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गलत नामान्तरण को चुनौती दें और उसे निरस्त कराएँ

समस्या-

मेरे दादा जी 4 भाई थे। दादा जी सबसे छोटे भाई के कोई लडका नहीं था।  उनकी केवल एक लडकी थी।  उन्होंने अपनी लडकी के लडके को कानूनी रूप से गोद लिया हुआ था। उस लडके के पिता के नाम की जगह सभी जगह उन्हीं का नाम लिखा हुआ है।  सबसे छोटे दादा जी का स्वर्गवास अप्रेल 2002 में हो गया है।  2003 तक सभी भाइयों का स्वर्गवास हो गया है।  तीसरे नम्बर के भाई के लडके ने लेखपाल से मिलकर उनके 4 एकड़ खेत को अपने पिता के नाम 2002 में करवा दिया था।  जिसका पता सन 2007 में चला।  दादा जी के गोद लिये लडके का व्यवहार ठीक नहीं है।  वह उनकी लडकी से अलग रह रहा है।  तीसरे नम्बर के भाई के लडके उनकी सारी अचल सम्पति पर खुद का कब्जा कर रखा है वह न तो उनकी लडकी को कुछ दे रहे हैं ना ही गोद लिये लडके को।  मैं जानना चाहता हूँ कि कानूनी रूप से उनकी सम्पति पर किसका हक है? इस स्थिति में और भाई के लडके क्या कर सकते हैं?

-एस.सी.शुक्ला, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश

समाधान-

प का मामला उत्तर प्रदेश में स्थित कृषि भूमि के संबंध में है।  इस मामले में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी न हो कर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के उपबंध प्रभावी होंगे।  इस इस अधिनियम के अनुसार  किसी पुरुष की मृत्यु के उपरान्त यदि उस की विधवा और पुत्र जीवित हैं तो समस्त कृषिभूमि विधवा और पुत्रों का समान अधिकार होगा।  किसी पुत्री को अथवा अन्य रिश्तेदारों को उस भूमि को प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है।

स मामले में आप के छोटे दादा जी के कोई पुत्र था ही नहीं।  उन की विधवा का आप ने उल्लेख नहीं किया है। यदि छोटे दादा जी की पत्नी जीवित नहीं हैं और गोद लिए हुए पुत्र को वे सभी अधिकार हैं जो कि उन के औरस पुत्र को होते।  इस तरह उनका गोद लिया हुआ पुत्र ही उन की कृषि भूमि का अधिकारी है।

लेकिन आप का कहना है कि तीसरे क्रम के दादा जी के पुत्र ने किसी तरह छोटे दादा जी का उक्त खेत अपने पिता के नाम करवा लिया था।  आप को सब से पहले तो यह पता करना पड़ेगा कि यह कैसे हुआ।  इस के लिए आप को इस नामान्तरण को देखना होगा। यदि नामान्तरण में कोई दोष है तो उसे चुनौती देनी होगी।  लेकिन इस नामान्तरण को वही चुनौती दे सकता है जिस का उक्त भूमि में अधिकार हो।  यहाँ केवल गोद पुत्र ही उक्त भूमि का अधिकारी है।  इस कारण से अन्य भाइयों के पुत्र इस मामले में कुछ भी कहने में असमर्थ हैं।

दि यह मान लिया जाए कि आप के सब से छोटे दादा जी ने किसी भी व्यक्ति को गोदन नहीं लिया था तो फिर उक्त नामान्तरण निरस्त हो जाने पर आप के शेष सभी दादा जी उक्त भूमि के समान अधिकारी होते।  सभी दादा जी का देहान्त हो जाने से उन के पुत्र अपने अपने पिता के हिस्से के अधिकारी होते। ऐसी स्थिति में सभी दादा जी के पुत्रों में से कोई भी उक्त नामान्तरण को चुनौती दे सकता है। इस के लिए उक्त नामान्तरण को निरस्त करवाने के लिए उसे अपील दाखिल करनी होगी। नामान्तरण निरस्त होने पर भूमि पुनः आप के स्वर्गीय छोटे दादाजी के नाम आएगी और तब तहसलीदार शेष दादाजी और उन के उत्तराधिकारियों के नाम नामान्तरण करेगा।  इस मामले में आप को अपने किसी स्थानीय वकील से जो कि राजस्व मामलों की वकालत करता हो उस से सलाह लेनी चाहिए।  उस के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए।

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