टक्कर मारने वाले वाहन के पास बीमा न होने पर मुआवजे की वसूली का मामला
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मैं पेशे से एक इंजिनियर हूँ और एक ऑटोमोबाइल कंपनी में नियोजित हूँ। 28 अगस्त 2008 को अपने ऑफिस से मेरे मित्र की बाइक पर घर आते समय एक माल भरे डम्पर ने टक्कर मार दी। मेरी बाइक और डम्पर दोनों के पास ही बीमा नहीं था। हम ने वकील किया जिस ने हमें यह विश्वास दिया कि यह मामला डेढ़ दो वर्ष में निपट जाएगा और हमें क्षतिपूर्ति दावे की आसानी से राशि मिल जाएगी। लेकिन अब वह कोई साफ बात नहीं बता रहा है और रुचि नहीं ले रहा है। वह कह रहा है कि दावा राशि मिलना कठिन है क्यों कि डम्पर मालिक के पास बीमा नहीं है। और हमें राशि वसूलने के लिए अलग मुकदमा लगाना पड़ेगा।
मुझे सही राय प्रदान करें जिस से मैं सही दिशा में उपाय कर सकूँ।
लोकेश जी,
आप का मामला शीशे की तरह साफ है। मोटर दुर्घटना के मामले डेढ़ दो वर्ष में निर्णीत हो जाते हैं। मेरी समझ में आप के मामलें में निर्णय हो चुका होगा या होने वाला होगा। इन मामलों में दुर्घटना में लिप्त वाहन के चालक, मालिक और बीमाकर्ता के विरुद्ध दावा किया जाता है और दुर्घटना अधिकरण जो भी मुआवजा दिलाता है, आप तौर पर उस के भुगतान का दायित्व इन तीनों पर संयुक्त रूप से तथा पृथकतः होता है। यदि ऐसा वाहन बीमित हुआ तो बीमा कंपनी निर्णय के दो माह के भीतर मुआवजे की राशि अधिकरण में जमा करा देती है और वह दावा करने वाले को प्राप्त हो जाती है। यदि तीनों में से कोई या तीनों अपील करना चाहें तो भी दिलाए गए मुआवजे की राशि का एक अंश उन्हें जमा कराना पड़ता है जो दावेदार को प्राप्त हो जाता है।
जहाँ दुर्घटना में लिप्त वाहन का बीमा नहीं होता वहाँ मुआवजे के भुगतान का दायित्व केवल चालक और मालिक का रह जाता है। यदि बीमा कंपनी दो माह में मुआवजे की राशि अदा न करे तो उसे वसूल करने के लिए दुर्घटना अधिकरण को वसूली आवेदन प्रस्तुत करना पड़ता है और अधिकरण उस आवेदन पर बीमा कंपनी को नोटिस देती है, नोटिस के बाद भी मुआवजा राशि जमा न होने पर बीमा कंपनी का बैंक खाते से राशि की वसूली कर ली जाती है। बीमा कंपनी के विरुद्ध अनेक मुकदमे होते हैं, और उस का खातों के विवरण अदालत में ही उपलब्ध होते हैं, जिस के कारण यह काम बहुत आसान होता है। आम तौर पर बीमा कंपनी से मुआवजा वसूली के लिए कोई भी आवेदन देने की कोई आवश्यकता नहीं होती राशि अपने आप जमा हो जाती है।
लेकिन जहाँ बीमा ही नहीं होता। वहाँ चालक और मालिक कभी मुआवजा जमा नहीं कराते हैं। उन से मुआवजा राशि की वसूली के लिए आवेदन प्रस्तुत करना ही पड़ता है। आप इसी वसूली आवेदन को एक अलग मुकदमा समझ रहे हैं। वस्तुतः यह न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का निष्पादन करने की कार्यवाही है। इस मामले में आप को न्यायालय को यह बताना होता है कि दुर्घटना में संलिप्त वाहन के मालिक और चालक के नाम क्या संपत्ति है जिस से आप को दिलाई गई मुआवजे की राशि वसूल की जा सकती है। आप को उस के मकान या अचल संपत्ति का अथवा चल संपत्ति मसलन डंपर या अन्य ऐसे वाहन जिन की कुर्की से मुआवजे की राशि वसूल की जा सकती हो का विवरण अदालत को बताना होता है। अदालत तब उस संपत्ति को कुर्क कर लेती है। फिर भी मालिक और चालक द्वारा धन जमा न कराए जाने पर उस संपत्ति की नीलामी कर अदालत मुआवजे की राशि वसूल कर आप को दिला देती है। वसूली की यह प्रक्रिया बहुत मुश्किल इस लिए होती है कि दावेदार को स्वयं वाहन मालि
