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वाद संस्थित कर अस्थायी और स्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त करें।

समस्या-

शिवशरण सिंह ने ग्राम व पोस्ट कंचनपुर, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश -201 821 ने पूछा है-

एक व्यक्ति ने वर्ष 2001 में अपनी भूमि रकबा 0.126 हेक्टेयर हमारे विद्यालय को बजरिए नोटरी इकरारनामा रूपए एक लाख लेकर कब्जा सहित दे दी थी।  विद्यालय ने भवन बना लिया, फिर २००३ में शर्त के मुताबिक उसने एक सिविल वाद में अपने अधिकारों की घोषणा विद्यालय के पक्ष में कर दी। फिर उसने वही भूमि 2004 में दूसरों को बेच दी। आज १६ साल बाद क्रेता स्कूल से भूमि खाली करने का दबाव बना रहे हैं तो हम क्या करें?


समाधान-

वर्ष 2001 में आपके विद्यालय के लिए जमीन खरीदने का एग्रीमेंट किया उसे नोटेरी के यहाँ सत्यापित भी कराया। विक्रय मूल्य रुपए 1 लाख भी आपने विक्रेता को अदा कर दिया और कब्जा प्राप्त कर लिया। आपकी गलती यह है कि आपने विक्रय पत्र निष्पादित करवा कर उस का पंजीयन नहीं करवाया। ऐसा नहीं करने का कोई कारण भी आपने अपनी समस्या के विवरण में हमें नहीं बताया। किसी 100 रूपए से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति का हस्तान्तरण जिसमें दान, विक्रय, हकत्याग आदि सम्मिलित है विलेख के निष्पादन और पंजीकरण के बिना नहीं होता साक्ष्य में मान्य नहीं होता। इस तरह पंजीकृत हस्तान्तरण विलेख के अभाव में विद्यालय समिति को उस भूमि का स्वामी नहीं माना जा सकता।

लेकिन सम्पत्ति हस्तान्तरण अधिनियम की धारा 53-ए आंशिक अनुपालन के बारे में है। इस धारा में यह प्रावधान है कि यदि किसी अचल सम्पति के हस्तान्तरण की कोई संविदा होती है और संविदा की आंशिक पालना में क्रेता स्थायी संपत्ति का कब्जा प्राप्त कर लेता है और यदि उसका कोई मूल्य बकाया हो तो उसे देने को तैयार हो और हस्तान्तरण विलेख का पंजीयन कराने को तैयार हो तो विक्रेता उससे उस संपत्ति का  कब्जा वापस प्राप्त नहीं कर सकता।

आपने वर्ष 2003 में कोर्ट में किसी घोषणा का उल्लेख किया है। वह क्या है इस का विवरण आपने हमें नहीं दिया है। लेकिन किसी भी घोषणा से संपत्ति के अधिकार का हस्तान्तरण संभव नहीं है। फिर भी जब भूमि के स्वामी ने आपको जमीन पर कब्जा दे दिया है और आपने उस पर भवन बना लिया है और अभी तक कोई आपत्ति नहीं की है तो यदि क्रय करने की कोई लिखित संविदा न भी हो तब भी इस भूमि को विद्यालय के पास लायसेंस पर मानी जाएगी और लायसेंस की भूमि पर स्वामी की अनुमति से भवन बना लिए जाने पर वह लायसेंस समाप्त होने योग्य नहीं रह जाता। इस अवस्था में भी आप उस भूमि पर विद्यालय का कब्जा बनाए रख सकते हैं।

फिलहाल आप अदालत में उक्त हस्तांतरित भूमि पर अपना कब्जा बनाए रखने और विद्यालय आदि संचालित करने में बाधा न डालने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा का वाद संस्थित कर अस्थायी निषेधाज्ञा के लिए आवेदन प्रस्तुत कर ऐसी अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।

विद्यालय की भूमि का वैध स्वामित्व प्राप्त करने के लिए आपको विक्रय पत्र का पंजीयन अपने पक्ष  में करवाना होगा अथवा कब्जे के आधार पर ग्राम पंचायत से पट्टा बनवाना पड़ेगा। यह कैसे हो सकता है यह आपके दस्तावेज देखे बिना बताया जाना सम्भव नहीं है। बेहतर है इस मामले में किसी स्थानीय दीवानी मामलों के वकील का परामर्श और सहायता प्राप्त कर स्वामित्व प्राप्त करने के लिए कार्यवाही करें। इस बात पर अपने वकील से अवश्य परामर्श कर लें कि यह कार्यवाही भी निषेधाज्ञा के साथ ही करनी है या नहीं। क्योंकि एक ही वादकारण पर आप दूसरा दावा नहीं कर सकते।

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