क्या मुझे तलाक मिल सकता है?
|छत्तीसगढ़ से विप्लव साहु ने पूछा है-
सलाह –
आप की समस्या विकट है। अक्सर इस तरह की समस्याएँ तब उत्पन्न होती हैं जब पति-पत्नी उन परिवारों से आते हैं जिन के आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर में अधिक अंतर होता है। यह आप के मामले में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। आप ग्रामीण परिवेश से हैं जब कि आप की पत्नी नगरीय परिवेश से। निश्चित र
ूप से जहाँ ग्रामीण समाज अभी भी बहुत अंधविश्वासों से ग्रस्त है वहीं नगरीय समाज ने इस से एक सीमा तक मुक्ति पायी है। ग्राम में रहन सहन की सुविधाएँ अभी भी नगर या कस्बों की अपेक्षा बहुत कम हैं। नगर का व्यक्ति कस्बे में और कस्बे का व्यक्ति गाँव में खुद को अत्यधिक असहज महसूस करता है। आप के ससुराल वाले आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उन का रहन-सहन भी आप के परिवार के ग्रामीण परिवेश से अच्छा है। जहाँ आप में ग्रामीण परिवेश के कारण पुराने सामंती समाज के जीवन मूल्य गहरे पैठे हुए हैं वहीं आप की पत्नी का पालन पोषण नगरीय परिवेश में होन के कारण उस ने इन में से अनेक मूल्य कभी ग्रहण ही नहीं किए, वह उन्हें पिछड़े हुए मू्ल्य समझती है और अपनी पुत्री को भी हस्तांतरित नहीं करना चाहती। माँ ही संतानों को संस्कार देती है। जब वह आप के मूल्यों को और आप को मूल्यों के स्तर पर पिछड़ा हुआ समझती है तो निश्चित रूप से आप के मूल्यों और जीवन शैली की आलोचना अपनी पुत्री के सामने करती होगी। उसे ही आप समझते हैं कि वह आप आप का निरादर कर रही है और की पुत्री को आप के विरुद्ध भड़का रही है।
आप की पत्नी गाँव में रहने तो तैयार नहीं थी। उस ने उस के लिए कई प्रपंच किए और अंततः आप नगर/कस्बे में चले आए। आप की पत्नी कहती है कि माता-पिता को भी यहाँ ले आएँ यहीं उन की सेवा करेंगे। एक तरह से आप ने अपना घर तो छोड़ ही दिया। फिर जो आवास आप ने किराए पर लिया वह भी रुचिकर नहीं लगा तो पत्नी ने महंगा आवास ले लिया जिस से आप की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई। आप के बीच मूल्यों और रहन-सहन के विवाद तो थे ही आर्थिक स्थिति की गंभीरता ने बीच के विवाद को और बढ़ाया। तनाव में पत्नी ने आप को घर से निकल जाने को कहा और आप चले आए। अब वह माफी मांग रही है, भविष्य में गलती नहीं करने का वादा कर रही है और आप को बुला रही है। उधर आप की ससुराल वाले मकान दिलाने को और मदद करने को तैयार हैं लेकिन आप लेने को तैयार नहीं हैं। लेकिन वे मकान तो आप को नहीं अपनी पुत्री को दिला रहे हैं। पुत्री का पिता की संपत्ति में अधिकार है, वह ले सकती है। आप लेना नहीं चाहते इस तरह आप अपनी पत्नी को उस का अधिकार प्राप्त करने में बाधक बने हुए हैं। यह आप के बीच विवाद का एक मुख्य कारण बना हुआ है। आप को अपने माता-पिता का साथ छूटने का दर्द सालता है। लेकिन उन्हें तो आप पहले ही पीछे छोड़ आए हैं। उस कदम से पीछे लौटना तो मुमकिन नहीं है। आप की पत्नी की आर्थिक स्थिति इसलिए अच्छी है कि उस के पिता और भाई आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उस की मदद करना चाहते हैं। वह यह मदद ले कर आप के साथ बराबरी का रिश्ता कायम करना चाहती है। यदि ऐसा है तो करने दें। यह आप की पत्नी का मुगालता भी हो सकता है कि उस के पिता और भाई मकान बना कर देने को तैयार हैं। यदि आप पत्नी को मकान और आर्थिक सहायता लेने से मना नहीं करेंगे और पिता और भाई उसे मकान नहीं देंगे या आर्थिक मदद से हाथ खींचते हैं तो उस का यह मुगालता भी टूट जाएगा।
इन तमाम तथ्यों से लगता है कि आप और आप की पत्नी के बीच विवाद इतना गंभीर नहीं है। आप की पत्नी का माफी मांगना, भविष्य में गलती न करने का वादा करना और आप को वापस घर बुलाना इस बात का द्योतक है कि वह आप का साथ छोड़ना भी नहीं चाहती है। समस्या केवल आप के और आपकी पत्नी के बीच मूल्यों और संस्कृति को ले कर है। आप चाहें तो इस समस्या को हल कर सकते हैं। आप की पत्नी आप के गाँव से नगर में आ गई है वह वापस गाँव नहीं लौटेगी यह निश्चित
