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बैंक द्वारा अनादरित चैक खो जाने पर उपभोक्ता विवाद प्रस्तुत करें।

Bank-Account-Closedसमस्या-
बैतूल, मध्यप्रदेश से शुभि ने पूछा है-

म ने एक चैक 9,00,000/- रुपए का बैंक मे क्लियरिंग के लिए डाला था। लेकिन यह चैक खाता बन्द हो जाने के कारण अनादरित हो गया। चैक बैंक की गलती से गुम हो गया है। हम क्या अब उस व्यक्ति धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम का मुकदमा दायर कर सकते हैं?

समाधान-

प ने यह नहीं बताया कि आप का चैक चैक-दाता का खाता बन्द हो जाने के कारण अनादरित हो जाने का ज्ञान कैसे हुआ? निश्चित रूप से बैंक ने ही आप को बताया होगा। बैंक रिकार्ड में अनेक स्थान पर इस तथ्य का उल्लेख होता है कि किस ने कौन से बैंक का किस नंबर का चैक समाशोधन के लिए प्रस्तुत किया, वह क्लियरिंग को भेजा गया। क्लियरिंग ने उसे संबंधित बैंक को भेजा, संबंधित बैंक ने अपना रिकार्ड जाँच कर चैक पर टिप्पणी की कि खाता बन्द हो गया है। उसे वापस आप के बैंक को भिजवाया। आप को धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम का मुकदमा  करने के लिए सारा रिकार्ड एकत्र करना पड़ेगा। यह सारा रिकार्ड आप को उस बैंक से प्राप्त होगा जिस में आप ने अपने खाते में चैक को समाशोधन के लिए जमा करवाया था।

बैंक की यह जिम्मेदारी थी कि वह आप के चैक को वापस लौटाता। इस प्रकार बैंक ने उक्त चैक को गुम कर के सेवा में त्रुटि की है जो उपभोक्ता विवाद का कारण है।

धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम का मुकदमा केवल तभी किया जा सकता है जब कि बैंक आप को लिखित में सूचित करे कि आप का चैक किस कारण से अनादरित हो गया है, बैंक इस पत्र के साथ आप को आप का चैक भी लौटाता है। आप को अनादरण की सूचना बैंक से प्राप्त होने के बाद 30 दिनों में ही आप धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम के अन्तर्गत चैक दाता को चैक की राशि का भुगतान करने का नोटिस दे सकते हैं तथा नोटिस उसे प्राप्त होने पर 15 दिन बाद वादकारण उत्पन्न होता है। वादकारण उत्पन्न हो 30 दिनों की अवधि में आप परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।

चूँकि चैक लौटाते हुए आप को बैंक का लिखित नोटिस आप को प्राप्त नहीं हुआ है इस कारण से आप को धारा 138 परक्राम्य अधिनियम के अन्तर्गत चैक दाता को चैक की राशि का नकद भुगतान करने का वाद कारण भी उत्पन्न नहीं हुआ है। अभी आप उसे नोटिस नहीं दे सकते और धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम के परिवाद के लिए प्रक्रिया आरंभ नहीं कर सकते।

लेकिन बैंक ने सेवा में जो कमी की है उस के लिए आप बैंक को नोटिस दे सकते हैं कि आप को चैक खो जाने से यह हानि हुई है कि आप चैक दाता को धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम का नोटिस नहीं दे सकते और कार्यवाही नहीं कर सकते। इस तरह आप इस 9 लाख रुपयों के नुकसान की भरपाई आप को हुए मानसिक और शारीरिक संताप के लिए राशि का भुगतान बैंक नोटिस प्राप्त होने के 15 दिनों में करे। यदि बैंक 15 दिनों में आप को यह भुगतान नहीं करता है तो आप बैंक के विरुद्ध जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं। इस मामले में बैंक को आप के नुकसान की भरपायी करनी पड़ेगी।

सा नहीं है कि कोई व्यक्ति कोई अपराध करे और केवल एक महत्वपूर्ण सबूत खो जाने के कारण उस के विरुद्ध अभियोजन न किया जा सकता हो। दूसरे परिस्थिति जन्य साक्ष्यों की बिना टूटी श्रंखला से अपराध साबित किया जा सकता है। बैंक को नोटिस मिलने के बाद वह सक्रिय हो जाएगा। या तो वह आप का चैक ढूंढ निकालेगा और आप को लौटाएगा। जब वह आप का चैक लौटा दे तब आप चैक दाता को नोटिस दे कर धारा 138 परिक्राम्य विलेख अधिनियम के मुकदमे के लिए नोटिस दे कर प्रक्रिया आरंभ कर सकती हैं। एक विकल्प यह भी है कि आप बैंक आप को वह सारा परिस्थितिजन्य रिकार्ड प्रदान करे जो बैंक में चैक जमा हो कर लौट कर आने तक दोनों बैंकों में रखा गया है। आप चाहें तो उस परिस्थितिजन्य रिकार्ड के आधार पर भी धारा 138 परक्राम्य अधिनियम का मुकदमा करने के लिए प्रक्रिया आरंभ कर सकती हैं।

क अन्य उपाय यह भी है कि जिस दायित्व के लिए चैक दाता ने आप को वह चैक प्रदान किया था उस दायित्व को साबित करने के लिए आप के पास साक्ष्य हों तो आप इन 9 लाख रुपयों को वसूल करने के लिए उस व्यक्ति के विरुद्ध दीवानी वाद भी प्रस्तुत कर सकती हैं और अपनी धनराशि ब्याज सहित वसूल कर सकती हैं। इस उपाय में आप को 9 लाख की राशि पर न्यायालय शुल्क पहले अदा करना होगा।

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