जिस भूमि पर आप 15 वर्ष से मकान बना कर काबिज हैं उस से आप को बेदखल नहीं किया जा सकता।
हितेश शर्मा ने दवाना, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरे पिताजी द्वारा 1997 में 40×108 का प्लाट ख़रीदा गया था और उसकी रजिस्ट्री भी करवा ली गई किन्तु प्लाट सीधा न होने की वजह से सन 2000 में मकान बनाते वक़्त 743 वर्ग फीट जमीन और खरीदनी पड़ी जिसका सिर्फ 50 रूपए के स्टाम्प पर विक्रय अनुबंध हुआ था जिसकी नोटरी भी नहीं की गई थी। किन्तु आज सन 2015 में प्लाट मालिक के मन में बेईमानी आ गई है और वह कहता है कि यह 743 वर्ग फीट जगह मेरी है। क्या मेरे द्वारा न्यायालय में केस दायर किया जा सकता है? क्या उक्त जमीन की रजिस्ट्री विक्रय पत्र के आधार पर मेरे नाम से हो सकती है? यहाँ मैं आपको इस बात से अवगत करना चाहूँगा कि सन २०१२ में मेरे पिताजी की म्रत्यु हो चुकी है और उक्त पूरी जमीन पर मेरे पिताजी द्वारा सन 2000 में ही मकान बनाकर कब्ज़ा ले लिया गया था और पिछले 15 वर्षो से हम यहाँ निवास कर रहे हैं।
समाधान–
वैसे तो आप के पास एक विक्रय अनुबंध है। हम ने वह देखा नहीं है। लेकिन उस विक्रय अनुबंध में यह तो अंकित होगा कि जमीन का स्वामी इतने रुपए में अमुक जमीन आप के पिता को विक्रय कर रहा है और उस की कीमत उस ने प्राप्त कर ली है और कब्जा दे दिया है, जब भी आप के पिता चाहेंगे वह विक्रय पत्र की रजिस्ट्री करवा देगा। उस के बाद आप के पिता जी ने उस जमीन पर सन् 2000 में ही मकान बना लिया।
अब स्थिति यह है कि जमीन का मालिक रजिस्ट्री कराने से इन्कार कर रहा है। उस विक्रय अनुबंध के आधार पर जो कि सन् 2000 का है अब विक्रय पत्र निष्पादित कर उस की रजिस्ट्री कराने का विशिष्ट अनुपालन का वाद आप नहीं कर सकते क्यों कि उस की मियाद निकल चुकी है। यदि वाद करेंगे तो वह मियाद के आधार पर निरस्त हो जाएगा।
लेकिन उक्त जमीन पर आप का कब्जा है। जमीन की कीमत अदा करना अनुबंध में लिखा तो ठीक है न लिखा है तब भी ठीक है। उस अनुबंध का आंशिक पालन आप के पिता को जमीन का कब्जा सौंप कर कर दिया गया है। विगत 15 वर्ष में कोई आपत्ति भी उस पर नहीं हुई है, आप 15 वर्षों से उस जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं और काबिज हैं। संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियम की धारा 53 ए में यह प्रावधान है कि यदि संविदा का आंशिक पालन हो गया हो और स्थाई संपत्ति का कब्जा दे दिया गया हो तो उस के कब्जे में दखल नहीं दिया जा सकता। यह एक तरह की प्रतिरक्षा का सिद्धान्त है। अर्थात यदि कोई आप के विरुद्ध कब्जे का दावा करे तो आप अपनी प्रतिरक्षा में इसे काम में ले सकते हैं। इस तरह जमीन का विक्रेता आप के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही करे तो आप इस प्रतिवाद के साथ अपनी प्रतिरक्षा कर सकते हैं। हमारे विचार में आप को कोई वाद नहीं करना चाहिए और जो उस जमीन पर अपना हक बता रहा है उसे कानूनी कार्यवाही करने देनी चाहिए। आप यह मजबूत प्रतिवाद कर सकते हैं।
यदि किसी तरह से यह प्रतिवाद असफल होता दिखे तो भी आप 15 वर्ष से उस जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं। किसी ने आपत्ति नहीं की है। यदि यह मान लिया जाए कि कोई संविदा नहीं हुई थी तो भी आप के मकान का बनना उस जमीन के मालिक की अनुमति से था। जो एक तरह का लायसेंस है। यदि कोई लायसेंस वाली भूमि पर स्थाई निर्माण करवा लेता है तो वह लायसेंस अनिरस्तनीय (irrevocable) है। इस आधार पर भी आप से उस जमीन का कब्जा वापस नहीं लिया जा सकता।
यदि जमीन का मालिक कोई जोर जबर वाला व्यक्ति हो जबरन कुछ करने की संभावना हो तो आप इस आधार पर इस आशय की निषेधाज्ञा का वाद कर सकते हैं कि आप15 वर्ष से उस जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं और वह आप को बेदखल करना चाहता है इस कारण वह बिना किसी कानूनी तरीके से आप को जबरन बलपूर्वक बेदखल न करे। इस वाद में आवेदन प्रस्तुत करने पर आप को इसी आशय की निषेधाज्ञा भी मिल सकती है।
सर मै यूपी के जिला इलाहाबाद तासिल करछना का हूं सर हमारे दादी को उसने मां बाप ने तकरीबन 3बिससा जमीन रहने के लिये दिया था और अब करीब 50 साल बाद उनके बेटे लोग जमीन छीन रहे है और मुकदमा भी कर दिया है मै कया करु सर कुछ बताये
Sir ji 50rs ka 100rs ka stamp kitna or kab tak valid h or ager stamp par noteri nhi ki ho to stamp manay hoga ya nhi.kin kin situation par stamp valid or unvaild hota h .plz bataye
सर आपका बहुत बहुत धन्यवाद् मै आपका दिल से आभारी रहूगा