है। वह हमेशा कस्बे या नगर में ही रहेगी। यहाँ आवास महंगा है तो उस का इलाज यह है कि आप की पत्नी के माता, पिता व भाई आप की पत्नी को मकान दिलाना चाहते हैं तो उस के लिए सहमति देदें। इस से आप की नगर में आवास की समस्या हल हो जाएगी। जब पत्नी अपने पति के मकान में रह सकती है तो पति भी पत्नी के मकान में रह सकता है। आप की पत्नी को मकान मिल जाए तो उस में रहने में आप को परेशानी नहीं होनी चाहिए। आप अपनी पत्नी के साथ रहें। कभी अपने माता पिता को संभालने के लिए गाँव चले जाएँ। जितनी हो सके पत्नी को परिवार चलाने में मदद करें। यदि यह संभव हो सके तो धीरे-धीरे यह स्थिति भी उत्पन्न होने लगेगी कि आप की पत्नी यदा-कदा गाँव भी जाने लगे और आप के माता-पिता का आप की पत्नी के पास आ कर रहना भी संभव हो सकता है। मुझे लगता है कि आप को अपनी संतान के लिए पत्नी से रिश्ते को समाप्त करने के बारे में सोचना नहीं चाहिए।
आप ने कानूनी बात पूछी है कि क्या आप को तलाक मिल सकता है। मुझे आप के तथ्यों से नहीं लगा कि आप के पास तलाक के लिए कोई ठोस आधार उपलब्ध है। फिर तलाक का मुकदमा कई वर्ष तक चलता रहेगा। आप के मुकदमा करते ही पत्नी भी अपने और अपनी संतान के लिए खर्च मांगने का मुकदमा करेगी। वह दहेज प्रताड़ना और मारपीट का मुकदमा भी कर सकती है। इस से कुछ हल नहीं होगा। आप की परेशानियाँ बढ़ जाएंगी और आप के अपनी पत्नी व पुत्री के साथ भविष्य के संबंध भी खराब हो जाएंगे। मेरी राय है कि आप को अपनी पत्नी के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इस से आप की बहुत सी समस्याएँ हल हो सकती हैं।
गुरुवर, आपने बहुत अच्छी सलाह दी परन्तु मेरी भी हालत विप्लव साहु जी से कुछ मिलती जुलती ही है मेरी ३ सालीया है जिसमे से दो शादी के बाद से ही अपनी माँ के घर पर पर है एक ही साली का घर बसा हुआ है केवल. मेरा ससुर ३० साल पहेले ही गुजर चुके है और मेरा कोई साला भी नहीं है एक साली का पति अपनी १ साल की बेटी को लेकर ८ साल से लापता है. और बड़ी साली के बारे में शादी के बाद पता चला की उसकी ससुराल वाले चकला चलाते थे इसलिए तलक करवा दिया.और मेरी ससुराल भी धनी है और पेसो की लालची भी है. शादी के ८ महीने बाद ही मेरी पत्नी ने मेरे ऊपर और मेरे परिवार पर ४९८अ और ४०६ का मुकदमा कर दिया है. (कृपया ध्यान दे मेरी सास की आर्थिक हैसियत मुझ से बहुत ज्यादा है। इस का प्रभाव मेरी पत्नी पर है और वह गुस्सा, अहंकार नजर आता है। मैंने शान्त भाव से उसे समझाने की बहुत कोशिश की मगर वह समझने, मानने को तैयार ही नहीं है। महिला आयोग की मध्यस्ता मैडम ने हमारा समझोता ३ लाख रुपए में करवा दिया है जिसका मैडम बोलती है की मई एसा बोंड बनवा दूंगी की फिर कभी आप पर जेवर का क्लेम नहीं बन पायेगा क्योकि क्योकि स्त्री धन में केवल जेवर का ही विवाद है. जिस पर हम दोनों ही राजी है. ४ मई २०१२ को को हमारी तारीख है जिसमे मुजको डी. डी. बनवाकर देना है. परन्तु आब पत्नी की डिमांड बरती जा रही है की मुज्हो उस एरिया में नहीं रहेना है है पौर्च एरिया में मकान लो फिर भी हम दोनों ने मिल कर एक मकान फ़ाइनल कर लिया है, अब पत्नी बोलती है की आप खुद को और अपनी फैमली को सेव करने के लिए मेरी बाते मान रहे हो. जब की मई उसको कई बार समझा चूका हूँ की शादी विवाह गुड्डे- गुडियों का खेल नहीं है जनम जनम का साथ है. और रही कानून aaके डर की बात तो जब मेने कुछ किया नहीं नहीं है और सभी जगह तुम लोगो ने गलत किया है फिर भी तुम मेरी जीवन साथी हो. इसलिए ही तुम्हारा साथ दे रहा हूँ और रही कानून की बात तो तुम्हारी रिपोर्ट को २ मिनट में झुटा साबित कर सकता हूँ (क्योकि पत्नी की झूटी रिपोर्ट के आधार पर मेरे पास बहुत सबूत है) पर अब जब भी पत्नी से फ़ोन पर बात होती है तो वो धमकी के लहेजे में ही बात करती है की में जब चाऊ तब तुम लोगो के खिलाफ ऍफ़. आई. आर. करवा दू. परन्तु में अपनी शादी शुदा जिन्दगी नहीं बिगड़ना चहाता हूँ. पर अब पत्नी को घर लाता हूँ तो वो समजेगी की में कानून से डर गया हूँ. और फिर तो वो मेरा जीना ही मुस्किल कर देगी जैसा की मुजको मालूम है. और में उसको तलाक भी नहीं देना चहता हूँ. क्योकि ३५ साल की उम्र में शादी हुई है और उसके बाद जीवन में कुछ भी नहीं है और पत्नी की भी उम्र ३४ साल है पर वो चलती है अपनी माँ और बहेनो की अक्ल से . आप ही सलाह दे की में क्या करू क्योकि जीवन नरक बन गया है. और अब तो आत्महतया के विचार भी आने लगे है मन में.
सामाजिक अखंडता की राय के लिए कोटिशः साधुवाद|
सच ही कहा है आपने और बहुत नेक सलाह दी… यूं भी तलाक कभी किसी मसले का हल नहीं बन सकता ….
आप ने समस्या की मुख्य जड़ को बहुत अच्छे से पकड़ कर एक उचित सलाह दी |