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सीक्योरिटी के रुप में दिए गए चैक पर धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (N.I.Act) का परिवाद पोषणीय नहीं है।

समस्या-

अजय कुमार  ने  भरतपुर, राजस्थान से पूछा है –

 मेरी एक जमीन को खरीदने का सौदा एक व्यक्ति ने मेरे साथ किया, जिसके लिए उसने मुझे ने अग्रिम राशि के तौर पर 50 लाख रुपए दिए और एक एग्रीमेंट किया जिसमें बकाया राशि 51 लाख रुपये 15 माह में चुकाने पर रजिस्ट्री करने का वायदा मुझ से कराया। मुझ से खरीददार ने 40 लाख का एक चैक सीक्योरिटी के बदले ले लिया। लेकिन परिवादी ने अपना करार पूरा नहीं किया और करार करने के अगले महीने ही अपनी राशि की वापस मांग की तो मैंने सदभावना में उसकी कुछ राशि 14 लाख नकद जिसका लिखित में अपनी कच्ची खाता बही में एंट्री की और 20 लाख परिवादी के खाते में ट्रांसफर कर दिए। यह रकम किश्तों में परिवादी को चुका दी, लेकिन परिवादी ने इसके बाबजूद भी   बैंक से चैक बाउंस करा कर कोर्टमें 138 एनआई एक्ट का मुकदमा कर दिया है। जिसमें उसने मुझ से वापस प्राप्त कर ली गयी राशि का कोई जिक्र नही किया है और पूरा पैसा मांग रहा है। मुकदमा अभी अभियोजन की गवाही में चल रहा है । खरीददार ने इंटरिम राशि की मांग की है। अब उसे इंटरिम राशी न मिले उसके लिए क्या करना होगा? और परिवादी के खिलाफ क्या कानूनी कार्यवाही इस स्टेज पर की जा सकती है? कृपया उचित सलाह दें।

समाधान-

किसी भी प्रकरण में जो न्यायालय में लंबित हो उस में उस प्रकरण से संबंधित पत्रावली के अवलोकन व अध्ययन के बिना कोई पुख्ता सलाह देना संभव नहीं होता है। फिर भी हम आप के द्वारा बताए गए तथ्यों व विवरण के आधार पर अपनी राय यहाँ प्रकट कर रहे हैं।

आप के व खरीददार के मध्य जो करार हुआ था वह खरीददार ने भंग कर दिया। दूसरा मोखिक करार यह हुआ कि आप उस के द्वारा आप को  दी गयी राशि उसे वापस लौटा देंगे। आप ने 14 लाख नकद लौटा दिए जिस की आपने कोई रसीद नहीं ली केवल अपनी बही में अंकन किया है। यदि यह बही बिजनेस के संबंध में दिन प्रतिदिन पूरी सचाई के साथ रखी जाती है तो इस पर न्यायालय विश्वास कर सकता है। क्यों कि इस में कैश इन हैंण्ड उस दिन 12 लाख रुपए कम होना बताया गया होगा जो आप के पास उपलब्ध होगा। बाकी 20 लाख रुपए जो आप ने खाते में स्थानान्तरित किए हैं उस का सबूत तो बैंक खाते के स्टेटमेंट से हो जाएगा।

आप के पास इस मामले में पहले हुआ एग्रीमेंट है, उस में सीक्योरिटी के रूप में दिए गए चैक का नंबर होगा तथा यह भी लिखा गया होगा कि यह चैक सीक्योरिटी के रूप में दिया गया है। यदि ऐसा कथन एग्रीमेंट में या किसी लिखत में है तो इस से यह साबित होता है कि चैक सीक्योरिटी के रूप में दिया गया था न की किसी दायित्व के भुगतान के रूप में। इस लिखत के अदालत में पेश कर देने से प्रथम दृष्टया यह साबित होगा कि चैक सीक्योरिटी के बतौर दिया गया था। वैसी स्थिति में धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम का यह प्रकरण पोषणीय नहीं रह जाएगा। इस से अन्तरिम राशि दिलाने का जो आवेदन दिया गया है वह निरस्त कराया जा सकता है। अंतिम रूप से भी इस आधार पर यह मुकदमा खारिज हो सकेगा।

आप क्या कार्यवाही कर सकते हैं? इस का सीधा उत्तर यह है कि खऱीददार ने आप के साथ धोखाधड़ी की है। ऐसा लगता है कि उस का पहले से ही इरादा ठीक नहीं था। उस ने इस तरह चारा डाल कर आप को फँसाया है। तो आप पुलिस में धोखाधड़ी की रपट लिखा सकते हैं। यदि पुलिस कार्यवाही न करे तो एस पी को परिवाद दे सकते हैं, फिर भी कार्यवाही न होने पर न्यायालय में अलग से परिवाद प्रस्तुत करवा सकते हैं। बेहतर हो कि इस मामले में किसी स्थानीय वरिष्ठ वकील की सलाह से काम करें।

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