क्या मुझे संतान के लिए दूसरा विवाह करना चाहिए ?
|ज़िनी पूछते हैं —-
नमस्कार, मैं एक मुस्लिम हूँ ऒर केन्द्रीय सरकार का कर्मचारी हूँ। मैं ने मेरी बीबी का हर सम्भव ईलाज कराया पर हमारे कोई औलाद नही हुई। रिश्तेदारो से बच्चा गोद लेना चाहा पर किसी ने नहीं दिया। मेरी उम्र ४४ साल है। क्या मै दूसरी शादी कर सकता हूँ। मेरी बीबी ने पहले तो रजामन्दी दे दी। लेकिन जब मैं ने किसी और से शादी के लिए बात की तो उस के बाद उस का व्यवहार कुछ परेशान करने वाला हो गया है। मुझे अब क्या करना चाहिये? जिस से मैं ने शादी के लिए बात की है उन्हें क्या जवाब दूँ। उसे मेरी पहली बीबी के बारे में पता है कि वो मेरे साथ ही रहती है और मै उस को तलाक नहीं देना चाहता। मुझे मेरे ऑफिस में किस प्रकार आवेदन करना चाहिए।
उत्तर – – –
ज़िनी भाई,
आप मुस्लिम हैं और अपने व्यक्तिगत कानून के अनुसार दूसरा विवाह कर सकते हैं यदि आप उस की शर्तों की पालना कर सकते हों जिस में सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करना महत्वपूर्ण है। लेकिन व्यवहारिक रूप से यह सब संभव नहीं हो सकता। आप संतान के लिए दूसरा विवाह करना चाहते हैं लेकिन यह कतई आवश्यक नहीं है कि दूसरा विवाह करने पर भी संतान प्राप्ति हो ही जाए। आप की पहली पत्नी ने दूसरी शादी के लिए रजामंदी प्रकट कर दी। पर मुझे लगता है कि उन की यह रजामंदी इस विश्वास के साथ थी कि आप ऐसा नहीं करेंगे। लेकिन जब उन्हें लगा कि आप वास्तव में ऐसा करने जा रहे हैं तो उन का व्यवहार बदल गया है। वास्तव में पहले दी गई रजामंदी का कोई महत्व इस लिए नहीं है कि वह रजामंदी एक गलत विश्वास के अंतर्गत आप को दी गई थी।
आप केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी हैं तो पहले यह जानकारी कर लें कि वहाँ किसी भी कर्मचारी को दूसरे विवाह पर क्या क्या प्रतिबंध हैं। क्यों कि यदि दूसरे विवाह पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध है तो फिर दूसरा विवाह किया जाना सेवा नियमों का उल्लंघन और दुराचरण होगा। जिस के लिए आप को आरोप पत्र दिया जा सकता है और सेवाच्युति का दंड दिया जा सकता है। राजस्थान में पुलिस विभाग के एक कर्मचारी को दूसरा विवाह कर लेने पर आरोप पत्र दे कर सेवाच्युति का दंड दिया गया था और इस मामलें में सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2010 में निर्णय दिया है कि ऐसी सेवाच्युति उचित है। यह सही है कि शरीयत दूसरे विवाह के लिए अनुमति देती है लेकिन जब आप एक नौकरी करते हैं जिस की एक शर्त यह हो कि आप एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह नहीं कर सकते तो सेवा नियमो के तहत यह दूसरी शादी वैध होते हुए भी एक दुराचरण होगी। इस से शादी तो अवैध नहीं होगी लेकिन नियोजक आप को सेवा से पृथक कर सकता है। इस संबंध में आप अपने नियुक्ति अधिकारी को सारी परिस्थियों से अवगत करवाते हुए दूसरे विवाह की अनुमति के लिए आवेदन कर दें। यदि अनुमति मिल जाए तो फिर यह दूसरा विवाह दुराचरण नही होगा। तब आप विवाह कर सकते हैं। अन्यथा स्थिति में आप को दूसरा विवाह करने के लिए वर्तमान पत्नी को तलाक देना होगा। इस संबंध में आप तीसरा खंबा की पोस्ट क्या कोई मुस्लिम सरकारी कर्मचारी पहली बीवी के रहते दूसरी शादी कर सकता है? पढ़ सकते हैं।
सूचना – खेद है कि कुछ दिन अंतर्जाल संपर्क बंद रहने के कारण तीसरा खंबा और अनवरत पर पोस्टों का प्रकाशन नहीं हो सकेगा।
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9 Comments
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वकील साह्ब आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने मुझे सही रास्ता दिखाया पर मै सच मे बेहद परेशान हु मेरी हालत साप छ्छूदर की हे जो के ना उगलते बन रहा है ऒर ना ही निगलते.क्या मै R.T.I. के द्वारा अपने ऒफ़िस से मालुम करू तो गलत तो नही होगा.
आप सभी भाईयो का बेहद शुक्रगुजार हु के आप सबने अच्छी राय/सलाह दी.
महफूज़ अली भाई इस्लामिक नजरिये से तो सेरोगेट मदर गलत होगी.
सही जानकारी ।
इस ब्लॉग पर तो अच्छी जानकारियां भी और समाधान भी….इस प्रयास के लिए साधुवाद.
आप किसी यतीम को गोद ले सकते है
शादी तो विश्वास का ही नाम है | बाकी कानूनी पहलू अलग है | अगर आप में विशवास मजबूत है तो शादी और तालक शब्द कोइ मायने नहीं रखते है |
वैसे सरोगेट मदर का आप्शन भी है…. शादी करने की क्या ज़रूरत है…. शादी के लिए ज़िन्दगी भर का खर्चा अलग से…. और सरोगेसी में सिर्फ वन टाइम एक लाख का खर्चा….
वैसे सरोगेट मदर का आप्शन भी है…. शादी करने की क्या ज़रूरत है…. शादी के लिए ज़िन्दगी भर का खर्चा अलग से…. और सरोगेसी में सिर्फ वन टाइम एक लाख का खर्चा….