जजों के एक तिहाई पद रिक्त होने से उच्च न्यायालयों मे जाम
|आज कानून से संबंधित एक समाचार तीसरा खंबा के सहयोगी ब्लाग अदालत पर है, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 266 पद रिक्त।
यह समाचार न्याय प्रणाली की दुर्दशा को प्रदर्शित करता है। एक और देश के उच्चन्यायालयों में लाखों मुकदमें लम्बित हैं और दूसरी ओर देश के उच्च न्यायालयों में 226 पद रिक्त पड़े हैं। यह अवस्था सदैव ही बनी रहती है। क्यों कि हमारे यहाँ जब पद रिक्त हो जाते हैं तो उन पर नियुक्तियों की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। जो आम तौर पर बहुत लम्बी होती है। नतीजा यह है कि कहने को हमारे पास अदालतें हैं लेकिन काम करने वाली अदालतें कितनी हैं? 886 में से 266 पद रिक्त होने का अर्थ है कि हमारे उच्च न्यायालयों की क्षमता का केवल दो तिहाई उपयोग हो रहा है। यह न केवल चिंताजनक है अपितु हमारी न्याय प्रणाली के लिए शर्मनाक भी है।
हम कभी भी नहीं सुनते-पढ़ते कि किसी उच्चन्यायालय के न्यायाधीश ने स्वयं पद त्याग दिया हो। इस का सीधा अर्थ है कि जो भी पद रिक्त होते हैं वे सभी प्रक्रिया के दौरान न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने के कारण ही होते हैं या फिर सुप्रीमकोर्ट में पदोन्नति के कारण। अर्थात पहले से यह जानकारी रहती है कि कब कितने पद रिक्त होने हैं। इस कारण से यह भी व्यवस्था की जा सकती है कि पद के रिक्त होने के पूर्व ही उसे भरे जाने की व्यवस्था कर ली जाए।
यह तो हुई बात उच्च न्यायालयों की, अधीनस्थ अदालतों अर्थात जिला जज से ले कर न्यायिक मजिस्ट्रेट और कनिष्ठ सिविल जज की अदालतों की तो देश भर में तकरीबन 2500 अदालतें सदैव ही न्यायाधीशों की प्रतीक्षा में रिक्त बनी रहती हैं। जब कि उन के कार्यालय के सभी कर्मचारी सेवा में रहते हैं और कार्यालय चलते रहते हैं, बिना किसी काम के। उन का खर्च बराबर चलता रहता है जो एक तरह से व्यर्थ का बोझा है। वहाँ भी ऐसी व्यवस्था की जा सकती है कि कोई अदालत कभी भी न्यायाधीश और कर्मचारियों के अभाव में रिक्त न रहे।
यह कार्य स्वयं न्यायपालिका का है और उसे इस कार्य के लिए शीघ्र ही कार्य योजना बना कर यह व्यवस्था करनी ही चाहिए। इस के अतिरिक्त बहुत सी ऐसी अदालतें हैं जो कि सीधे न्याय-पालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं लेकिन केन्द्र या राज्य सरकारों के क्षेत्र में हैं। इन में राजस्व अदालतें, उपभोक्ता अदालतें, श्रम और औद्योंगिक न्यायालय, किराया कानून के न्यायाधिकरण आदि। इन में भी जजों व कर्मचारियों के अभाव के कारण न्यायिक काम को निपटाने में देरी होती है। राजस्थान में 2003 से किराया न्यायाधिकरण आरंभ हुए तब राजस्थान उच्चन्यायालय ने सख्ती से अपने न्यायिक अधिकारी देने से इस आधार पर विरोध किया था कि न्यायिक अधिकारियों के आवश्यक पदों में वृद्धि की जाए। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि वे न केवल ऐसा करेंगे अपितु इन न्यायाधिकरणों के लिए अतिरिक्त कर्मचारी और साधन भी देंगे। लेकिन पाँच वर्ष गुजर चुके हैं आज तक मामला वैसे ही लटका है जैसे 2003 में था। वही न्यायपालिका के साधनों, न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों से ही यह काम लिया जा रहा है।
इस तरह सरकारों द्वारा उन के कर्तव्यों की उपेक्षा के कारण ही न्याय की गति इतनी मंद हो गई है कि अदालतें न्याय करने के स्थान पर पीड़ा जनक स्थल बनती जा रही हैं।
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समस्त सम्बन्धितों को यह हकीकत मालूम है फिर भी भर्ती नहीं की जाती । जाहिर है, लोगों को यदि न्याय समय पर मिलने लगा तो व्यवस्था परेशान हो जाएगी । लोगों को इतना परेशान कर दें कि वे आपके दरवाजे पर आना ही छोड दें और आप मस्ती मारते रहें । यही मानसिकता अनुभव हो रही है ।
पद भरने में यह देरी सभी सरकारी विभागों में है। लिहाजा सतत १०-१५% रिक्तियों से काम चलाना पड़ता है।
वही दशा जुडीशियरी में भी है!
यह नहीं होना चाहिये।
दीपावली का पावन पर्व अच्छी तरह मना रहे होँगेँ –
आपको दीपावली पर स – परिवार शुभकामनाएँ
हमेशा की तरह सही सही बयान किया है –
bad mahatvpurn mudda uthaya hai.
अच्छा िलखा है आपने । दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
मैं तो आपके ब्लॉग का आम और नियमित पाठक ही हो गया ….सोचा हूँ कि हमारे देश में जिस तरह से सिविक सेंस [ नागरिक चेतना ] की नितांत कमी है, उसके लिए कोई तो आगे आकर सामान्य भाषा में लोगों को न केवल उन्हें उनके दैनिक दिनचर्या से जुड़े कानून को समझायेगा बल्कि आवश्यकता पड़ने पर कभी झिडकेगा भी और कभी सिखायेगा भी. शायद आप ‘तीसरा खम्भा’ लिख कर इन अपेक्षाओं की पूर्ति का अपरिमित सुख ले रहे हैं. आपको साधुवाद एवम आभार.
दीप पर्व की बधाइयाँ….यह आपके एवम समस्त स्नेही जनों के जीवन में सुख, समृद्धि, उन्नति के नए प्रतिमान लेकर आए.
ऐसे मे तो विलम्ब ही विलम्ब होगा.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
दीपावली की शुभकामनाएं.
ये बहुत चिंता जनक स्थिति है ! न्याय करने वाले ही नही हैं तो कहाँ से त्वरित न्याय मिलेगा ? बहुत बढिया जानकारी ! धन्यवाद !
bahot sundar, dhnyabad,