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जरूरी दस्तावेज व सूचनाएँ प्रस्तुत करने को न्यायालय संबंधित व्यक्ति को आदेश दे सकते हैं।

समस्या-

अश्विनि कुमार ने एमक्यू119, दीपिका कालोनी, पोस्ट- गेवरा प्रोजेक्ट, जिला कोरबा (छत्तीसगढ़) से समस्या भेजी है कि-

मै एवं मेरी पत्नी भी कोरबा के ही हैं। मेरी पत्नी के द्वारा मेरे ऊपर धारा 498क (जून 2012), धारा 125 (अगस्त 2012), घरेलू हिंसा (अक्तूबर 2013)2013 मे केस किए हैं। धारा 125 में अन्तरिम भरण पोषण के लिए फरवरी 2014 से 5000.00 रुपये प्रति माह मेरे द्वारा दिया जा रहा है। सभी केस अभी अंतिम दौर मे चल रहा है। मेरी पत्नी जून 2017 से केन्द्रीय विद्यालय मे शिक्षिका के पद पर नियुक्त होकर 27500.00 रुपए वेतन प्राप्त कर रही है। मुझे जानकारी होने पर मेरे द्वारा केन्द्रीय विद्यालय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर तीसरे पक्ष की जानकारी देने से मना किया गया। अपील में गया तो अपील अधिकारी के द्वारा मेरी पत्नी को पूछे जाने पर मेरी पत्नी ने जानकारी देने से मना कर दिये जाने की जानकारी देते हुये मुझे जानकारी नहीं दी गयी। सूचना के अधिकार के तहत दी गयी जानकारी आपकी ओर प्रेषित कर रहा हूँ। मुझे मेरी पत्नी से संबन्धित जानकारी कैसे प्राप्त हो सकती है?

समाधान-

प यह जानकारी इस कारण से प्राप्त करना चाहते हैं जिस से आप न्यायालय के समक्ष इन दस्तावेजों के प्रस्तुत कर यह साबित कर सकें कि आप की पत्नी को भरण पोषण के लिए किसी राशि की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन किसी भी न्यायिक कार्यवाही में यदि कोई तथ्य साबित करना है तो उस में उस के लिए इस तरह के प्रावधान हैं कि न्यायालय स्वयं उस पक्ष को वे तथ्य प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है या फिर किसी दस्तावेज को जो न्यायालय में लंबित मुकदमे का निर्णय करने के लिए आवश्यक हो उसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है। इस सम्बन्ध में दीवानी और अपराधिक प्रक्रिया संहिताओं में उपबंध हैं।

दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 11 में दस्तावेज प्रस्तुत कराने तथा विपक्षी को परिप्रश्नावली दे कर उन के उत्तर प्रस्तुत करने के उपबंध हैं इसी प्रकार धारा 91 दंड प्रक्रिया संहिता में दस्तावेज प्रस्तुत कराने संबंधित उपबंध हैं। आप अपने वकील से संपर्क कर के उन्हें इन उपबंधों में से उपयोगी उपबंध में आवेदन प्रस्तुत कर उक्त दस्तावेज संबंधित स्कूल प्रशासन को प्रस्तुत करने का आदेश न्यायालय से कराएँ। जरूरत होने पर सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त उत्तरों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।