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पुलिस अपराध का संज्ञान न ले तो मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करें।

rp_MANREGA-KE-EMPOLYS-PER-LATHI-CHARGE5-300x204.jpgसमस्या-

लेखराज ने जमवारामगढ़ जयपुर, राजस्‍थान से समस्या भेजी है कि-

दिनांक 09/04/2015 को सांय 6 बजे के लगभग पडौसियों से रंजिस के चलते हमारे घर की महिलाओं (एक विकलांग है) व लडकियों पर पडौसियों व उनके साथ के अन्य लोगों द्वारा गंदे गंदे गाली गलौच किए गए तथा मारने पीटने व लज्जा भंग करने की कोशिश की गई। विपक्षी लोगों में पुरूष महिलाएं एवं उनके नाबालिग बच्चे भी शामिल थे तथा लगभग 50-60 लोग थे जबकि हमारे घर पर मेरी दो बहिने, माताजी तथा विकलांग बुआ के अलावा कोई नहीं था। इन लोगों से किसी तरह जान बचाकर वे मकान के अंदर चली गई व अंदर से ताला लगाकर बैठ गई। इसके बावजूद विरोधियों द्वारा मकान की दीवार के सहारे सीढी लगाकर छत के रास्ते से अंदर आने की कोशिश की गई लेकिन मेरी बहिन ने पहले ही छत के रास्ते मकान में अंदर आने वाला गेट बंद कर दिया था जिससे विपक्षी मकान के अंदर आने में कामयाब नहीं हो पाए तथा उन्हों ने गेट को तथा ताले को तोडने की कोशिश की। तब मेरी माताजी ने मेरे पिताजी (जो बाहर रहकर नौकरी करते हैं) को फोन कर सारी बात बताई। मेरे पिताजी ने पुलिस थाने में फोन करके शिकायत की तो पूलिस के आने के कुछ ही समय पहले वे लोग शांत हो गए तथा पुलिस के आते ही ऐसी माहौल बना दिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। रात लगभग 9 बजे जब पुलिस हमारे मकान पर आई तो हमारी माताजी ने उनसे बयान लिखने को कहा तो पुलिस वालों ने उनके बयान लेने से मना कर दिया। उसी समय विपक्षीगण का एक व्यक्ति ने जो राजस्थान पुलिस में नौकरी करता है तथा पुलिस वालों से मिला हुआ था, पुलिस वालों के सामने ही मेरी बहनों व माताजी से गाली गलौच किया तथा मेरी बहनों के अवैध संबंध होने के मिथ्या आरोप लगाए लेकिन तब भी पुलिस ने पीडित पक्ष के बयान दर्ज नहीं किए तथा वापस थाने जाकर एसएचओ व डीएसपी को मेरी माताजी व बहनों द्वारा पुलिस वालों को ही अपशब्द कहने का आरोप लगा दिया। पीड़ित पूरी रात भर मकान के अंदर बंद रहे तथा परेशान एवं घबराए हुए से रहे। सुबह होने पर मेरे पिताजी ने गांव के वरिष्ठ लोगों को फोन कर ताला खुलवाने तथा उन लोगों से बचाकर बाहर निकालने के लिए कहा। तब गांव के 5-7 वरिष्ठ लोगों ने आकर ताला खुलवाया व पीडिताओं को बाहर निकाला। तब विपक्षीलोगों ने गांव वालों के साथ भी अभद्र व्यवहार एवं गाली गलौच किया एवं उनको देख लेने की धमकी दी। पडौसियों से रंजिस के चलते इस तरह की घटना की यह चौथी बार पुनरावृति थी तथा पुलिस के आला अधिकारियों को बार बार शिकायती पत्र लिखने के बावजूद भी उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही तथा ना ही मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। पुलिस वाले इन लोगों से पहले से ही मिले हुए हैं तथा विपक्षीगण के भी कुछ लोग पुलिस सेवा में कार्यरत हैं तथा पुलिस के वरिष्ठ अफसरों व बडी राजनीतिक पार्टी के नेताओं के साथ उनकी अच्छी जान पहचान होने के कारण व राजनीतिक दखल के कारण पुलिस मुकदमा दर्ज करने से बच रही है तथा उन लोगों के खिलाफ कोई एक्श्न नहीं ले रही है और ना ही अभी तक पुलिस द्वारा पीडित पक्ष्‍ के बयान दर्ज किए गए हैं तथा ना ही किसी महिला पुलिसकर्मी को अभी तक जांच के लिए भेजा है। पुलिस से न्याय की उम्मीद न होने के कारण हमने राजस्थान महिला आयोग को इस मामले की शिकायत की। लेकिन महिला आयोग द्वारा भी अभी तक कोई बयान नहीं दर्ज किया गया है और ना ही पुलिस पर कार्यवाही करने का दबाव बनाया जा रहा है। शायद महिला आयोग ने भी राजनीतिक दखल के कारण कोई एक्शन नहीं लिया हो। 1. यदि महिला आयोग या पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं किया जा रहा हो तो इसकी शिकायत कहां की जा सकती है। 2. इस तरह की घटना की यह चौथी बार पुनरावृति हुई है, तथा इस तरह की भावी घटनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यदि कभी कोई अनहोनी हो गयी तो वह किसकी जिम्मेदारी होगी जबकि हमारे द्वारा पुलिस के एसएचओं से लेकर डीजीपी तक पत्राचार के माध्यम से एवं व्यक्तिगत रूप से भी कार्यवाही करने और उन लोगों को पाबंद करवाने के लिए अनेक बार निवेदन किया जा चुका है। क्या हम सीधे उच्च न्यानयालय या उच्चदतम न्यायालय की शरण ले सकते हैं। यदि हां तो कृपया पूरी प्रक्रिया बतावें। 4. विपक्षी लोगों द्वारा पुलिस वालों के सामने भी अपशब्द कहे गए लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने बयान दर्ज नहीं किए। क्या इस मामले में पुलिसकर्मी भी दोषी हो सकते हैं तथा उनके खिलाफ भी मुकदमा दायर किया जा सकता है। यदि हां तो कैसे और कहां? 5. राजनीतिक दखल के कारण पुलिस एक्शन नहीं ले रही। पुलिस कार्यप्रणाली से राजनीतिक दखल या पुलिस के ही वरिष्ठ अधिकारियों के दखल को कैसे दूर किया जा सकता है तथा इसकी शिकायत कहां की जावे। 6. पूरे मामले में पीडित पक्ष में महिलाएं है लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस थाने द्वारा महिला पुलिसकर्मी को जांच के लिए नहीं भेजा गया। क्या सूचना के अधिकार के तहत इस बात का जवाब मांगा जा सकता है। 7. विपक्षीगण द्वारा मेरी बहनों के अवैध संबंध होने के मिथ्या आरोप पुलिस के सामने लगाए गए हैं जिसका कोई प्रमाण विपक्षीगण के पास नहीं हैं, ऐसे में उनके खिलाफ महिला आयोग के अलावा कहां शिकायत दर्ज की जा सकती है तथा यह किस प्रकारका अपराध कारित होता है। 8. क्या इस तरह के महिला दुराचार से जुडे मामलों की जांच के लिए सीधे उच्चतम या उच्‍च न्यायालय में अपील की जा सकती है। 9. यदि कहीं से भी न्यारय की उम्मीद ना हो तो ऐसे मामलों में महिलाएं अपने स्वयं के स्तर पर अपनी सुरक्षा के लिए क्‍या एक्शन ले सकती हैं जो गैरकानूनी ना हो। 10. क्या मामले में गांव के उन 5-7 लोगों को गवाह बना सकते हैं जिन्होंने सुबह आकर ताला खुलवाया व विपक्षियों के चंगुल से मुक्ता करवाया तथा बाद में विपक्ष ने उनके साथ भी अभद्र व्यहवहार किया। इसके अलावा विपक्षीगण के द्वारा प्रयोग किए गए अपशब्दों तथा मिथ्या आरोपों, जिनकी आडियो रिकार्डिंग हमारे पास है, को भी सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है।

