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किसी भी शिकायत या दावे को निर्धारित अवधि में ही अदालत ले जाएँ

अदालतों को समय बाधित मुकदमों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। हमारे उच्चतम न्यायालय ने ऐसा ही कहा है। किसी भी विवाद या शिकायत के लिए कानून ने एक समय सीमा निर्धारित की है। इस समय सीमा के रहते ही आप अपनी शिकायत या वाद अदालत के सामने रख सकते हैं। यदि आप ने अपनी शिकायत को दर्ज कराने में देरी कर दी तो फिर अदालत को आप की बात को सुनने का अधिकार नहीं है। उदाहरण के रूप में आप ने किसी को रुपया उधार दिया है। आप इस धन की वसूली के लिए तीन वर्ष की अवधि में अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। इस अवधि के व्यतीत हो जाने के उपरांत न्यायालय का द्वार इस धन की वसूली के लिए बंद हो जाएगा।

अवधि कानून न्याय व्यवस्था का एक मुख्य आधार है। यदि शिकायत या वाद प्रस्तुत करने की  कोई अवधि ही नहीं हो तो फिर कोई भी शिकायत कभी भी न्याय व्यवस्था के सामने लाई जा सकेगी और इस तरह के विवादों की भरमार हो जाएगी जिन का वास्तव में कोई मूल्य ही नहीं रह जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने अवधि के इस सिद्धान्त को  सी. जेकब बनाम डायरेक्टर ऑफ जियोलोजी एण्ड माइनिंग एवं अन्य के मुकदमे में निर्णय देते हुए इस पुनः रेखांकित किया है।

इस मामले में  अपीलार्थी जेकब ने 1967 में नौकरी में प्रवेश किया था तथा उस की सेवाएँ 1982 में अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण समाप्त कर दी गई थी। उस ने अठारह वर्ष बाद वर्ष 2000  में एक प्रतिवेदन अपनी सेवा समाप्ति के विरुद्ध विभाग को प्रस्तुत किया जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। जेकब ने ट्रिबुनल को अपील की  जिस पर प्रतिवेदन पर चार माह में निर्णय करने का आदेश विभाग को दिया गया। विभाग ने प्रतिवेदन को निरस्त कर दिया। जेकब ने मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की जिसे एकल पीठ ने स्वीकार कर लिया, किन्तु विभाग की अपील पर खंड पीठ ने एकल पीठ के निर्णय को उलट दिया। जेकब उच्चतम न्यायालय पहुंचा जहाँ यह निर्णय दिया।

अब जब भी आप को कभी लगे कि आप की किसी समस्या का हल न्यायालय के माध्यम से हो सकता है तो तुरंत यह पता करें कि इस मामले में कानून द्वारा कोई अवधि निर्धारित  तो नहीं है। यह पता लग जाने पर कि आप न्यायालय के समक्ष कब तक अपना मामला ला सकते हैं, यदि आप को मामला न्यायालय में ले ही जाना है तो निर्धारित अवधि में ले ही जाएँ या फिर अपनी शिकायत को भूल जाएँ।  न्यायालय अवधि के बाद उसे स्वीकार नहीं करेगा।

आप की समस्या यह हो सकती है कि आप कैसे पता करें कि किसी विशेष मामले को न्यायालय में ले जाने के लिए क्या अवधि निर्धारित है? तो आप के लिए तीसरा खंबा की कानूनी सलाह उपलब्ध है उस पर अपना प्रश्न दर्ज करा दें। आप को उत्तर मिल जाएगा।

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