जटिल मामलों में बिना दस्तावेजों के अध्ययन और सारे तथ्यों की जानकारी हुए बिना उचित समाधान संभव नहीं।
|मनीषा सिंह ने जिला उमरिया, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी मौसी अविवाहित थी के घर में अज्ञात लोगों द्वारा चोरी के पश्चात उन की हत्या कर दी गई थी । मेरी माँ तीन बहने थी, भाई नहीं था, तेरहवीं के दिन पेपर में लेख छपा था कि वे एक सोनी लड्के को दत्त्ाक पुत्र मानती थी, जो हमारी जाति से विलग है। मेरी माँ एवं उनकी बडी बहन के 3 पुत्र एवं 4 पुत्रियां हैं। उस सोनी लडके की माँ को भी पता नहीं है कि कब दत्तक ग्रहण हो गया। दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मेरी माँ के नानाजी की भूमि एवं दो मकान थे। मेरी माँ के नानाजी की छ:पुत्रियां थी उनमें एक ने विजातीय शादी की। सभी का देहांत हो चुका है, मेरे माँ के नानाजी की पुत्रियों में से एक बडी पुत्री की तीन लडकियाँ है, एवं एक जिन्होंने विजातीय सोनी जाति में शादी की थी उनके एक जीवित पुत्र है, जो पुलिस विभाग में डीएसपी है एवं दो विधवा भाभी एक बहन है। मेरी माँ की मौसियों के दो वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो जाने के पश्चात मेरी माँ ने पिछले साल भूमि का नामांतरण अपनी तीनों बहनेां एवं मौसी के लडके,बहन एवं विधवा बहुओं के नाम करवा लिया। मेरी मां की छोटी बहन कुमारी थी, उनकी हत्या अज्ञात व्यक्ति द्वारा चोरी के दौरान कर दी गई, कहा गया है कि मेरी माँ की छोटी बहन ने अपने हिस्स्ो की संपत्ति मौसी के लडके जो सोनी परिवार के हैं के नाम रजिस्टर्ड की है, क्या वह जायज है। जब कि ये पूर्वज नानाजी की संपत्ति थी। जब कि उनको जितनी संपत्ति में हिस्सा देना था दे दिया इसके बाद भी वो ले सकते हैं,। साथ ही मेरी नाना की बनाई माँ के नानाजी की जमीन पर किराये हेतु दी थी का किराया उठाते हैं, एवं प्लाट की चाबी छीन लिये हम लोग 600कि.मी.दूर रहते हैं, इसलिए बार बार आना जाना नहीं कर सकते। पिछले दिनों आप से सलाह मॉगी थी तो आपने लेख किया कि उन्हें ही कोर्ट जाने दो अब संयुक्त नामांतरण पश्चात बंटवारा कैसे हो, एवं मेरी मां की छोटी बहन द्वारा अपने हिस्से की जमीन जो मृत्यु के दो दिन पूर्व क्या वह जायज है। बताने का कष्ट करें। , प्रार्थिनी आपकी आभारी रहेगी । साथ ही मेरी मॉ की छोटी बहन की म़त्यु पश्चात इसी मौसेरे सोनी परिवार का लड्का जिसकी उम्र 38वर्ष है अपने को दत्तक पुत्र मेरी मॉ की पैतृक संपत्ति हेतु घोषित कर रहा है। मेरी मॉ एवं उनकी बडी बहन के चार चार संतान पुत्र एवं पुत्रियॉ है।
समाधान-
आप ने दो बातें कही हैं कि आप की मौसी ने सोनी युवक को अपना दत्तक पुत्र माना है और उन्हों ने मृत्यु के दो दिन पहले ऐसी जमीन को उन के मौसेरे भाई के नाम है रजिस्टर्ड करवा दिया है।
कोई व्यक्ति किसी का दत्तक पुत्र है यह केवल दत्तक ग्रहण दस्तावेज से पता लगाया जा सकता है या फिर न्यायालय में विवाद पहुँचने पर साक्ष्य से साबित किया जा सकता है। लेकिन कोई भी दत्तक ग्रहण उस व्यक्ति के जन्मदाता माता पिता की सहमति के बिना नहीं हो सकता। यदि उस की माता को यह पता नहीं कि कब उस का पुत्र दत्तक हो गया तो ऐसा दत्तक ग्रहण कानूनी नहीं हो सकता।
किसी भी स्त्री की संपत्ति उस की व्यक्तिगत संपत्ति होती है। एक बार किसी स्त्री को किसी पुश्तैनी संपत्ति का हिस्सा प्राप्त हो जाने पर वह हिस्सा पुश्तैनी संपत्ति का दर्जा खो बैठता है। इस कारण आप की मौसी को उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति भी उन की व्यक्तिगत है। इस कारण वे उसे हस्तान्तरित कर सकती हैं।
आप ने बताया है कि जो संपत्ति मौसी ने अपने हिस्से की संपत्ति उन के कथित दत्तक पुत्र के नाम रजिस्टर्ड कराई है। लेकिन यह नहीं बताया कि क्या दस्तावेज रजिस्टर्ड कराया गया है वह दान पत्र है अथवा विक्रय पत्र है। इस तरह अधूरी जानकारी के आधार पर कोई भी सलाह ली जाएगी तो वह गलत हो सकती है। आप का मामला जटिल है तथा इस फोरम पर उस के लिए कोई अन्तिम और उचित सलाह दे पाना संभव नहीं है। आप को चाहिए कि अपने सारे दस्तावेजों के साथ आप किसी स्थानीय वकील से संपर्क करें और वह जो तथ्य और जानना चाहे उन्हें बताएँ। तभी वह आप की समस्या का कोई उचित हल बता सकता है।
(1) न्यायालयों में पेषी वाले दिन आवेदक/अनावेदक से कोरी (ब्लेंक) आर्डरषीट पर हस्ताक्षर करा लिये जाते हैं। संबंधित बाबू व्दारा कहा जाता है समय नहीं है नोटिंग बाद में करेंगे। पष्चात् बाबू व्दारा नोटिंग की जाती है, क्या यह प्रक्रिया वैधानिक है ?
(2) न्यायालयों में वकीलों व्दारा/पुलिस व्दारा जो अभिलेख प्रस्तुत किये जाते हैं, उन पर पेजिंग नहीं की जाती है, उनका सत्यापन नहीं किया जाता है ंतथा उनकी वैद्यानिकता भी नहीं देखी जाती है। इस तरह के प्रस्तुत अभिलेखों से पक्षकार/विपक्षी दोनों है। इस संबंध में क्या विधान/नियम/व्यवस्था है कृपया अवगत कराने का कष्ट करें।