समाधान-

मूह एकत्र कर के गाली गलौच, मारपीट और लज्जा भंग करने का प्रयत्न करना तीनों ही अपराध हैं। पुलिस इस के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर रही है तो आप को चाहिए कि किसी स्थानीय वकील से संपर्क करें और ऐसा कृत्य करने वालों के विरुद्ध सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें वहाँ आप के व गवाहों के बयान कराएँ और ऑडियो रिकार्डिंग की प्रतिलिपि प्रस्तुत करें। मजिस्ट्रेट इस मामले में स्वयं प्रसंज्ञान ले कर अभियुक्तों के विरुद्ध अभियोजन आरंभ कर सकता है अथवा पुलिस को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर के अन्वेषण के लिए आदेश दे सकता है। यदि फिर भी पुलिस कोई आरोप पत्र अभियुक्तों के विरुद्ध प्रस्तुत न करे तो आप न्यायालय में सभी गवाहों के बयान करवा कर तथा सबूत प्रस्तुत कर अभियोजन आरंभ करवा सकते हैं। इस के लिए महिला आयोग, उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय जाने की आवश्यकता नहीं है। जो भी गवाह हैं उन के बयान कराए जा सकते हैं ऑडियो रिकार्डिंग को सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है।

पुलिस मिली हुई हो सकती है और उस पर राजनैतिक दबाव भी हो सकता है। यदि आप को लगता है कि इस कारण से पुलिस कार्यवाही करने से बचती है तो आप उच्च न्यायालय में पुलिस, प्रशासन और राज्य सरकार के विरुद्ध रिट याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं। इस के लिए आप को उच्च न्यायालय के किसी वकील की सहायता लेनी होगी।

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