किरायानामा कैसे लिखा जाए ?
| तीसरा खंबा के स्थाई पाठक अश्विनी ने पूछा है –
मुझे अपनी दुकान किराए पर देनी है मुझे किरायानामा या किराये का एग्रीमेंट किस तरह करना चाहिए कि दुकान पर कब्जा ना हो सके।
उत्तर –
अश्विनी जी,
आप ने जो प्रश्न पूछा है उसे अनेक पाठक मुझ से पूछते रहते हैं। हर मकान मालिक को यह शंका होती है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि किराएदार ही मकान मालिक बन बैठे। लेकिन यह शंका निर्मूल है। यदि इस तरह का किराएदार द्वारा हस्ताक्षरित कोई भी दस्तावेज आप के पास हो कि आप का किराएदार आप के मकान या दुकान का उपयोग किरायेदार की हैसियत से ही करता है और उस दस्तावेज को आप अदालत में साबित कर सकते हों तो आप परेशान न हों किराएदार सदैव ही किराएदार ही रहेगा, वह कभी भी मकान मालिक की हैसियत प्राप्त नहीं कर सकता।
किराएदारी के संबंध में भारत में कोई एक केन्द्रीय कानून प्रभावी नहीं है। यह मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र का है और इस के लिए सभी राज्यों में पृथक-पृथक किराएदारी कानून बने हुए हैं। लेकिन सभी किराएदारी कानूनों में यह सख्त प्रावधान है कि यदि कोई किराएदार किराएदारी वाले परिसर पर अपना हक जमाता है , और किराएदार होने से इन्कार करता है तो यह एक तथ्य ही इस बात के लिए पर्याप्त है कि उस से मकान खाली करा लिया जाए।
किराएदार और मकान मालिक के बीच के संबंध राज्यों के कानूनों से निर्धारित होते हैं। जिन में इस तरह के प्रावधान हैं कि किराएदार और मकान मालिक के संबंध क्या है? परिसर को किन आधारों पर खाली कराया जा सकता है?किराया कब बकाया होगा और कब चुकाया जाएगा? आदि आदि। इस कारण से किरायानामा का कोई बड़ा महत्व नहीं रह जाता है। लेकिन फिर भी किराएनामे का लिखा जाना, उस पर मकान मालिक और किराएदार और कम से कम दो गवाहों के हस्ताक्षर होना आवश्यक है जिस से मकान मालिक स्वयं को मकान मालिक और किराएदार को किराएदार साबित कर सके। किराये नामे में यह तथ्य होने आवश्यक हैं कि कितना परिसर किराए पर दिया जा रहा है, किराएदारी कब से आरंभ होगी, किराया क्या होगा तथा किराएदार किन किन सुविधाओं का उपयोग कर सकेगा तथा किरायेदारी वाले परिसर को किन-किन कामों के लिए उपयोग में ले सकेगा। किरायेदारी समाप्त करने के लिए कितने दिन का नोटिस देना पर्याप्त होगा, आदि आदि। शेष अन्य बातें किरायेदारी कानून से निर्धारित होंगी, इस कारण से किराएनामे में उन का उल्लेख किया जाए तो भी उस से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हाँ इतना अवश्य है कि आप किराएनामे को राज्य में निर्धारित मूल्य के स्टाम्प पर लिखवाएँ और कम से कम नोटेरी से सत्यापित करवा लें।
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8 Comments
मंदिर के नाम हे शॉप तो उसको खली करवाने और किराया बरने का क्या नियम हे
Sir ..Maine meri dukan.kiraye pr de rakhi h..maine koi bhi document nhi.le rakhe or na hi kiraynama h..to kirayedar ne dukan.pr .Kabja kr liya h..m.kya kru
श्री मान
मेरे पिताजी ने करीब ३० वर्ष पहले एक दुकान किराये पर दी थी जिसमे सरकारी राशन की दुकान है और आज भी ये ही दुकान है राशन की दुकान| श्री मान मेरे पिताजी का देहांत ६ वर्ष पहले हो चूका है मेरी माता जी करीब ७० वर्ष की है हम ३ भाई हैं और माँ से अलग रहते है |
श्री मान जी मैं आप से ये पूछना चाहता हूँ की क्या मेरी माता जी अपनी दुकान खाली करा सकती है या फिर सरकारी दुकान होने के कारण नहीं करा सकती| श्री मान जी जो किरायेदार है वो अब मुंबई रहता है और दुकान किसी दुसरे को दे रखी है और कागज पर अपना नोकर लिखवा रक्खा है लेकिन वह हर महीने १२००० रुपे लेता है|
श्री मान जी आप मेरे को इसका उचित रास्ता बताने का कष्ट कर सकते हैं ?
manoj का पिछला आलेख है:–.वाहन पार्क कर के रास्ता रोकना न्यूसेंस है, न्यायालय से निषेधाज्ञा जारी कराएँ और पुलिस को रिपोर्ट करें
अच्छी जानकारी…
बहुत अच्छी जानकारी दी आप ने , लेकिन मैने देखा हे अकसर किरायेदार मकान ओर दुकान पर कब्जा कर लेते हे, ओर उन्हे निकलना असमभव सा हो जाता हे, मेरे एक रिश्ते दार ने तो दुकान ही जब्त कर ली
उपयोगी जानकारी. लेकिन आज के समय में प्रायः किराया प्राप्ति की रसीद मकान-मालिक देते ही नहीं हैं और गरजमन्द किरायेदार को उस स्थिति को स्वीकार करते हुए ही किरायेदार बनना मंजूर करना होता है ।
एग्रीमेंट का नमूना देकर आपने बहुत अच्छा किया. आभार.
bahut upayogee jaanakaaree| kyaa ghar kaa kiraayaanaamaa bhee aise hee likhaa jaayegaa?