क्या संतान न होने पर पत्नी के दबाव पर दूसरा विवाह कर लेना चाहिए?
| विनोद ने पूछा है –
संतान न होने के कारण मेरी पत्नी दबाव डाल रही है कि मैं उस की छोटी बहिन से विवाह कर लूं। मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर –
यह तो आप भी जानते ही होंगे कि मौजूदा हिन्दू विवाह अधिनियम 18 मई, 1955 को प्रभावी हो गया था। इस अधिनियम में यह व्यवस्था है कि एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह नहीं किया जा सकता। यदि आप दूसरा विवाह करते हैं तो यह विवाह अवैध होगा। आप की पत्नी की छोटी बहिन को आप की पत्नी होने का अधिकार कभी भी प्राप्त नहीं हो सकेगा और न ही आप को उस का पति होने का अधिकार प्राप्त होगा। आप की दूसरी पत्नी को इस विवाह से कोई अधिकार प्राप्त नहीं होने से उस के आप के प्रति कोई दायित्व भी नहीं होंगे। एक पति के रूप में आप के भी कोई दायित्व नहीं होंगे। लेकिन उत्पन्न होने वाली संतान आप की होगी। उस के प्रति सभी दायित्व आप के होंगे। दूसरी पत्नी आप के साथ आ कर रहेगी। इस कारण से महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा प्रतिषेध अधिनियम में साथ रहने वाली स्त्री को जो अधिकार प्राप्त हैं वे सभी अधिकार आप की दूसरी पत्नी को प्राप्त हो जाएंगे। इस तरह आप की दूसरी पत्नी को कुछ अधिकार प्राप्त होंगे, लेकिन उस का आप के प्रति कोई दायित्व नहीं होगा। इस तरह आप को अपनी दूसरी पत्नी के प्रति कोई अधिकार प्राप्त नहीं होगा लेकिन आप के दायित्व उत्पन्न हो जाएंगे।
भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अंतर्गत एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना एक अपराध है, जिस के लिए सात वर्ष तक के कारावास के दंड से दंडित किया जा सकता है। इस तरह यदि आप यह विवाह करते हैं तो आप एक अपराध करेंगे। यदि इस के लिए आप की पत्नी स्वयं आप को प्रेरित कर रही है तो वह भी आप को एक अपराध करने के लिए प्रेरित कर रही है। यह विवाह करने के बाद यदि किन्हीं परिस्थितियों में आप की पहली पत्नी से आप का विवाद हो जाए और वह स्वयं ही इस अपराध के लिए आप को दंडित कराने पर उतारू हो जाए तो फिर आप के पास बचाव का कोई साधन भी नहीं होगा।
अब इस दूसरे विवाह का एक ही उपाय है वह यह कि आप अपनी पत्नी के साथ न्यायालय को विवाह विच्छेद के लिए आवेदन करें और जब न्यायालय आप को विवाह विच्छेद की डिक्री प्रदान कर दे और उस डिक्री की अपील किए जाने का समय व्यतीत हो जाए तब आप यह विवाह करने को स्वतंत्र हो जाएंगे और दूसरा विवाह कर सकेंगे। पर ऐसी स्थिति में आप की पहली पत्नी के आप की पत्नी रहने के सभी अधिकार समाप्त हो जाएंगे, सिवाय इस के कि वह आप से निर्वाह भत्ता प्राप्त कर सके। यदि फिर भी आप अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद किए अपनी पत्नी की सलाह मान कर उक्त विवाह करते हैं तो यह साथ रहने का समझौता ही होगा, एक विवाह नहीं। और एक अपराध भी होगा।
सामाजिक रूप से आप का यह दूसरा विवाह निस्संतानता के लिए पहली पत्नी को दंडित करने जैसा होगा। वह भी आप को दूसरे विवाह के लिए सलाह इसलिए दे रही है कि एक तो उसे बांझ होने का दंश भुगतना पड़ रहा है जो वर्तमान सामाजिक मान्यताओं के अनुसार एक स्त्री का लिए सब से बड़ा अपराध माना जाता है, जब कि
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5 Comments
ये सब जानते है कि अनाथ आश्रम से गोद लेने कि प्रक्रिया बहुत जटिल और पेचीदा है | दूसरी पत्नी से सन्तान हो भी जाए तो इस बात की क्या गारंटी है कि वो अपने माता पिता की वृद्धावस्था में सेवा करेगी ही |
हर बार की तरह आपने सलाह तो उम्दा दी है लेकिन घुघुती जी द्वारा उठाए गया प्रश्न भी विचारयोग्य है.
बहुत उपयोगी जानकारी मिली.
रामराम.
गुरुवर जी, काफी अच्छी सलाह दी है आपने. आपके ब्लॉग में पढ़ी पोस्टों के आधार ही कह रहा हूँ कि गोद लेने की प्रक्रिया बहुत जटिल है.
आश्चर्य है द्विवेदी जी कि आप उन्हें किसी अनाथ को गोद लेने की सलाह नहीं दे रहे। क्या गोद लेने को अनाथ उपलब्ध नहीं होते या यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वकील भी इसकी सलाह नहीं देते? मुझे समझ नहीं आ रहा कि इसका क्या कारण है। कृपया संशय निवारण कीजिए।
घुघूती बासूती