किसी गलत अपराधिक मामले से बचने के लिए सारे तथ्य अंकित करते हुए कानूनी नोटिस दिलवाएँ …
|समस्या-
अजमेर, राजस्थान से सुरेश कुमार ने पूछा है –
मेरे एक दोस्त की माँ को उस की नानी की मृत्यु के बाद नानी की नॉमिनी होने के कारण सावधि जमा का धन मिल गया। माँ उसे दुबारा सावधि जमा करना चाहती थी, मगर पिता जी उस धन को खेत मे खर्च करना चाहते थे। माँ ने एक अकाउंट पेयी चैक से अपना धन मेरे दोस्त यानी अपने बेटे के बैंक अकाउंट में हस्तान्तरित करवा दिया। माँ के कहने पर बेटे ने अपने नामे से सावधि जमा करली। इस पर पिता ने अपने पुत्र की पत्नी के जेवरात अपने पास रख लिए। जब पुत्रवधु ने अपने जेवरात माँगे तो पिता ने कहा कि मैं ने तो अपने काम के लिए उन जेवरात को बेच दिया। अब माँ अपनी सावधि जमा का धन वापस लेना चाहती है। मेरा दोस्त अपनी पत्नी के जेवरात सावधि जमा का धन वापस लौटाने को सहमत है लेकिन मगर पिता जी जेवरात देने को सहमत नहीं हैं। अब माँ और पिता जी दोनों एक हो कर कहते है कि अगर सावधि जमा का पैसा नहीं दिया तो वे पुलिस में रिपोर्ट कर देंगे कि उस ने धोखा देकर माँ के खाते से पैसा अपने खाते में हस्तान्तरित करवा कर सावधि जमा अपने नाम बनवा ली। दोस्त के पास किसी प्रकार की कोई लिखा-पढ़ी नहीं है। सावधि जमा की राशि और जेवरात की कीमत करीब बराबर ही है। चैक माँ के खाते का था लेकिन चैक में विवरण दोस्त के हाथ से लिखा गया था। क्या माँ ओर पिता जी उस के नाम रिपोर्ट लिखा सकते हैं, और क्या उस के खिलाफ कोई क़ानूनी धारा लग सकती है? उसे क्या करना चाहिए?
समाधान-
कोई भी व्यक्ति पुलिस में रिपोर्ट कराना चाहे तो कर सकता है उस पर किसी तरह की कोरई रोक नहीं है। यदि पुलिस समझती है कि कोई संज्ञेय अपराध हुआ है तो वह प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर के अन्वेषण कर सकती है और पर्याप्त सबूत होने पर अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है और न्यायालय में उस के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत कर सकती है।
जिस तरह यह मामला माता-पिता और पुत्र-पुत्रवधु के बीच है, उस से नहीं लगता है कि कोई रिपोर्ट माता-पिता द्वारा दर्ज कराई जाएगी। लेकिन फिर भी सावधानी रखना जरूरी है। जिस तरह आप के दोस्त को डर लग रहा है कि माता-पिता रिपोर्ट दर्ज करवा देंगे जब कि कोई अपराध आप के दोस्त ने किया ही नहीं है। उधर पिता द्वारा पुत्रवधु के जेवर रख लेना या उन्हें बेच देना तो गंभीर अपराध है। पुत्रवधु के जेवर उस का स्त्री-धन हैं। यदि ससुर उस के जेवर देने से इन्कार करता है या उन्हें बेच देता है तो यह धारा 406 आईपीसी के अन्तर्गत अमानत में खयानत का अपराध है। मेरे विचार में आप के दोस्त की पत्नी यदि रिपोर्ट दर्ज करवा दे तो दोस्त के माता-पिता दोनों ही मुकदमे में बुरी तरह से फँस जाएंगे। पुत्रवधु के प्रति मानसिक क्रूरता का बर्ताव करने के कारण धारा 498-ए के अपराध में भी उन के विरुद्ध मुकदमा बनेगा।
इस स्थिति में आप के दोस्त के पास सब से अच्छा उपाय ये है कि वे किसी स्थानीय वकील से संपर्क कर के अपनी और अपनी पत्नी की ओर से एक संयुक्त विधिक नोटिस अपने माता-पिता को भिजवाएँ जिस में ऊपर वर्णित समूची स्थिति का उल्लेख करते हुए यह कहें कि वह अपनी माता को सावधि जमा का धन लौटाने को सदैव तैयार रहा है और अब भी है। लेकिन माता-पिता अपनी पुत्रवधु के जेवर नहीं लौटा रहे हैं जिस से पुत्रवधु को गहरा मानसिक संताप हुआ है जो कि क्रूरता की श्रेणी में आता है तथा माता-पिता दोनों धारा 406 तथा 498-ए के अपराध के दोषी हैं। यदि वे नोटिस मिलने के बाद एक निश्चित अवधि 15 या 30 दिनों में जेवर लौटा दें तो आप का मित्र उसी समय सावधि जमा की जो राशि उसे चैक द्वारा दी गई थी उसे लौटा देगा, यदि माता-पिता उक्त जेवरात नहीं लौटाते हैं तो वे दोनों कानूनी कार्यवाही करने को बाध्य होंगे।
इस नोटिस से सारी बात स्पष्ट हो जाएगी तथा माता-पिता घर में बैठ कर ही सारे मामले को निपटा लेंगे। यदि फिर भी वे मामले को नहीं निपटाते हैं तो सारे तथ्य अंकित करते हुए आप का मित्र व उस की पत्नी एक संयुक्त रिपोर्ट पुलिस थाना को प्रस्तुत कर के प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है। इस तरह के मामलों में पुलिस भी पहले मामले को आपस में निपटाने को प्राथमिकता देती है। पुलिस के हस्तक्षेप से मामला निपट सकता है। इस नोटिस से कम से कम इतना तो होगा कि यदि माता-पिता कोई मामला दर्ज कराएंगे तो उस में आप के दोस्त व उस की पत्नी के पास पर्याप्त प्रतिरक्षा उपलब्ध रहेगी।