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चैक बाउंस मामले में वाद कारण नोटिस मिलने के 16 वें दिन उत्पन्न होता है।

rp_cheque-dishonour-295x300.jpgसमस्या-

आनन्द सिंह तोमर ने ठीकरी, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मुझ पर धारा १३८ परक्राम्य विलेख अधिनियम के अन्तर्गत चैक बाउंस का मामला चल रहा है। परिवादी ने अपने परिवाद के पैरा सं. 10 में कथन किया है कि “१०-यह कि वाद का कारण दिनांक ०६-०७-१० को उत्पान हुआ जब अभियुक्त को भेजे गए सूचना पत्र दिनांक २२-०५-२०१० के ४५ दिन के अन्दर चैक का भुगतान नहीं किया गया। “अगले पैरा में लिखा गया है कि “ ११-यह कि परिवाद पत्र परक्राम्य विलेख अधिनियम १८८१ की धारा १३८ के अन्तर्गत वाद का कारण उत्प्पन होने के ३० दिनों के अन्दर प्रस्तुत किया गया है। इन दो पैराओं के कथनों में ऐसा कुछ है जिस का मुझे लाभ मिल सकता है।

स मामले में जो चैक मैं ने पार्टी को दिया था उस में पार्टी ने मुझे ०३-११-०९ को तीन लाख तथा १३-११-०९ को दो लाख देना कोर्ट में बताया है। जब कि मैं मेरे बड़े भैया का एक्सीडेंट दिनांक २७-१०-२००९ को दाहोद में हो जाने से खबर लगते ही २८-१०-०९-से २४-११-२००९ तक दहोद के अर्बन बैंक अस्पताल में रहा ठीकरी आया भी नहीं, ठीकरी आता तो ३०० किलोमीटर आना और जाना पड़ता। अब मैं कोर्ट में कैसे साबित करूँ कि में दहोद में था।

समाधान-

रक्राम्य विलेख अधिनियम की धारा 138 के अपराध में अनुसार यदि कोई चैक बाउंस हो जाता है तो चैक धारक को चाहिए कि वह चैक बाउंस की सूचना उसे प्राप्त होने के 30 दिनों की अवधि में चैक जारी करने वाले व्यक्ति को उस चैक की राशि का 15 दिनों में भुगतान करने की सूचना दे। यदि वह ऐसी सूचना चैक जारी करने वाले को प्रेषित करता है तो सूचना प्राप्त होने के 15 दिनों में उसे चैक की राशि का भुगतान चैक धारक को करना है। यदि वह इन पन्द्रह दिनों में भुगतान नहीं करता है तो उस के विरुद्ध वाद कारण उत्पन्न हो जाता है। इस तरह वाद कारण ऐसी सूचना भेजे जाने की तिथि से नहीं अपितु ऐसी सूचना प्राप्त होने की तिथि से 15 दिन पूर्ण होने तथा चैक की राशि का भुगतान न होने पर उत्पन्न होता है।

म तौर पर इस तरह के नोटिस रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से प्रेषित किए जाते हैं जो उन्हें प्रेषित किए जाने के 3 से 7 दिनों में पाने वाले को प्राप्त हो जाते हैं। इस तरह नोटिस प्रेषित होने और उसे प्राप्त होने के बीच अधिकतम 7 दिन भी मान लें तो नोटिस प्रेषित होने के 22 वें दिन ही वाद कारण उत्पन्न हो जाएगा। आप को चाहिए कि आप उक्त प्रकरण की पत्रावली देख कर यह पता कर लें कि वास्तव में यह नोटिस आप को किस तिथि को प्राप्त हुआ है आप के मामले में उस तिथि से 15 दिन बाद वाद कारण उत्पन्न हुआ है।

वाद कारण उत्पन्न होने की इस तिथि से एक माह की अवधि में अर्थात जिस तिथि को वाद कारण उत्पन्न हुआ है अगले माह की उसी तिथि तक परिवादी को यह परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना था। यदि ऐसा नहीं हुआ है और परिवाद को प्रस्तुत करने की तिथि उस बाद की है तो यह परिवाद अवधि पार है और चलने योग्य नहीं है। इस स्थिति का लाभ आप उठा सकते हैं। आप को और आप के वकील को सिर्फ मौन रहना है तथा परिवादी के बयान के दौरान जिरह में उस से आप को नोटिस मिलने की तिथि, तथा परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि प्रमाणित करवा लेनी है। यदि परिवाद मियाद बाहर प्रस्तुत हुआ है तो वह निरस्त कर दिया जाएगा।

प इस मामले में यह साबित करना चाहते हैं कि आप ने उक्त चैक किसी दायित्व की पूर्ति के लिए नहीं दिया था। तो आप को बताना पड़ेगा कि यह चैक आप ने किन परिस्थितियों में परिवादी को दिया था। आप की राशि देने की तारीख को ठीकरी में अनुपस्थिति तो आप भाई और अस्पताल के स्टाफ के किसी सदस्य के बयान करवा कर साबित कर सकते हैं। लेकिन आप को यह भी साबित करना पड़ेगा कि आप ने यह चैक किन परिस्थितियों में उसे दिया था।

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