किराएनामे में शर्त न हो तो व्यवसायी किराएदार अपना व्यवसाय बदल सकता है।
नितिन शर्मा ने कोटा, राजस्थान से पूछा है-
मेरे पिता ने हमारे शहर कोटा के मेन मार्केट में एक दुकान किराए पर पिछले 40 साल से ले रखी है। जिसमें वे किराने का काम करते हैं। 20 साल पहले दुकान मालिक ने हमारा किराया 10 गुना बढ़ाने के लिए कहा। पिता जी ने बढाने के लिए मना किया तो दुकान मालिक ने किराया लेने से मना कर दिया और खाली करने के लिए कहने लगा तो पिता जी ने अदालत में केस कर दिया। जिसका 10 साल बाद फैसला हुआ कि दुकान मालिक दुकान खाली नहीं करा सकता और किराया 10% के आधार से बढ़ा सकता है। हम किराया अदालत के बताए बैंक खाते में हर महीने समय से जमा करा देते हैं। मेरे पिता जी की उम्र 75 साल की हो गई है। हम दो भाई हैं, बड़ा भाई पिछले 10 साल से अलग रहता है और अपना अलग ही काम करता है। मैं पिता के साथ रहकर, कपड़े की शॉप पर नौकरी करता हूँ। हमारी चिंता यह है कि पिताजी के जीवनकाल के बाद पिताजी की दुकान पर हमारा अधिकार रहेगा या हमें दुकान खाली करनी पड़ेगी। दुकान मालिक तो चाहता है कि हम दुकान खाली कर दें। मगर अदालत के फैसले के कारण चुप है। अगर हमें दुकान खाली नहीं करनी पड़े तो क्या हम उस में व्यापार बदल सकते हैं? हमें क्या करना चाहिए?
समाधान-
यदि कोई किराए के परिसर में व्यवसाय करता है और उस का देहान्त हो जाता है तो परिवार का जो भी व्यक्ति उस व्यवसायी के साथ व्यवसाय में काम करता था वह उस के उत्तराधिकारी के रूप में उस दुकान में किराएदार रह सकता है। यदि कोई भी उस के व्यवसाय में साथ काम नहीं कर रहा होता है तो वह किराएदार नहीं रह सकता और परिसर का स्वामी उस से वह परिसर खाली करवा सकता है।
यदि किराएदार और परिसर स्वामी के बीच कोई किरायानामा है और उस में यह शर्त है कि किराएदार जो व्यवसाय कर रहा है उस के अतिरिक्त कोई व्यवसाय नहीं कर सकता और यदि वह व्यवसाय बदलता है तो परिसर स्वामी की अनुमति लेगा तो किराएदार परिसर स्वामी की अनुमति के बिना व्यवसाय नहीं बदल सकता। मुझे लगता है कि आप के पिताजी और परिसर स्वामी के बीच कोई किरायानामा वजूद में नहीं है और आप के पिता बिना परिसर स्वामी की अनुमति के अपना व्यवसाय बदल सकते हैं। बस नया व्यवसाय ऐसा होना चाहिए जिस से कोई न्यूसेंस उत्पन्न न हो।
आप के मामले में यदि आप वर्तमान में पिता के जीवनकाल में ही उस व्यवसाय में पूर्णकालिक काम करने लगें तो पिताजी के जीवनकाल के बाद भी आप किराएदार के रूप में उस दुकान को अपने पास बनाए रख सकते हैं अन्यथा नहीं। आप यह कर सकते हैं कि आप पिताजी के वर्तमान व्यवसाय में पूर्णकालिक काम करने लगें। पिताजी के जीवनकाल के उपरान्त भी कुछ समय तक करते रहें और बाद में अपना व्यवसाय बदल लें। दूसरा विकल्प यह है कि आप के पिता वर्तमान में ही व्यवसाय बदल लें और आप इस नए व्यवसाय में पूर्णकालिक काम करने लगें।