं भी जिद्दी हूँ। पर अगर मेरी ग़लती हो तो मैं ग़लती मान लेता हूँ। पर उस के घर वाले और वो ना तो ग़लती मानते हैं, बल्कि झूठ व ग़लत बोलते हैं। मेरी सास के कहने से मेरी पत्नी घर में लड़ाई करती थी तथा घर का काम करने से भी मना करते थे जिस की रेकॉर्डिंग मेरे पास है। घर में कोई बात होती तो वो एक फोन पर ही भागे भागे आते और हमें ग़लत सलत तथा बदतमीजी से बोलते। लड़की को लेकर जाने की धमकी देते। कई बार लेकर भी गए हैं। ऐसा ३-४ बार हो चुका है। शादी के बाद उन्होंने हमारे कोई रीति रिवाज पूरे नहीं किये। मैं ने कई बार अपनी सास को बोला कि आप इतना सिखा कर अपनी लड़की का घर बर्बाद कर रहे हो, घर बसा नहीं रहे हो, इसको अछी शिक्षा दो। आप सही नहीं कर रहे हो और मेरे ही सामने अपनी लड़की को बढ़ावा दे रहे हो कि हम देख लेंगे। हमारे घर में उन्होंने बहुत आग लगा दी है। मेरे रिश्तेदार भी उनको बहुत समझा चुके हैं। उन की अपने रिश्तेदारों से नहीं बनती, ना ही अपने परिवार वालो से। वो किसी की सलाह मानते ही नहीं। उन्हें रिश्तेदारी निभानी ही नहीं आती और ना ही अड़जस्टमेंट करनी आती है, ना ही किसी की इज्जत।  अभी हाल ही  में मेरे साले ने सभी गली मोहल्ले वालों के सामने हमारे घर पर आकर बद्त्तमीजी की। अभी वह फिर दुबारा  कुछ बदमाशो को लेकर हमारे घर पर आया और  लेकिन वो जिन बदमाशो  को लेकर आया था हमारे घर पर आकर उन्होंने सब बातें सुनी और उनको गलत ठहराया। उन्होंने उनको ये भी कहा के तुम लोग अपने बहन का घर बर्बाद करने के लिए हमें यहाँ लाये थे क्या? वो तो उन्होंने सचाई को पहचान लिया नहीं तो अनर्थ हो जाता। वे इन बदमाशों को हमें मरवाने के लिए यहाँ लाये थे। मेरे साले का दोस्त वकील है वो भी उनको गलत सलाह दे रहा है और हमें डरा धमका रहा है। उस ने भी उस दिन उसने भी बहुत शराब पी रखी थी। उसकी रिकॉर्डिंग भी मेरे पास है। उन के घर में मेरी सास की ही चलती है। उन्हें कोई समझाने वाला है ही नहीं। मेरे बड़े साले ने उनको समझाया तो उस से भी बात करनी छोड़ दी है। उस से मेरी बात होती है, वो कहता है के ये सब तो मूर्ख हैं भाई किसी भी तरह आप अपना घर बसा लो बाद में सब सही हो जाएगा।  अभी तक मेरी शादी शुदा जिंदगी में मैंने और मेरे परिवार ने ही अडजस्टमेंट की है उसके घर वालो ने कभी अड़जस्टमेंट नही की है। हम आज तक चुप है और वो हमारे घर एकदम आकर हमें ग़लत और बद्तमीजी से बोल जाते हैं। मेरे घर वाले उनके लिए चाय पानी रोटी सब्जी का इंतज़ाम करते रहते हैं। मेरी शादी में भी वहां उनके रिश्तेदार बहुत कम आए थे। ऐसा लग भी नहीं रहा था की इन के यहां पे शादी है। क्यों कि उन की किसी से बनती ही नहीं है। मेरे पास पिछले एक साल की रेकॉर्डिंग्स है। वो घर बसाना चाहते हैं पर हर बार नई शर्तों के साथ। मेरे रिश्तेदार भी कह रहे हैं कि एक मौका दो। शायद अब अक्ल आ गई हो। पर वो सभी ऐसे ही अड़े हुए हैं। मुझे डर है कि जब वो इतने समय बाद भी सही बात नहीं कर रही तो कल को क्या होगा? आख़िर मियां बीवी में लड़ाई तो होती ही है और कल को लड़ाई होने पर वो मेरा, मेरे पिता जी, जीजा जी और बाकी रिश्तेदारों का नाम ना लिखा दे। उस के पिताजी ने एक बार मेरे सामने अपनी लड़की को कहा था कि ज़्यादा तंग हुई तो तू ख़ुदकुशी कर लेना बाकी हम देख लेंगे। वो बिना सोचे समझे बोलते हैं। कहने को पढ़ी लिखी फैमिली है पर बोलने और रिश्तेदारी निभाने की तमीज़ बिल्कुल नहीं है। मेरी सास ने मेरे और मेरी पत्नी के बीच मे प्यार और अपनापन बनने नहीं दिया। क्यों कि जब कभी हमारी बहस होती वो अगले दिन आ जाते