गायब हुए वाहन के टैक्स दायित्व से मुक्ति कैसे पाई जाए?
|जीतेन्द्र कुमार ने बिन्दापुर, नई दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
हमारी एक कंपनी है, हम 5 व्यक्ति कॉमर्शियल कार ले कर लीज पर चलाने का व्यवसाय करते हैं। हम ने कारें अलग अलग लोगों को लीज पर दी थी। कुछ दिन तो ये लोग गाड़ी की ईएमआई समय पर दे रहे थे। फिर ये लगो हमारी गाड़ी ले कर गायब हो गए। हम ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। जिस में धारा 406 आईपीसी के अन्तर्गत दर्ज की गई है। सभी गाड़ियों का यू.पी. का टैक्स और सभी दस्तावेजों का समय समाप्त हो गया है। गाड़ी का ईएमआई हमें अपनी ओर से भरना पड़ रहा है। हमें आगे क्या करना चाहिए, जिस से यू.पी. टैक्स माफ हो सके और गाड़ियों को पकड़ा जा सके?
समाधान-
आप के वाहन को वह लोग जिन्हों ने आप से लीज पर लिया था ले कर गायब हो गए हैं। आप ने उन्हें वाहन वैध रूप से सौंपा था तथा लीज की अवधि समाप्त हो जाने पर वाहन उन्हें आप को सौंप देना चाहिए था। लेकिन वे लोग ले कर गायब हो गये। ये वाहन उन के पास अमानत थे जो उन्हों ने आप को नहीं लौटाए। इस तरह पुलिस ने धारा 406 आईपीसी में प्रथम सूचना रिपोर्ट सही दर्ज की है। इस के साथ धारा 420 आईपीसी का अपराध भी गठित होता है। इस तरह आप ने वाहन को पकड़े जाने की व्यवस्था तो कर ली है। लेकिन पुलिस के पास बहुत काम होते हैं। उन्हों ने गाड़ियों की सूचना पूरे देश में भेज दी होगी। यदि गाड़ियाँ कहीं पहचानी गईं तो पकड़ ली जाएंगी। लेकिन कोई सायास प्रयास नहीं होगा। इस तरह वाहनों को पकड़े जाने के लिए आप को स्वयं अपने स्तर पर सायास प्रयास करने होंगे। हर व्यक्ति को जो किसी भी प्रकार की निजी संपत्ति रखता है उसे यह जुमला ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति अपने माल की हिफाजत खुद करे। पुलिस या प्रशासन आम जनता की हिफाजत के लिए नहीं है। वे तो प्रथम सूचना रिपोर्ट भी आसानी से दर्ज नहीं करते हैं। यह चोरी भी नहीं है जिस के कारण आप बीमा कंपनी से कोई दावा वसूल कर सकते हों।
जहाँ तक टैक्स का संबंध है तो सभी टैक्स राज्य सरकार के विभाग द्वारा वसूल किए जाते हैं जिस के लिए समय समय पर निर्देश जारी होते हैं। आप को यू.पी. सरकार के टैक्स के नियमों व निर्देशों की जानकारी कर उन का अध्ययन करना चाहिए। क्यों कि वाहन का टैक्स उस के उपयोग के लिए लिया जाता है। यदि वाहन आप के पावर और पजेशन से निकल गया है और आप ने उस की रिपोर्ट पुलिस को दर्ज करवा दी है तो आप टैक्स विभाग को आवेदन कर के रिपोर्ट दर्ज होने की तिथि से उक्त वाहनों के टैक्स के दायित्व से मुक्त होने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। यदि विभाग आप को टैक्स से मुक्ति नहीं देता है और आप के आवेदन को निरस्त करता है तो आप को उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दाखिल करनी चाहिए। केरल उच्च न्यायालय द्वारा के के मोहनदास बनाम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के मुकदमें में इस तरह के मामले में टैक्स से मुक्ति प्रदान की गई है। आप इस निर्णय या इस जैसे दूसरे निर्णयों की मदद ले सकते हैं।