गलत चीजों के खिलाफ लड़ना तो होगा।
|डब्बू यादव ने अशोकनगर, मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरे घर के पास नगरपालिका की ज़मीन है , जिस पर मेरा पड़ौसी अपना मकान बना रहा है।मैं ने इस की शिकायत नगरपालिका और कलेक्टर कार्यालय में की,मगर कुछ नहीं हुआ।बल्कि कलेक्टर ने हम दोनों के बीच झगड़े का केस लगाकर,तहसील में केस चालू करा दिया है। मैं आप से पूछना चाहता हूँ कि ज़मीन सरकारी है तो फिर मैं क्यों केस लड़ूँ? क्यों कि अगर मैं जीत भी गया तो मुझे तो कुछ मिलने वाला नहीं है।फिर मैं क्यों केस में अपने पैसे ओर समय बर्बाद करूँ। क्या कोई ऐसा उपाय है,जिस से केस सरकार और उस पड़ौसी के बीच ही लड़ा जाए। मेरे पास पैसे ओर समय नहीं है। मुझे क्या मजबूरी में राज़ीनामा करना पड़ेगा? उसी सरकारी ज़मीन पर से मेरा रास्ता है और आना जाना है। मुझे कोई उपाय बताएँ जिस से केस सरकार और पड़ौसी के बीच ही चले।
समाधान-
कहा जाता है और पढ़ाया जाता है कि जनतंत्र है। सरकार जनता की है और सरकारी संपत्ति भी जनता की है। पर वास्तव में ऐसा नहीं है। जनतंत्र सिर्फ झूठ बोल कर, दगा दे कर, आकर्षक नारों और वायदों से लुभा कर वोट प्राप्त करने के लिए है। उस के बाद सारी सरकारी संपत्ति, पूंजीपतियों की, पैसे वालों की, अफसरों की और नेताओं की है, वे जैसे चाहेंगे वैसे बरतेंगे। आप दखल देंगे तो आप को मुकदमा चला कर बंद कर देंगे, आप घुटने टिका कर राजीनामा करेंगे और आप की जुबान बन्द हो जाएगी। इस का एक ही इलाज है कि आम लोगों को यह अहसास कराया जाए कि सारी सरकारी संपत्ति सारी जनता की सामुहिक है और उस के दुरुपयोग को रोकने के लिए उन्हें सजग होना चाहिए और उस के लिए सामुहिक रूप से कार्यवाही करना चाहिए।
सरकारी अफसरों और अधिकारियों से तो आप शिकायत कर चुके हैं और उस का नतीजा देख चुके हैं। इस कारण इस तरह के मामलों में सामुहिक रूप से कार्यवाही करना ही उचित रहता है। इस के लिए आप के यहाँ कोई नागरिक संगठन हों तो उन का उपयोग कीजिए और इस अवैधानिक निर्माण को रुकवाइये। यदि नागरिक संगठन न हों तो बनाइए।
इस मामले में आप को रास्ते के कानूनी अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इस कारण आप को व्यक्तिगत रूप से कार्यवाही करनी चाहिए। आप खुद न्यायालय में अतिक्रमी और नगरपालिका के विरुद्ध दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं तथा अनधिकृत निर्माण के लिए निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। न्यायालय से नगरपालिका को यह आदेश भी जारी करवा सकते हैं कि उस व्यक्ति के विरुद्ध अतिक्रमण के लिए कार्यवाही की जाए। लेकिन यह मामला लड़ना तो आप को पड़ेगा और धन भी खर्च करना पड़ेगा।
लेकिन सर डब्बू यादव को तो समय के साथ ही पैसे कहा से लाएंगे … क्यों कि कोई भी एडवोकेट /वकील इस काम करवाना का पैसा तो लेगा ही. अपने पास से कौन देगा.
ramesh