और लड़की ले जाते। लड़की को कभी नहीं कहा कि इस बार तू ग़लत है या बेटी तू भी कुछ अड़जस्ट कर। हर बार उस के सामने मुझे ही ग़लत कहा है। वो पहले मुझे अपनी सिटी में या पास के शहर में शिफ्ट करने को कहते थे। ताकि मैं उन से डर के रहूँ और कुछ बोल ही ना सकूँ। वो मुझे घर से अलग होने को कहते हैं। कभी कहीं और नया घर बनाने को कहते हैं। कभी ऊपर नया घर बनाने को कहते हैं। कुछ समझ नहीं आ रहा। चलो मैं उसकी मम्मी के कहने पर उसको अलग भी लेकर रहने लगूं। लेकिन जब कोई लड़की अपने हस्बैंड के सामने भागने को बोलती है तो उसका हस्बैंड उस पर कैसे विश्वास कर सकता है क्योकि वो विश्वास के लायक ही नहीं है। मैं उसको लेकर अलग नहीं रह सकता। क्यों कि उन्होंने मेरा विशवास खो दिया है। क्यों कि मेरी सास की भी दूसरी शादी हुए थी। पहले वाले को मार दिया था। मेरी वाइफ बोलती है की उनकी माँ ने उन्हें मार दिया था क्योंकि वे मेरी ममी की ही बात सुनते थे। इसलिए उनकी माँ ने उन्हें मार दिया था। पर कोई भी माँ कितने भी कट्टर दिल की हो लेकिन अपने लड़के को नहीं मार सकती क्योकि वह तो उनके अकेला लड़का था। क्यों कि वह सारी करामात इसकी मम्मी की ही थी और लगा दिया उनकी माँ का नाम। अब यही काम वो अपने लड़की से कराने जा रही है। तीसरा खंबा में आप हर बार कहते हो कि लड़की को समझो प्यार से कहो और मनाओ। मैं ये सब करके देख चुका हूँ वो नहीं मानती और जब ज़िद पर अड़ जाती है तो अड़ी रहती है। फिर उसे रिश्तेदारी, बड़े छोटे का भी ख्याल नहीं रहता और उसके घरवाले तो उसी का साथ देते हैं। मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते में बहुत दूरी आ चुकी है, जो अब ख़त्म नहीं हो सकती और आख़िर मैं भी कितना झुक सकता हूँ। आख़िर हर चीज़ की लिमिट है। मुझसे और ज़्यादा नई झुका जाएगा और ज़बरदस्ती रिश्ता निभा कर कल को ज़्यादा फँस ना जाओ। अब मुझे सच के लिए और बाकी घर वालों को बचाने के लिए क्या कार्यवाही का सामना करना चाहिए? क्यों कि जिंदगी जीने के लिए कुछ ना कुछ तो अड़जस्टमेंट करनी पड़ती है पर वो परिवार बिल्कुल भी नहीं करता, सिर्फ़ अपनी मर्ज़ी चलाता है।  पर उन्हें कहे कौन? उसके माँ-बाप का अड़ियल नेचर तो बदला नहीं जा सकता और ना ही किसी लड़की को माँ-बाप से अलग किया जा सकता है। लड़की को भी अपने अच्छे बुरे का पता नहीं लग रहा है। उसे सिर्फ़ अपनी ज़िद और ईगो प्यारी है। अब मैं सारी उमर झुक कर तो जी नहीं सकता। तो क्या करूं। अगर में फैसले के लिए कहता हूँ तो वो फैसले के लिए मना करते है, कहते है के हम आपको परेशान करेंगे अपने ही यहाँ पर कोर्ट की चक्कर लगवा देंगे क्योंकि वहाँ पर उनकी बदमाशी चलती है। इस की सब रिकॉर्डिंग मेरे पास है। पर अब सोचता हूँ कि अगर वो मेरे परिवार को तंग कर रहे हैं तो मैं भी करूँगा। अगर केस चलता है तो कोर्ट उनके वहाँ का लगेगा या हमारे यहाँ का? या फिर जो कि हमारे और उनके बीच (सेंटर) में है वहाँ का लगेगा। क्यों कि मुझे इस बात का डर है कि कोर्ट उन के वहाँ का लगेगा तो वो लोग बदमाशों से हमें परेशान कराएँगे। क्यों कि वहा पर उनका वकील भी कुछ इस टाइप का है, और बार बार तारिख ले कर हमें अपने यहाँ के चक्कर कटवाएंगे। मैं चाहता हूँ कि कोर्ट सेंटर का लगे जो उनके और हमारे बीच में हो। क्या ऐसा हो सकता है कि नहीं। आपकी सलाह से ही चलने की सोच रहा हूँ। दिमाग़ में दोनो बाते हैं घर बार बार नहीं बसते। पर अगर बीवी आपको ना समझे तो फिर घर कभी भी नहीं बसता। इन सभी बातों के गवाह मेरे मोहल्ले वाले भी हैं क्यों कि उन सभी ने यह सब देखा है।