क की संपत्ति का पता करना पड़ता है। यह काम कठिन तो है ही समय भी लगता है। वकीलों के लिए भी यह काम कष्ट साध्य होता है जिस के कारण जैसे ही उन्हें पता लगता है कि टक्कर मारने वाले वाहन के पास बीमा नहीं था, उन की रुचि कम हो जाती है। वे ऐसे मामलों में अपना समय जाया करने के स्थान पर ऐसे अन्य मामलों में रुचि लेने लगते हैं जिन में बीमा होता है और मुआवजे की वसूली आसान होती है, क्यों कि उन मामलों में उन्हें तुरंत फीस मिल जाती है।
आप के मामले में यदि आप टक्कर मारने वाले वाहन के मालिक की संपत्ति का ब्यौरा तलाश कर लें विशेष रुप से उस के मकान या वाहनों की सूचि तो आप का काम आसान हो जाएगा। यदि आप के मुआवजे की राशि अभी अदालत ने तय नहीं की है तो भी आप संपत्ति का ब्यौरा अदालत को पेश कर एक आवेदन कर सकते हैं कि वाहन मालिक मुआवजे की रकम की वसूली से बचने के लिए उस की संपत्ति को स्थानांतरित कर सकता है। इस कारण से उसकी संपत्ति का अटैचमेंट किया जाए। अदालत वाहन मालिक की संपत्ति को अटैच कर सकती है।
पर यह सही है कि आप को मुआवजा राशि की वसूली में आम मुकदमों की अधिक कठिनाई होगी। लेकिन आप यदि वाहन मालिक की संपत्ति का पता कर अपने वकील को बता सके तो वसूली में कठिनाई कम होगी। आप अपने वकील को कहिए कि वह मुकदमा चलने दे और उस में रुचि ले जिस से आप मुआवजा प्राप्त कर सकें।
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I’d come to admit with you one this subject. Which is not something I usually do! I really like reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!
“वसूली की यह प्रक्रिया बहुत मुश्किल इस लिए होती है कि दावेदार को स्वयं वाहन मालिक की संपत्ति का पता करना पड़ता है।”
आपका हर आलेख नई जानकारी से भरपूर होता है एवं पाठकों को जागरूक बनाता है.
सस्नेह — शास्त्री
आपके द्वारा दी गई यह जानकारी लोकेश जी के तो काम आएगी है भविष्य में भी कई लोगों के काम आएगी !
कानून के बारे में ज्ञानवर्धन कराने के लिए आभार !
आप ने समपुरण जान कारी दी, वेसे तो हमे इस की अभी जरुरत नही , लेकिन कभी निकट भविष्या मै पड सकती है, आप के लेख से एक नया ग्याण मिला.
धन्यवाद
केवल पूछे गए प्रश्न का ही नहीं, उससे सम्बध्द अन्य सम्भावित प्रश्नों के उत्तर भी आप जिस स्पष्टता से देते हैं उससे समूचा विषय स्पष्ट हो जाता है। इस मामले में भी आपने यही किया।
बहुत उपयोगी जानकारी दी आपने. बहुत आभार आपका.
रामराम.
कानूनी बारीकियों की जानकारी न होने के कारण बहुत से लोग भटकते रहते हैं। एक बड़े अभाव की पूर्ति कर रहे हैं आप। हार्दिक आभार।
आदरणीय सर, यह बहुत अहम जानकारी है जिसका लाभ आम लोगों को लेना चाहिए और ऐसे मामलों में वक़ील साहब से खुल कर बातचीत करनी चाहिए.
उपयोगी जानकारी है, शुक्रिया।
कभी मुझे ऐसी सलाह कि जरूरत ना ही परे तो अच्छा रहेगा.. 🙂
मगर कईयों के लिये काम का है..
सही सलाह !!
जानकारी के लिये आभार !!
आम जीवन से जुड़ी विधिक समस्याओं को सुलझा कर और सलाह देकर आप सचमुच के समाज सेवी हैं. आपको नमन.