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क्या आप पति से तलाक के बारे में सोच रही हैं?

पति पत्नी और वोसमस्या-
इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश से श्वेता चावला ने पूछा है-

मेरी शादी जनवरी 2011 में हुई थी।  शादी के कुछ दिनों के बाद से ही पति पर ससुराल वालो ने मेंटल टॉर्चर देना बात बात पर ताने देना गालियाँ देना और मेरे माँ-बाप को गालियाँ देना और उल्टे सीधे ताने मारना शुरू कर दिया था। काफ़ी सहने के बाद शादी के कुछ महीने के बाद मेरी जॉब लग गइ सत्यम पोलिटेक्निक पीतमपुरा नई दिल्ली में लग गई। शाम को घर पर वापिस आने के बाद भी मुझे घर के काम के लिए प्रताड़ित करना, ताने देना शुरु हो जाता। मैं गर्भवती भी थी।  मैने 4 महीने जॉब की मेरे गर्भधारण के आठवें महीने में मैं ने अपने पापा को दिल्ली बुला कर अपने साथ ले जाने को कहा क्यों कि ससुराल में मेरा ठीक से ध्यान नहीं रखा जाता था। सास और ननद से मानसिक प्रताड़ना मिलती थी। इलाहाबाद आने पर बेटी का जन्म हुआ जिस की सूचना मेरे पिता ने मेरे पति को दी। तब भी उन्हों ने मेरे पिता पर झूठा आरोप लगाया कि उन्हों ने बेटी के जन्म क सूचना नहीं दी और बेटी को देखने भी नहीं आए। मेरे बहुत बुलाने पर मुझे और बेटी को लेने के लिए तीन माह बाद आ कर ले गए। कुछ दिन तो ठीक रहा लेकिन फिर से मुझे गालियाँ देना, दहेज के लिए ताने देना शुरु कर दिया। फिर मेरे ससुर का देहान्त हो गया। जिस का पूरा इल्जाम मुझ पर लगा दिया और मेरे साथ मारपीट की। फिर मेरे पिता जी को बुला कर उन को बुरा भला कहते हुए गालियाँ दीं और कहा कि अपनी बेटी को ले जाओ। करीब एक साल होने को है मैं तब से मेरी दो वर्ष की पुत्री के साथ अपने पति से अपने पिता एवं भाई तथा अलग रहती हूँ। तब से मेरे ससुराल वालों ने मेरी और मेरी बेटी की कोई खबर नहीं ली है। मैं ने अपने साथ हुई हर बात की शिकायत दिल्ली में और इलाहाबाद में महिला थाने में दी है लेकिन आज चक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मुझे कुछ समझ नहीं आता है। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।

समाधान-

प के पूरे प्रश्न में कहीं भी यह अंकित नहीं है कि आप के पति का आप के साथ कैसा व्यवहार है? पूरी कहानी से आप के पति गायब हैं, जिस से लगता है कि आप के पति का आप के साथ व्यवहार ठीक है लेकिन अपनी माँ और बहिन की बातें मानना और उन के साथ रहना उन की बाध्यता है और वे आप को प्रताड़ित किए जाने पर उसे मात्र देखते रहते हैं जिसे इस प्रताड़ना में उन की मौन स्वीकृति माना जा सकता है। लेकिन आप के पति पूरी तरह मौन और निष्क्रीय दिखाई पड़ते हैं। आप ने यह भी नहीं बताया कि आप के पति क्या करते हैं? एक लड़की का रिश्ता उस के पति से होता है। पतिगृह में उसे प्रताड़ित किया जाता है तो पति का कर्तव्य है कि उस प्रताड़ना से पत्नी को बचाए और उस का पक्ष ले। ऐसा लगता है  कि आप का विवाह प्रताड़ित करने वाले ससुराल के साथ हुआ है न कि आप के पति के साथ। ऐसा है तो ऐसे पति का साथ छोड़ना ही बेहतर है।

प की बेटी साल भर की हो चुकी है। आप अब अपने लिए इलाहाबाद में कोई नौकरी तलाश कर सकती हैं, नौकरी मिलने पर आप आत्मनिर्भर हो जाएंगी और अपने माता-पिता पर निर्भरता का बोझ भी आप के सिर से उतर जाएगा। तब आप विचार कर सकती हैं कि आप को इस विवाह को जारी रखना है या समाप्त कर देना है।

प के साथ जो व्यवहार ससुराल में हुआ है वह अमानवीय ही नहीं है अपितु अपराध भी है। आप ने उस की दिल्ली और इलाहाबाद में रिपोर्ट भी की लेकिन आप केवल रिपोर्ट कर के चुप रह गईं। इस कारण से पुलिस वालों ने उस पर कार्यवाही नहीं की। क्यों कि पारिवारिक मामलों में वे तभी कार्यवाही करते हैं जब कि उन पर दबाव बनाया जाए या फिर कोई दिखने वाला शारीरिक अपराध घटित हुआ हो। आप को प्रताड़ित करने की सभी घटनाएँ दिल्ली में हुई हैं इस कारण धारा 498-ए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कार्यवाही केवल दिल्ली में हो सकती है। आप का स्त्री-धन ससुराल में है और उसे मांगने पर आप के ससुराल वाले नहीं देते हैं और आप का विवाह दिल्ली में ही संपन्न हुआ है तो धारा 406 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत भी कार्यवाही दिल्ली में ही होगी। यदि विवाह इलाहाबाद में सम्पन्न हुआ है या कोई घटना इलाहाबाद में घटित हुई है तो कार्यवाही इलाहाबाद में भी हो सकती है। इस संबंध में आप को इलाहाबाद में किसी स्थानीय वकील से मिल कर सलाह लेनी चाहिए।

प एक वर्ष से अपने माता पिता के पास अलग रह रही हैं। इस कारण आप अपनी बेटी और अपना जीवन निर्वाह का खर्च अपने पति से मांग सकती हैं और इस के लिए धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत इलाहाबाद में आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। इस की सुनवाई इलाहाबाद में होगी। आप के पति को इलाहाबाद आ कर जवाब देना होगा। तब आप अपने पति से बात कर सकती हैं कि आप किन परिस्थितियों में उन के साथ रह सकती हैं। मुझे नहीं लगता कि उन की माँ और बहिन के रहते आप उन के साथ रह सकती हैं। वैसी स्थिति में आप को विवाह विच्छेद का निर्णय करना चाहिए। आप अपने लिए किसी एक मुश्त निर्वाह भत्ता व स्त्री-धन प्राप्त कर के विवाह विच्छेद पर सहमत हो सकती हैं। बेटी का खर्च तो उस के वयस्क होने और उस का विवाह होने तक हर हालत में आप के पति को देना होगा। यदि आप निर्णय लें कि पति से विवाह विच्छेद करना उचित है तो आप पति के साथ सहमति से अथवा स्वयं एकल आवेदन दे कर ऐसा कर सकती हैं। यदि आप का विवाह इलाहाबाद में संपन्न हुआ है तो यह मुकदमा इलाहाबाद में हो सकता है अन्यथा यह भी दिल्ली में ही हो सकेगा।

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