समाधान

दि कोई आप को तंग कर रहा है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि आप भी उन्हें तंग करें। यदि आप भी ऐसा करते हैं तो फिर आप में और आप की ससुराल वालों में क्या फर्क रह जाएगा। वस्तुतः आप के कष्ट का कारण हमारे यहाँ की विवाह की रीति है। इस रीति में सब कुछ होता है पर होने वाले पति-पत्नी को पहले मिलने नहीं दिया जाता। वे मिलते भी हैं तो अन्य परिजनों की उपस्थिति में जिस से उन के बीच कोई बात-चीत नहीं होती और एक दूसरे को समझने का अवसर नहीं मिलता। डेटिंग को हमारे यहाँ बुरा माना जाता है। जिस लड़के से लड़की ब्याही जा रही है उस लड़के पर विश्वास तक नहीं किया जाता। पति पत्नी के बीच विवाह के पहले कोई आपसी विश्वास विकसित ही नहीं होता है। अविश्वास बना रहता है, जो कभी कभी जीवन भर चलता रहता है। आप के साथ भी ऐसा ही हुआ है। भारत और भारतीय उपमहाद्वीप में यह जो पद्धति है उस का यही परिणाम लाखों करोड़ों लोग भुगत रहे हैं लेकिन उसे बदलने को तैयार नहीं हैं।

प के मामले में महत्वपूर्ण झगड़ा कुछ भी नहीं है सिवा इस के कि आप के वैवाहिक जीवन में सास का हस्तक्षेप बहुत अधिक है। उस का प्रमुख कारण आप की पत्नी को आप के प्रति विश्वास न होना है। यदि वह आप पर विश्वास करने लगे तो आप की सारी विपत्ति का अन्त हो सकता है। आप भी विवाह के समय की बातें अभी तक गांठ बांधे हुए हैं जिन का जिक्र आप ने यहाँ किया है। आप जरूर अपनी पत्नी को भी यह सब बातें कहते रहते होंगे। यह सब भी आप के बीच आपसी विश्वास कायम न होने का बड़ा कारण है। आप दोनों को चाहिए कि आप दोनों पुरानी बातें भूलें और नए सिरे से एक दूसरे पर विश्वास कायम करते हुए अपने भविष्य का जीवन बिताने का तय करें। इस के लिए आप दोनों को अपने आस पास के किसी अच्छे काउंसलर से सलाह करते हुए मदद लेनी चाहिए। उस की सलाह हो तो कुछ दिन के लिए दोनों को घर से बाहर घूम कर आना चाहिए। जब आप दोनों अकेले किसी यात्रा पर रहेंगे तो आप दोनों के बीच नजदीकियाँ बढ़ेंगी और हो सकता है कि आप दोनों में आपसी विश्वास कायम हो जाए यदि ऐसा हुआ तो आप की समस्या का हल निकल आएगा।

दि आप किसी भी तरह का मुकदमा करते हैं तो उस की प्रतिक्रिया यह होगी कि पत्नी मायके चली जाएगी और वहाँ से मुकदमे करेगी। उन मुकदमों में आप को उस के यहाँ ही जाना होगा। कोई भी मुकदमा यदि होगा तो या तो आप की ससुराल में होगा या फिर आप के नगर में होगा। बीच का कोई मार्ग नहीं है। मुकदमा किस स्थान पर होगा इस का निर्णय इस बात से होगा कि कौन किस तरह का मुकदमा कर रहा है। हमारी राय तो यह है कि आप किसी तरह का मुकदमा न करें। बेहतर है कि आप अपनी पत्नी के साथ हर महिने दो-चार दिन कहीं घूमने जाएँ और साथ समय बिताएँ साथ ही किसी काउंसलर की मदद लें तो बात बन सकती है।

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