DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

जहाँ विपक्षी का शाखा कार्यालय हो वहाँ उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है।

lawसमस्या-
प्रशांत चौहान ने इंदौर, मध्य प्रदेश से पूछा है-

मेरी एक निकटतम महिला पारिवारिक मित्र मूलतः मुम्बई के निवासी हैं। वे कुछ माह पूर्व अपने परिजनो से मिलने अहमदाबाद गई थीं। वहाँ से कुछ दिन पश्चात पुनः मुम्बई वापसी हेतु उनके द्वारा अहमदाबाद के रेलवे आरक्षण कार्यालय से फ़ार्म भरकर टिकट बुक कराया था। उस फ़ार्म में जो दिनांक उन्होंने अंकित की थी, रेलवे के आरक्षण कर्मचारी लिपिक ने उसके स्थान पर उसी दिन को आगामी माह का टिकट बना दिया। इस बात का पता जब चला जब वे अपनी निर्धारित तय तिथि पर स्टेशन पहुँची। टिकट चूँकि आगामी माह का था तो वे टिकट में दर्शायी सीट एवं कोच में यात्रा करने की पात्र नहीं थी। काफी जद्दोजहद एवं टिकट परिचारक से निवेदन एवं दंड राशि भुगतान पश्चात वे उसी दिनांक को अन्य कोच कि अन्य सीट पर दण्डित किराए के साथ उसी ट्रेन से अपनी यात्रा संपन्न की। इस बीच काफी परेशानी उन्होंने भुगती क्योकि उनके साथ और कोई सम्बन्धी यात्रा में नहीं था| उक्त त्रुटि एवं परिस्थितियों के लिए वे जिम्मेवार नहीं थीं। जिम्मेदार थे रेलवे आरक्षण कार्यालय एवं तत्कालीन लिपिक जिसने सही जानकारी देने के बावजूद सही दिनांक टिकट में अंकित नहीं की।  उक्त परिस्थितियो के निर्मित होने, एक अकेली महिला को परेशानी भुगतने इत्यादि के सम्बन्ध में योग्य क्षतिपूर्ति सम्बन्धी “सेवा में कमी” किये जाने सम्बन्धी वाद वे रेलवे प्रशासन अहमदाबाद के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में वाद दायर करना चाहती हैं। किन्तु वे खुद अपना प्रकरण लड़ पाने में असमर्थ हैं। उन्होंने मुझे उक्त कार्यवाही हेतु अधिकृत किया है। मेरे द्वारा गत माह उनके अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में सेवा में कमी किये जाने सम्बन्धी वाद पूर्व सुचना पत्र रेलवे प्रशासन अहमदाबाद को भेजा गया है जिसका कि आज तक योग्य प्रतिउत्तर प्रतीक्षित है।
पसे यह मार्गदर्शन चाहिए कि क्या मैं उनके अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में उक्त प्रकरण को जिला उपभोक्ता फोरम , जिला इंदौर में दायर कर सकता हूँ? क्योंकि मेरे मित्र मुम्बई के निवासी हैं एवं सेवा में कमी का मामला अहमदाबाद रेलवे के विरुद्ध है।

समाधान-

पभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 11 (2) (ए) देखें। इस में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी परिवादी अपना परिवाद जहाँ विपक्षी पक्षकार, विपक्षी पक्षकारों में से कोई एक, वास्तव में स्वेच्छा से निवास करता है या जहाँ वह व्यवसाय करता है और जिस का शाखा कार्यालय है या व्यक्तिगत लाभ के लिए काम करता है उस क्षेत्र के जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है।

प के इस मामले में यदि भारतीय रेल को आप विपक्षी पक्षकार बनाते हैं तो उस का कार्यालय इन्दौर में है। आप इन्दौर में परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।

लेकिन तथ्यात्मक रूप से इस विवाद में यह परेशानी हो सकती है कि आप ने जो स्लिप भर कर दी है वह रिकार्ड में उपलब्ध होगी और उस में आप की मित्र ने ही गलती से माह अगला भर दिया होगा तो आप का परिवाद निरस्त हो सकता है। इस के अतिरिक्त यह तर्क भी रेलवे की और से आ सकता है कि टिकट को तुरन्त देख लिया जाना चाहिए था कि वह सही समय व तिथि का दिया गया है या नहीं और उस की शिकायत तुरन्त ही करनी चाहिए थी। मुकदमा लड़ने पर इस तर्क को असफल करने की तैयारी भी साथ ही कर लें।

Print Friendly, PDF & Email
3 Comments