क्या साठ वर्ष पुराना मौखिक बँटवारा मान्य होगा?
|महेश जी पूछते हैं – – –
मेरे दादाजी लोग तीन भाई थे जिस में से हम एक के वारिसान हैं। मेरे पिताजी दादाजी की इकलौती संतान थे। हम लोग चार भाई हैं, दूसरे वाले के 4 पुत्र और 2 पुत्री, जिसमे से 2 पुत्रों कि मृत्यु हो चुकी है। एवम् उनके पुत्र जीवित हैं। तीसरे वाले के 2 पुत्र और 1 पुत्री है। हमारी पैतृक भूमि का बराबर बंटवारा दादाजी लोगों के द्वारा मौखिक ६० वर्ष पूर्व किया गया था। अब तीनों जीवित नहीं हैं। तीनों के वारिसान पृथक-पृथक भूखण्डों पर अब तक काबिज हैं। मगर समस्त भूमि संयुक्त रूप से 18 लोगों के नाम दर्ज है। वर्ष 2007 में सभी के द्वारा एक एग्रीमेंट 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर किया गया जिसमे लिखा है कि हमारी भूमि का बंटवारा पूर्व में हो चुका है वर्तमान में किसी को भी आपत्ति नहीं है। इस दौरान हमारे और दादाजी के दूसरे भाई के वारिसानों के द्वारा अपनी -अपनी काबिज भूमि पर अत्यधिक धन का निवेश कर निर्माण कार्य किया गया है। इन सब को देख कर दादाजी के तीसरे वाले भाई के पुत्र और पुत्री के द्वारा प्रत्येक भूखण्ड के तीन बराबर भाग कर एक भाग उन्हें देने हेतु आवेदन किया है, वे एग्रीमेंट को अब मानने तैयार नहीं हैं। हमारे पास केवल एग्रीमेंट कि फोटोकॉपी मात्र है। हम हिन्दू परिवार हैं। कृपया हमें उचित सलाह दें।
उत्तर – – –
महेश जी,
आप की मुख्य समस्या यह है कि आप के तीनों दादा जी ने पारिवारिक भूमि का मौखिक रूप से बँटवारा किया और फिर अपने अपने हिस्से की भूमि पर काबिज हो गए। अपने अपने हिस्से की भूमि पर सभी ने अपने अपने हिसाब से धन का निवेश कर के उसे विकसित किया। अब जिन का हिस्सा कम विकसित है वे ये चाहते हैं कि मौखिक बँटवारे को न माना जाए और तीनों हिस्सों की फिर तीन-तीन हिस्से किए जाएँ और फिर प्रत्येक हिस्से का तीसरा हिस्सा प्रत्येक को मिल जाए।
इस तरह का नया बँटवारा चाहने वाले गलत हैं। यदि साठ वर्ष पूर्व मौखिक बँटवारा हो चुका था और तब से ले कर तीनों भाइयों के वारिसान अपने अपने हिस्से पर काबिज हैं और एक एग्रीमेंट के माध्यम से उस बँटवारे को साबित भी कर चुके हैं, तो वह मौखिक बँटवारा ही कानून के समक्ष मान्य होगा। नए बँटवारे की मांग करने वाले लोगों द्वारा बँटवारे का दावा न्यायालय में संस्थित कर देने पर आप को केवल यह साबित करना होगा कि मौखिक बँटवारा हुआ था और उसी के अनुसार एक लंबे समय से सभी लोग अपने अपने हिस्से पर काबिज हैं। इसे साक्षियों की मौखिक साक्ष्य से अदालत के समक्ष साबित करना होगा। यदि कब्जे के दस्तावेजी सबूत हों तो वे भी पेश किए जा सकते हैं। यदि आप के पास बँटवारे को स्वीकार करने वाले एग्रीमेंट जो कि एक एग्रीमेंट नहीं अपितु एक संस्वीकृति है, की केवल फोटो प्रति आप के पास होने का अर्थ है कि मूल प्रति भी किसी न किसी के पास होनी चाहिए।
दावा पेश होने पर साक्ष्य आरंभ होने के ठीक पहले आप अदालत को एक आवेदन इस आशय का प्रस्तुत करें कि मूल दस्तावेज आपत्ति करने वाले पक्ष के पास है, जिसे वह शपथ पर प्रकट करे और माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे। यदि आपत्ति करने वाला पक्ष उस के पास वह दस्तावेज होने से इन्कार करता है तो फिर आप फोटो प्रति को साक्ष्य में द्वितियक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत कर प्रमाणित करने हेतु आवेदन प्रस्तुत करें और न्यायालय से इस की अनुमति प्राप्त करें। इस तरह आप फोटो प्रति को भी न्यायालय के अभिलेख पर ला सकते हैं और प्रमाणित करा सकते हैं। इन सब साक्ष्यों के आधार पर यह साबित हो जाने पर कि मौखिक बँटवारा हुआ था। ताजा नए बँटवारे का वाद निरस्त हो जाएगा।
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3 Comments
60 वर्ष पूर्व पारिवारिक भूमि का मौखिक रूप से बँटवारा हो चूका है. मगर लालच ने नियत खराब कर दी है. इसलिए दुसरे पक्ष को कोर्ट कहचरी में घसीटना चाहता है.
बेहद उपयोगी जानकारी मिली. बहुत आभार आपका.
रामराम
बहुत अच्छी सलाह, ओर हम सब के लिये एक नयी जानकारी धन्यवाद