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कर्ज लेने वाले सदस्य को परिवार से अलग करते हुए उसे सभी तरह के उत्तराधिकार से वञ्चित करें।

समस्या-

अनिल कुमार ने निर्मली, सुपौल, बिहार से पूछा है-

हम चार भाई हैं, उनमें में सबसे बड़ा हूं। दो छोटे भाई अविवाहित हैं। हमसे जो छोटे एक भाई है जिनकी शादी हो चुकी हैं अब दो बच्चे हैं। हम सब संयुक्त परिवार में ही रहते हैं। मेरे पिताजी, माताजी, एक दादाजी भी है। एक छोटे भाई जिसकी संगत गलत है, जो मन में आता है वही करता है। वह माता-पिता से कोई सलाह नहीं मानता है। अपनी गलत आदतों के कारण कई लोगों से बिना मेरे पिता के जानकारी के कुछ रुपए पैसे कर्ज ले लेता है जिसका भारी ब्याज हो जाता है। वह पहले भी कई बार ऐसा कर चुका है लेकिन पिता को नहीं बतलाता है कि पैसे कहां खर्च करते हैं। कई बार पिता व भाइयों द्वारा लोगों के कर्ज लिए गए पैसे का भुगतान किया गया, और हिदायत दिया गया आगे से ऐसा ना करने का। फिर भी मेरे छोटे भाई सादे कागज पर लिखकर कई लोगों से मोटी रकम ले लिया है। फिलहाल उसकी आमदनी इतना नहीं है कि वह पे कर सके। मुझे हाल ही में जानकारी हुआ वह कि एक आदमी से ₹100000  कर्ज ले लिया है। इस बात की जानकारी मैंने अपने पिता को दिया जिसका इस समय ₹20000  ब्याज हो गया है। इस कारण से मेरे भाई को पिताजी ने डांटा कि क्यों लोगों से रुपए यह पैसे ले रहा है तू कहां से देगा। इस पर मेरे पिता पर मेरे भाई गलत व्यवहार किया वह उलटा मेरे पिताजी ऐसे ही झगड़ा झंझट करने लगा। मेरे छोटे भाई मेरे पिता माता की बात नहीं मानता है। उसकी पत्नी भी मेरे पिताजी से झगड़ा के झंझट करती है इस आशय से कि मेरे पिता अपने पिता से (मेरे दादाजी) जमीन बेच कर मेरे कर्ज का भुगतान करवा दे। मेरे पिता के नाम कोई जमीन नहीं है। जमीन मेरे दादाजी के नाम है जो अभी जीवित है मेरे दादा जी कोई जमीन नहीं बेचना चाहते हैं। मेरे भाई का कहना है कि मेरे हिस्से का जमीन बेच दो जबकि मेरे पिता का नाम कोई जमीन है ही नहीं कि  जमीन तो दादाजी की स्व अर्जित संपत्ति है। अब मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि क्या मेरे भाई द्वारा लोगों से लिए गए कर्ज की देनदारी मेरे पिता के ऊपर बनती है। मेरे पिता भी मेरे छोटे भाई के व्यवहार व अनावश्यक कर्ज के कारण तंग आ चुके हैं। भाई लोग भी इसके दुष्प्रभाव के  कारण तंग आ चुके हैं। मैं अपने भाई से अलग रहना चाहता हूं क्योंकि संयुक्त में रहते हुए मेरे एक छोटे भाई अपनी मनमानी कर दिया है वह लोगों से कर्ज लेकर घर बर्बाद कर रहा है। जिससे काफी कष्ट हो रहा है हम लोगों को कोई विकास कार्य नहीं हो रहा है। घर में वो कानसे कम  सुनता है। एक दिन छोटा भाई बोल रहा था पिताजी को और आपको केस में फसा देंगे नहीं तो मुझे 2 लाख रुपए दो। भाई किसी से भी ये लोन गुपचुप तरीके से ले लेता है बाद में हमलोगो को पता चलता है। इस संबंध में जानकारी दे जिस से आगे कोई परेशानी नही हो।

समाधान-

आप का भाई यो कोई भी कर्जदार जो कर्ज लेता है उसके जीतेजी उसकी जिम्मेदारी किसी की नहीं नहीं है।  कर्जदार की मृत्यु के बाद उसके कर्जो के चुकारे की जिम्मेदारी उसके उत्तराधिकारियों की होती है।

आपके भाई को कर्ज इस कारण मिल जाता है कि आप सभी संयुक्त परिवार के रूप में रहते हैं और लोगों को लगता है कि परिवार की संपत्ति में उसका भी हिस्सा है। परिवार के लोग पारिवारिक संपत्ति बचाने के लिए कर्ज चुका ही देंगे। उसकी आमदनी से उसके खर्चे बहुत अधिक हैं। वह कर्ज लेता है और फिर उसे चुकाने के लिए पूरे परिवार को ब्लेकमेल करता है।

आपके परिवार की समूची संपत्ति उनकी स्वअर्जित संपत्ति है तो वह उनकी निजी संपत्ति है उसमें किसी का कोई दखल नहीं है। वे अपनी संपत्ति को अपने पुत्रों के नाम वसीयत कर सकते हैं। यदि वे वसीयत न भी करें तो भी उनके बाद उनकी संपत्ति का उत्तराधिकार उनके उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगा। पौत्र तभी दादा का उत्तराधिकारी हो सकता है जब कि उसके पिता का निधन दादाजी के पहले हो गया हो। आपके पिता भी अपनी वर्तमान तथा भावी संपत्ति के सम्बन्ध में वसीयत कर सकते हैं, जिसमें आपके कर्जदार भाई को सभी संपत्तियों से वंचित कर सकते हैं।

इसके अलावा आपके दादाजी समाचार पत्र में आम सूचना प्रकाशित कर यह घोषणा कर सकते हैं कि परिवार की सारी संपत्ति उनकी निजी है और उसमें आपके किसी भी पुत्र व पौत्र का कोई अधिकार नहीं है। आपके कर्जदार भाई को परिवार से अलग कर दिया गया है। उसका परिवार से किसी तरह का कोई संबंध नहीं है। उसके द्वारा लिए गए कर्ज का परिवार के किसी भी सदस्य से कोई संबंध नहीं होगा। जो भी उसे कर्ज देते हैं और उसकी वसूली उससे नहीं हो पाती है तो वह कर्ज देने वाली की रिस्क है, परिवार के किसी सदस्य की कोई जिम्मेदारी नहीं है, न होगी।

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